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Archive for अप्रैल, 2009

और जूता चल गया ..


बूट डासन ने बनाया
मैंने मजंमू लिख दिया
मुल्क में मजंमू फैला
और जूता चल गया।

पुरानी कविता

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जिस्म इतने खुले रूह तक संदली हो गई
भाव रस के बिना गायकी पिंगली हो गई
खून से भीगते बेजुबां आंचलों ने कहा
सभ्य इंसान की आत्मा जंगली हो गई

स्वार्थ के सामने भावना व्यर्थ है
स्वार्थ सर्वोच्च है चाहना व्यर्थ है
कलियुगी युग में सब राम ही राम है
एक हनुमान को खोजना व्यर्थ है

पाप है इसलिए पुण्य का मान है
रात है इसलिए दिन का गुण गान है
है तो छोटी बहुत बूँद पर दोस्तों
बूँद है तो समंदर की पहचान है

आस्थाओं को फिर से गगन कीजिये
प्राणपन से उदय का जतन कीजिये
तृप्ति में लोभी भवरें मगन राम जी
पीर कलियों की फिर से शमन कीजिये

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेलराही

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हमारे देश की आबादी एक अरब से ऊपर है जिसमे 85 करोड लोगो का खर्च 6 रुपये से लेकर 20 रूपए प्रतिदिन हैइसी में 26 प्रतिशत यानि लगभग 28 या 30 करोड लोगो को दो जून की रोटी नसीब नही हैकरोडों लोग प्रतिवर्ष बिना अनाज के दम तोड़ देते है और करोडों बच्चे कुपोषण का शिकार है90 प्रतिशत लोग अपने बच्चो का दाखिला डाक्टरी इंजीनियरिंग में नही करा पातेमैनेजमेंट संस्थानों द्वारा अवैध तरीके से फीस बढायी गई हैइनमे अपने बच्चे पढाने वाले कितने लोग हैसस्ती शिक्षा इस चुनाव का मुद्दा नही है
खेती – बाडी के हालत ख़राब है। राजग सरकार से संप्रंग सरकार तक 8 रूपए प्रति लीटर बिकने वाला ङीज़ल ३६ रूपए तक बिका । अब चार या पाँच रूपए कम हुआ है, जबकि अंतर्राष्टीय कीमत के हिसाब से यह 18 रूपए प्रति लीटर होना चाहिए । खाद की कीमतों में अबाध वृद्धि हुई परन्तु अनाज की कीमते अब बहुत कम है। उस घाटे की खेती के फलस्वरूप किसानो ने पूरे देश में आत्महत्याएं की वामपंथियों के दबाव के चलते कुछ कर्जा माफ़ किया गया परन्तु किसानो के हालत में कोई सुधर नही हुआ । यह भी सवाल चुनाव सेगायब है।
आज उत्तर प्रदेश के बनाराश इलाके में लाखो कारीगर बेरोजगार हो गए है क्योंकि बनारस के साड़ी बनने वाले दस्तकारों के पास काम नही है। बनारसी साड़ी उद्योग संकट में है । सूखे के कारण जो पैकेज बुंदेलखंड इलाके को दिया गया था वह बंदरबांट का शिकार हो गया और बड़े विज्ञापन अखबारों में देकर बेशर्मी से फोटो खिंचवाकर जनता को गुमराह किया जा रहा है । राष्ट्रीय स्तर पर के हालात सुधारने के लिए सस्ती , सिंचाई ,खाद,बीज की कोई कारगर नीति बनाने की आवशकता है ,परन्तु यह मुद्दा भी चुनाव का मुद्दा नही।
आज सपा , बसपा ,कांग्रेस या भाजपा की सरकारें और इनके पुलिस प्रशासनिक अफसर ,माफिया,नेताओं, नेताओ के गठजोड़ ने आम नागरिक का जीना दूभर कर रखा हैभ्रष्टाचार का बोलबाला
है ,और आम आदमी को नाच नचा रहे है मालूम कितने लोगो की जमीन इस गठजोड़ की भेट चढ़ चुकी है । सड़के मानक के हिसाब से नही बनती है। न नहरों की सफाई होती है,जनता की गाढी कमी की टैक्स की रकम यह गठजोड़ खाए जा रहा है। परन्तु सब जानते हुए भी यह लोग अखबारों में झूंठा प्रचार करके जनता को गुमराह कर रहे है।
डॉक्टर राम गोपाल वर्मा
क्रमश :
लोकसंघर्ष पत्रिका के चुनाव विशेषांक में प्रकाशित

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गजल हो गई..


है लहर जानती तल की गहराइयाँ ।
आदमी का वजन उस की परछाईयाँ ।
आंसुओ की किताबो में पढ़ लीजिये –
जिंदगी की कसक और रुसवाईयाँ ॥

छोड़ अमृत गरल की किसे प्यास है
कल से अनजान लोभ का दास है।
आदमी राम- रहमान कोई भी हो –
चार काँधा, कफ़न आखिरी आस है॥

प्रीत परवान चढ़ जाय तो गीत है ।
यदि आँखों से वह जाय तो गीत है ।
मन में बरमाल की कामनाएं लिए –
फूल अर्थी पे चढ़ जाए तो गीत है॥

मेरे नैनो की बदरी सजल हो गई ।
मन के आकाश में सुधि विकल हो गई ।
देख कर खोदना उंगलियों से जमीं –
झुक के पलके उठी तो गजल हो गई ॥

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ‘राही’

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आज से लगभग 50 वर्ष पहले मेरे विद्यालय के अध्यापक की एक कविता छापी थी जिसकी यह पंक्ति थी जो झूठा मक्कार , फरेबी नेता वही महान यहाँतब मैं 10 वी कक्षा का विद्यार्थी था। मैं इस पंक्ति का अर्थ समाज और राजनीति के सन्दर्भ में समझ नही पा रहा था । परन्तु आज तो यह पंक्ति पूरी तरह से लागू होती है आज ऐसे लोग और राजनैतिक पार्टियाँ सत्ता के लिए बढ़- चढ़ कर दावे कर रही है, और वह यह भूल जाती है की उन्होंने देश की सर्वोच्च संस्था ‘लोकसभा’ में क्या अपने देश की विदेश नीति के सिलसिले में किस-किस किस्म के भ्रम फैलाने वाले बयान दिए है। बहरहाल पिछली सरकार के समय में एक न्युनतम साझा कार्यक्रम तैयार हुआ और उसके वादे जिस तरह से सरकार ने क्रियान्वित किए,क्या यह देश के साथ धोखा नही है ?
आज मंदी का नाम लेकर इस देश के लगभग 12 लाख लोग अपनी नौकरिया गवां चुके है । बड़ी संख्या में लोगो के वेतन में कटौती की जा रही है और हमारे गृहमंत्री उद्योगपतियों से सिफारिश कर रहे है की वेतन भले घटा दे परन्तु नौकरियों से निकाले मंदी के नाम पर अब काम के घंटे 12 हो गए है और वेतन भी काट लिया गया है। प्राइवेट कंपनियों के अफसर और मजदूर सन 1886 के काम के घंटे के बराबर काम कर रहे है लगभग सवा सौ साल बाद परन्तु इस सरकार को मजदूरों की दशा पर सोचने के लिए कोई मौका नही है।
फर्जी और झूठे आंकडे पेश किए जाते है की मुद्रा स्फ़ीति शून्य हो गई है। यह झूठ तब उजागर होता है , जब आम आदमी बाजार जाता है और वहां पर किसी भी चीज की कीमत घटी हुई नही पता है। परन्तु मीडिया से, अखबारों से इस झूठ का इतना प्रचार किया जा रहा है कि यह सच लगने लगे । यह गोवेल्स जो हिटलर का प्रचार मंत्री था की तकनीक है, की झूठ का निरंतर प्रचार किया जाए।
पूंजीपतियों की सेवा में बैकों की ब्याज दर घटाई जा रही है और L.I.C के शेयर बेचने के लिए लोकसभा में प्रस्ताव पेश है यह बिक्री एक अमेरिकन दिवालिया कंपनी के नाम पर है । सत्यम जैसी कंपनिया आम जनता को हजारो करोड़ रुपयों का चूना लगा चुकी है। अरबो रुपयों का स्टांप घोटाला तेलगी जैसे लोगो ने किया । बड़ी संख्या में हमारे राजनैतिक पार्टियों के बड़े-बड़े नेता,हवाला कांड और स्टिंग ऑपरेशन व घूसखोरी में पकड़े गए। सवाल पूछने के लिए हमारे माननीयों ने पैसा लिया, परन्तु यह सवाल सब पीछे है

-डॉक्टर राम गोपाल वर्मा
क्रमश :
लोकसंघर्ष पत्रिका के चुनाव विशेषांक में प्रकाशित

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होम तन हो गया ..


नीड़ निर्माङ में होम तन हो गया
कर्म की साध पर रोम बन हो गया
एक आंधी बसेरा उडा ले चली
रक्त
आंसू बने मोम तन हो गया

पाप का हो शमन चाहते ही नही
कंस
का हो दमन चाहते ही नही
कुछ
सभाओ में दुस्शासनो ने की ठसक
द्रोपती का तन वसन चाहते ही नही

सर्जनाये सुधर नही होती
वंदनाएं
अमर नही होती
आप आते मेरे सपनो में
कल्पनाएँ मधुर नही होती

नम के तारो से बिखरी हुई जिंदगी
फूल कलियों सी महकी हुई जिंदगी
भर नजर देखकर मुङके वो चल दिए
जाम खाली खनकती हुई जिंदगी

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेलराही

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तीसरे उनके धार्मिक विद्वान् जो मस्जिदों के अहातों,मजारो की खानकाहों और मदरसों की मसनद से निकलकर अपने फतवे जारी करके मुसलमानों को उनके गडे मुर्दे याद दिलाकर उनके दिमाग पर धार्मिक भावनाओ की अफीम का नशा चढा देते है। इन सब के बीच मुस्लमान अपने रोजी- रोटी ,नौकरियों व विकास के मुद्दों को ताक पर रखकर केवल अपनी सुरक्षा की नकारात्मक भावना से ओत -प्रोत होकर तितर -बितर हो जाता है। और इस पूरी साजिश के पीछे साम्राज्यवादी,सांप्रदायिक एवं फासिज़्म की सोंच वाली शक्तियों का हाथ रहता है जिसका रिमोट विदेश में बैठे उनके आकाओ के पास है वही से उन्हें दिशा – निर्देश व आर्थिक सहायता मिलती है और नियंत्रित भी किया जाता है।
जब तक मुसलमान अपने मतभेद मिटाकर अपने भीतर मिल्ली एकता पैदा नही करेंगे और उनके सियासी लीडरों में पहले अपने अन्दर इस्लामी व्यक्तित्व बाद में सियासी व्यक्तित्व की भावना नही पैदा होगी तब तक राजनेता मंडी का माल समझ कर उन्हें खरीदते व बेचते रहेंगे । मुसलमानों के सामने अनेक उदाहरण देश में उन्ही के अपने अल्पसंख्यक भाइयो ,सिख ,ईसाई , यहूदी , जैन व पारशी लोगो के है जो अपनी धार्मिक पहचान पर गर्व करते है परन्तु आज मुसलमान अपनी तहजीब अपना इस्लामी किरदार अपनी जुबान सबसे दूर हो चला है उसके अन्दर से आकिबत का खौफ निकल गया है या इस पर उसका ईमान ढुलमुल हो चला है तभी तो उसके अन्दर शोक दुनिया हावी हो गई है और खौफे खुदा कमजोर। अंतर्राष्ट्रीय सतह से लेकर देश को मुसलमानों में ऐसोआरम की प्रवृत्ति ने उन्हें मज़ाहिद के स्थान पर अय्याश व एशपरस्त बना दिया है उनकी इसी कमजोरी का लाभ कभी बुश उठाता है तो कभी मुलायम तो कभी मायावती तो कभी सोनिया गाँधी और यहाँ तक मोसाद भी। मुसलमान अपने शानदार अतीत में इतिहास का अध्ययन करके झांक कर जरा देखे तो जब इज्जत दौलत हुकूमत सभी उनके पास थी क्योंकि वह धर्म के सच्चे अनुयाई थे और वह ईसाई auर यहूदी जिन का समाज अन्ध्विश्वशो व धार्मिक कट्टरता के कारण बर्बाद हो गया इस्लामी हुक्मरानों को संपर्क में आने को बाद उन्होंने अपनी दुनिया ही बदल डाली । अफसोस की हमारी विरासत उनके पास चली गई और गिलाजत हमारे पास ॥
तारिक खान
(समाप्त)

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बेटियाँ…


देवताओ को घर में बसा लीजिये
भारती
मान को भी बचा लीजिये
पुरूष चाहते हो कि कल्याण हो
बेटियाँ
देवियाँ है, दुवा लीजिये

माँ,बहन ,संगिनी,मीत है बेटियाँ
दिव्यती
,धारती, प्रीत है बेटियाँ
देव अराध्य की वंदनाएं है ये
है ऋचा,मन्त्र है ,गीत है बेटियाँ

जग की आशक्ति का द्वार है बेटियाँ
मानवी
गति का विस्तार है बेटियाँ
जग
कलुष नासती ,मुक्ति का सार है
शक्ति
है शान्ति है,प्यार है बेटियाँ

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेलराही

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उधर मुलायम सिंह ने राज्य मे मुख्यमंत्री के तौर पर और केन्द्र में रक्षामंत्री के तौर पर सत्तासीन होने के बाद अपनी सौगातों का पिटारा केवल यादवो के लिए ही खोला । इस बात का लाभ उठाकर सपा विरोधी पार्टियों ने मुसलमानों को मुलायम विरुद्ध शनेः शनेः बरगलाना शुरू किय नतीजे में मुसलमानों कर भीतर मुलायम के विरुद्ध नाराजगी में इजाफा होता चला गया और मुसलमान एक बार फिर वही गलती दोहराने लगे,अर्थात मुलायम में भी उसी प्रकार कीडा नजर आने लगे जैसे की कांग्रेस में उन्हें मिलते थे। वास्तव में सांप्रदायिक शक्तियों का पहला लक्ष्य मुसलमानों की वोट पॉवर को छिन्न भिन्न करना था वह नही चाहती थी की मुस्लिम एक राजनितिक छतरी के नीचे रहे । उनके इस कार्य में उन्हें भरपूर सहायता उन्ही के सोच से उपजा साम्राज्यवाद का पौधा अमर सिंह नाम के एक राजनेता ने दी। अमर सिंह ने मुलायम सिंह के समाजवादी चरित्र को एकदम धोकर रख दिया और मुलायम के ऊपर अमर प्रेम का ऐसा नशा चढा की समाजवाद व मुस्लिम प्रेम अमर सिंह के ग्लामौर की चकाचौंध में फीका पड़ता चला गया । के उत्तर प्रदेश k uttar pradesh विधान सभा चुनाव में काफी संख्या में मुस्लमान मायावती की पार्टी बहुजन के पक्ष में अपना वोट देकर उन्हें स्पष्ट बहुमत से नवाजा परन्तु फिर वाही कहानी?उनकी गिनती कम और पंडितो की अधिक आज कल्याण सिंह के साथ मुलायम सिंह की दोस्ती ने उन्हें कही का नही छोडा है साम्प्रदयिक शक्तियों व मौका परस्तो की तो किस्मत खुल गई है। मीडिया में भी कल्याण मुलायम दोस्ती और उसकी प्रतिक्रिया स्वरूप मुस्लिम नाराजगी को खूब बढ़ा चढा व चटखारे लगा के पेश किया जा रहा है उन्हें अब कल्याण सिंह को बाबरी मस्जिद गिरवाने का दोषी और आजम खान को मुस्लिम हीरो बताने में कोई हर्ज नही दिखलाई दे रहा है।वरना यही मीडिया जब कल्याण सिंह भाजपा के वफादार थे तो उनके कसीदे पढ़ा करती थी और आजम खा को सर फ्हिरा कट्टरपंथी मुस्लिम लीडर मन करती थी। उधर वह मुस्लिम धर्मावलम्बी जो पहले मुलायम चलीसा पढ़ा करते थे आज मायावती के दरबार की रौनक बनकर नंगे पैर खड़े नजर आते है। मुलायम सिंह पर सांप्रदायिक शक्तियों के साथ हाथ मिलाने का आरोप लगते वक्त उलेमा व कथित मुस्लिम लीडर मायावती का मोदी प्रेम कितनी आसानी से भूल जाते है । कल्याण सिंह व नरसिम्हा राव को यदि बाबरी मस्जिद का ध्वस्तीकरण का जिम्मेदार कहा जा सकता है तो ढाई हजार मुसलमानों का नरसंहार व उनकी करोडो की संपत्तियों को बर्बाद करने वाले भगवा हिंदुत्व के अग्रीणी लीडर नरेंद्र मोदी के हक में प्रचार करने वाली मायावती को सांप्रदायिक शक्तियों का समर्थक क्यों नही कहा जा सकता जो तीन बार केन्द्र में राजग सरकार से हाथ मिला चुकी है ।
वास्तव में मुसलमानों की दुर्दशा के असल जिम्मेदार तीन लोग है एक मुसलमान स्वयं जो सियासत के मैदान में जहाँ उन्हें भावनाओ के स्थान पर अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए तह वह भावनाओ में बहकर कभी माया में अपना मसीहा ढूंढते है तो कभी मुलायम में दूसरे वह कथित मुस्लिम लीडर जो अपना स्वार्थ साधने के लिए उनके वोटो का सौदा गुप्त रूप से करतें है
तारिक खान
(क्रमश 🙂

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कभी नभ को कभी तम को कभी दिनमान को रोये।
कभी प्रियको कभी अरिको कभी पहचान को रोये ।
अजब संसार की माया सदा घटती रही मुझको
कभी सुख को कभी दुःख को कभी भगवान को रोये॥

रात का साथ हो फिर जरूरी नही।
प्यार की बात हो जरूरी नही ।
नेह कुछ आंसुओ में मिला लीजिये
ये मिलन फिर कभी हो जरूरी नही॥

विष को पी जाए वो चंद्रधर चाहिए।
पाप धुल जायें वो वारिधर चाहिए ।
पीत पर के फहरने का वक्त आ गया
सारथी सा सजग चक्रधर चाहिए ॥

कलयुगी कल्प बीते परखते हुए।
शान्ति सुख खोज में ही भटकते हुए।
मातृ भू पर कृपा राम की हो गई-
भ्रम अचल हो गया है बरसते हुए

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ‘राही’

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