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Archive for मई 3rd, 2009

श्रीमान जी ,
मेरा उद्देश्य किसी जाति को अपमानित करने का नही है । भारतीय समाज में जाति एक महत्वपूर्ण कारक है और जाति के आधार पर लोगो को अपमानित करने का कार्य हुआ है और हो रहा है राहुल सांस्कृतायन जी कीमहत्वपूर्ण किताब वोल्गा से गंगा है जिसमें मानव सभ्यता के विकास के क्रम को अच्छे तरीके से समझाया गया है मानव सभ्यता के विकास के क्रम में कर्मफल का सिद्धांत भी आया है और मानव ने कब क्या और किस तरीके से मानव के शोषण के औजार किए है वह महत्वपूर्ण है श्री भगौतीचरण वर्मा जी नेचित्रलेखा में पाप और पुण्य क्या है उसको चित्रित किया है उसके ऊपर भी गहनता के साथ विचार करने कीआवश्यकता है श्री मुद्रराक्षास ने धर्म का पुर्नपाठ विषयक पुस्तक में ब्रहामणवाद के उदगम स्थल से ले के आजतक मानव के शोषण के विभिन्न स्वरूपों की चर्चा की है जिसके ऊपर भी विचार करने की आवश्यकता है ।
क्या यह सच नही है की पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जिन ब्राहमणों ने खेती करनी शुरू कर दी और हल का मूठ पकड़ कर खेत जोते उन्हें जाति से निकल दिया गया और वह त्यागी कहलाये पूर्वी उत्तर प्रदेश में जिन ब्राहमणों ने श्रम करना सीखा और खेती करने लगे वो भी जाति बहिस्कृत किए गए और वह भूमिहार कहलाये । यह संकेत क्या बतलाते है ?
डॉक्टर राम विलाश शर्मा ने निराला की साहित्य साधना में कान्य कुब्ज़ ब्राहमणों के सम्बन्ध में काफी विस्तार से लिखा है निराला जी भी स्वयं उससे प्रताडित हुए है
गाँधी जी का इस देश के अन्दर स्वतंत्रता आन्दोलन में महत्वपूर्ण योगदान है हम उनके किन्ही विचारो से सहमत नही है या आप मेरे विचारो से सहमत नही है तो क्या मेरी हत्या कर दी जायेगी और गाँधी की हत्या जिन तत्वों ने की थी वह विचारो से क्या थे ? 1925 में विजयदशमी के दिन एक संगठन का जन्म हुआ थाजो हिटलर ,मुसोलिनी के नाजी विचारो से प्रभावित था और उसकी प्रेरणा श्रोत्र का आधार जर्मन नाजी विचार थे इस संगठन का कोई भी योगदान भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नही था कोई भी सदस्य आजादी की लडाई में जेल नही गया था हद तो यहाँ तक हो गई की ब्रिटिश साम्राज्यवाद के लिए उक्त संगठन के लोग कार्य करते थे । हिंदू धर्मअलग हैहिन्दुवत्व एक राजनैतिक विचारधारा हैहिन्दुवत्व शब्द का प्रयोग पहली बार इसी संगठन ने कियाथारात ज्यादा हो गई है बातें जारी रहेंगी स्नेह बनाये रखियेगा

सादर ,

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

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श्रीमानजी ,
बड़े सम्मान के साथ कहना चाहूँगा की गाय घास खाकर दूध देती है यह सत्य लेकिन साँप दूध पीता है यह ब्रहाम्णवादी भ्रम है और असत्य हैइतिहास से कडुवाहट नही पैदा होती है सबक लिया जाता है ।श्री मुद्रारक्षस जी इस देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार है और इस देश के शुभचिन्तक है और जहाँ तक मेरी जानकारी है लेख के लेखक जाति व्यवस्था के तहत दलित नही है और न ही मै ही दलित हूँ लेकिन यह भी सत्य है की जिस थाली में कुत्ता और सुवर खा लिए वह थाली नापाक नही होती है लेकिन भारतीय समाज व्यवस्था में दलित किसी थाली में खा ले तो वह थाली फेक दी जाती रही है । यह विषय यथार्थ का विषय है और इस पर गंभीर चिंतन और मनन की जरुरत है क्योंकि पहले ब्रिटिश सम्रज्यवादियों ने इसी असंतोष का लाभ उठाया और देश गुलाम हुआ ब्रिटिश साम्राज्यवाद के एजेंट राजा , राजवाडे, महाराजा, जमींदार, तालुकदार, तथा अभिजात वर्ग के लोग थे और आज भी अमेरिकन साम्राज्यवाद इस देश को गुलाम बनाना चाहता है ।उसकी तरफदारी अभिजात्य वर्ग के ही लोग कर रहे है यह वही लोग है महात्मा गाँधी की हत्या,इंदिरा गाँधी की हत्या ,राजीव गाँधी की हत्या इन्ही तबको की सोच का परिणाम है जब कांग्रेस ने प्रिवी पर्सेज़ को जब्त किया था और बैंको का राष्ट्रियकरण किया था तब कांग्रेस के इन कदमो का विरोध भी वही अभिजात्य वर्ग के लोग कर रहे थे जो आज हिंदुत्व की पैरोकरी कर रहे है ।और विश्व आर्थिक मंदी के दौर में भारत आज अगर मजबूत है तो अपनी सार्वजानिक क्षेत्र की आर्थिक मजबूती के कारण है ।गोधरा से लेकर पूरे देश मेंभारतीय नागरिको का नरसंहार तथा सिखों का नरसंहार इसका स्पष्ट उदाहरण है हे शब्दों के सौदागरों भारतीय संविधान आज प्रमुख है या इस संविधान को बदल कर हिंदुत्व का शासन लागू किया जाए ।हिंदुत्व का शासन लागू होने का मतलब उस समाज व देश में दलितों कोई मतलब नही होगा और पिछ्डी जातियों को आज भी सवर्ण चारपाई पर बैठने नही देते है ।यह समाज आप को चाहिए । भारत एक बहुधर्मीय ,बहुजातीय ,धर्मनिरपेक्ष देश है हमारी सबकी भलाई इसी में की इस स्वरूप को बनाये और बचे रखा जाए ।अन्यथा न लीजियेगा स्नेह बनाये रखियेगा ।
सादर

सुमन

loksangharsha.blogspot.com

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चाहतो को मिटाता रहा आदमी
ख़ुद से हो दूर होता रहा आदमी
स्वर्ग की लालसा में इधर से उधर
पाप के बीज बोता रहा आदमी

ये धरा वो गगन कुछ तुम्हारा नही
अग्नि ,जल ,पवन कुछ तुम्हारा नही
बंद पलकों को बस यही कह गया
एक राही हो घर तुम्हारा नही

ईश की वंदना में होता असर
दर्द के गीत होते सदा हम सफर
जिंदगी श्राप बनकर कड़कती यहाँ
मौत चूमती जिंदगी के अधर

नैन का भौं भरे लालिमा से अधर
केश बिखरे सजे आलिहो झूले डगर
आप इतना सँवर कर देखे उसे
लग जाए कहीं आईने की नजर

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेलराही

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अधिकांशत : ऐसे गावों में ब्राहमण ही शिक्षा के लिए नियुक्त होते है और वे हमेशा अपने पूजा-पाठ का धंधा चलाते है । पढ़ने में कोई गंभीर रुचि नही लेते। ब्राहमण समाज की यह विशेषता है की ज्ञान राशि से वह अपने को भी दूर रखता है और बाकि समाज को भी इस देश में बौद्धों को छोड़कर प्राचीनकाल में भी ब्राहमणों ने एक भी गंभीर विचार की किताब कभी नही लिखी जो सबसे बड़े विचारक आदि शंकराचार्य थे उन्होंने भी मौलिक किताब कोई नही लिखी । आधुनिक काल में भी ज्ञान विज्ञान का कोई भी काम ब्राहमण ने इस देश कभी नही किया आज भी नही
समूचे देश पर हिन्दी थोप दी गई जिसे ब्राहमणों ने उर्दू की नक़ल पर गढ़ लिया था ख़ुद हिन्दी का यह चरित्र है कि आज भी उसमें ज्ञानविज्ञान का कोई काम नही हो रहा है आगे भी होना नही है हिन्दी का अर्थ ही अन्धकार और जहालत है
पेरियार ने हिन्दी का विरोध इसलिए किया था की हिन्दी ब्राहमणों की भाषा है और हिन्दी सिर्फ़ ब्राहमणों के लिए ही नही। यह दुर्भाग्य है कि सारे देश में हिन्दी फैलाने की कोशिश की जाती रही और इस तरह दूसरी भाषाओ की हत्या की जाती रही । हिन्दी का वर्चश्व ही इस बात का जिम्मेदार है कि दूसरी भाषा में भी ज्ञान -विज्ञान का काम नही होता ।
अंग्रेजी माध्यम से हुआ इस देश में आइंस्टीन या हाकिंग जैसे महान वैज्ञानिको के बराबर इस देश में अगर कोई काम किया गया तो वह अंग्रेजी माध्यम से गैर ब्राहमणों ने किया । इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए की दुनिया में अभी हाल ही में लार्ज हाइड्रोजन कोलैङर नाम की जो एक विराट मशीन तैयार हुई उस मशीन के जरिये जिस परमाणु का परिक्षण किया जाना है उसका लक्ष्य बोजोन नाम का परमाणु हथियार है । पिछली सदी की शुरुआत में सत्येन बोस ने जो खोज की थी उसके आधार पर ही बोजोन शब्द (बोस से बोजोन ) विदेशी वैज्ञानिको ने दिया था और उस वक्त आइंस्टीन का भी कहना था कि यह काम अगर पहले सामने आ जाता तो नोबल पुरस्कार बोस को उनसे पहले मिल जाता।
इलहाबाद में शिक्षण देने वाले अशोक सिन्हा ने सुपर स्ट्रिंग सिद्धांत पर काम किया है दुनिया विचार कर रही है और माना यह जा रहा है की न्यूटन से लेकर आइन्स्टीन तक सारे के सारे अनुसंधान सिरे से ही इस सिद्धांत पर खारिज हो जायेंगे । सुपर स्ट्रिंग का यह काम अब पूरी दुनिया में चल रहा है और यह काम डॉक्टर सिन्हा ने हिन्दी नही अंग्रेजी के माध्यम से किया । ब्राहमणों की भाषा हिन्दी उनके इस काम को समझ पाने योग्य भी नही है । आज समूचा हिन्दी विचार संस्कार और रचना जगत सिर्फ़ ब्राहमण पंथ की वजह से दुनिया में सबसे ख़राब स्तिथि में है । अब तो भारत के कला जगत के कुछ कलाकार दुनिया में जाने जाने लगे है लेकिन वह सिर्फ़ इसलिए की इन चित्रकारों ने अपने को ब्राहमण के पुरातन पंथ से मुक्त करके दुनिया के स्तर पर काम शुरू किया और दुनिया के कला इतिहास से जुड़े । इस देश में अगर आज भी लोकतंत्र मजबूत नही हुआ और वरुण गाँधी जैसा ब्राहमण परिवार का लड़का निहायत बेहूदी बातें कह सकता है तो वह इस बात का प्रमाण है की ब्राहमण ने मानवीय विवेक से देश को पूरी तरह काट रखा है ।
इस देश में उसे एक समूची राजनीतिक पार्टी भाजपा का खुला समर्थन है इस देश में आज भी हिटलर के बाद सबसे बड़ा नरसंहार करने वाले लोग सत्ता में हैचाहे वे सिख संहार करने वाले हो चाहे मुसलमानों का संहार करने वाले हो
मोदी, तोगडिया आदित्यनाथ जैसे लोग राजनीति में है सत्ता है उनके हाथो में। ये सिर्फ़ इसी वजह से की समूचे देश के इतिहास पर ब्राहमण हावी है। हिंसा, अन्याय ,और ग्रहण ,गैरबराबरी जैसे घृणित विचार पूरी दुनिया में खास हो चुके है उनका खुला समर्थन कोई नही करता जबकि हिंदू समाज इसी धारा पर चलता है। मनुष्य के सत्ता या आर्थिक बराबरी सबसे शिक्षित दर समाज से अगर कोई खारिज करता है तो वह ब्राहमण हिंदू समाज है । ब्राहमण पंथ को खुश करने के लिए ख़ुद सोनिया गाँधी भी मन्दिर में पूजा – पाठ और हवन मीडिया के सामने करती है ताकि पता लग जाए की वो हिंदुत्व का सबसे ज्यादा सम्मान करती है और यही वजह है की देश की राजनीति सोनिया गाँधी जैसी महिला भी अल्पसंख्यको को न्याय नही दिला सकती। यद्यपि भयावह नरसंहार के दिनों में सत्ता में नही थी ।
देश में लगभग 350 चर्च ध्वस्त किए गए या जलाये गए उसके विरूद्व उन्होंने कोई शब्द नही कहा क्योंकि वो भी हिंदुत्व की भली बनी रहना चाहती है इस देश से जब तक ब्राहमणपंथ को और उसके द्वारा रचित हिंदुत्व को सत्ताचुत नही किया जाएगा और देश को जबतक हिंदुत्व और ब्रहमणवाद से मुक्त नही कराया जाएगा तबतक इस देश की बेहतरी कतई नही हो सकेगी उत्तर प्रदेश में यह देखा जा सकता है की किस तरह ब्राहमण ने दलित का अधिकार भी अपने हाथो में ले लिया है उसमें दलितों के नारे तक को बदलवा दिया है । आज बहुजन समाज पार्टी सर्वजन समाज जैसा शब्द बोलती है । हाथी नही, गणेश है ब्रम्हा -विष्णु- महेश है जैसा नारा पसंद करती है। बहुजन की बेहतरी बुद्ध का शब्द था वे सर्वजन नही कहते थे । सर्वजन हिताय का मतलब बहुत भ्रष्ट होता है सर्वजन में ठग ,हत्या , बलात्कारी , बेईमान और भ्रष्टाचारी भी शामिल होता है इन सबको मिलाकर सर्वजन बनता है और सर्वजन का भला कहने का मतलब है अन्याय के इन प्रतीकों को भी सामाजिक स्वीकृति दे बुद्ध ने जब बहुजन की बेहतरी की थी तो यह मानकर की थी की अत्याचारी , ठग और भ्रष्टाचारी से जो समाज है वो बेहतर बने । न की डकैतों गुंडों और चोरो को भी बेहतरी के काम में शामिल किया सर्वजन हिताय का मतलब सीधा गुंडों, चोरो ,बलात्कारीयों और धोखेबाजों का भी हित हो , जबकि जरूरी है की उनका अहित हो। बाकी समाज का हित सर्वजन समाज का नारा दलित नेतृत्व में सिर्फ़ ब्राहमणों के प्रभाव में ही अपनाया है सर्वजन हिताय का मतलब चोरो और डकैतों को भी सामाजिक मान्यता दिलाना है एक महान नारे को इतना भ्रष्ट कर देना सिर्फ़ ब्राहमण के प्रभाव के कारण ही सम्भव हुआ है । बहुत लोग यह नही देखना चाहते कि भारत में बौद्धों का पतन क्यों हुआ ? यह पतन तब हुआ जब बौद्धों के एक बड़े वर्ग ने ब्राहमणों के कर्म कांड अपना कर महायान बना दिया था । उन्होंने बुद्ध को भी मन्दिर में मूर्ति के रूप में स्थापित कर दिया था । ब्राहमण पर मैं अपनी किताबो मैं विस्तार से लिख चुका हूँ और यह मानता हूँ की ब्राहमण अपने को छोड़कर बाकि किसी की बेहतरी नही चाहता है वो चाहता है की दुनिया के लोग बदहाल बने रहे । ब्राहमण उनकी बदहाली से लाभ उठाये यानि वो जा कर कहे हम तुम्हे बदहाली से मुक्त कराएँगे और तुम हमे भेंट दो और इस तरह वो उनकी लंगोटी तक छीन लेइस देश को अगर गैर बराबरी मानवीय अत्याचार , अज्ञान और सांप्रदायिक हिंसा जैसी चीजो से अगर मुक्त करना है तो हिन्दी और हिंदुत्व इन दोनों से मुक्ति दिलानी होगी

मुद्राराक्षस
फ़ोन :0522-6529461
लोकसंघर्ष पत्रिका के चुनाव विशेषांक में प्रकाशित ॥

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