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Archive for मई 4th, 2009


प्यार है ,गीत है, साज है जिंदगी
खुशी गुन से लबरेज है जिंदगी
मानता
हूँ की तू बेवफा है मगर
फिर
भी तुम पर बहुत नाज है जिंदगी

एक विश्वास का सागर है जिंदगी
आंसुओ
की सुधा धार है जिंदगी
दर्द
की बाँसुरी पर मचलती गजल
टूटे
सपनो का अभिसार है जिंदगी

रूप की चांदिनी कुछ निखर जायेगी
लालिमा
भी सिमटकर सँवर जायेगी
आप
पलकों का परदा हटायें जरा
पुतलियों
में मेरी छवि जायेगी

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेलराही

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वसुधैव कुटुम्बकम का नारा शिक्षा संस्थानों धार्मिक संस्थानों में हिंदुवत्व के पैरोकारों ने जगह -जगह लिख रखा है ,उसी के सन्दर्भ में मैं अपनी बात को रख रहा हूँ । उदार चरितानाम वसुधैव कुटुम्बकम का वाक्य विष्णु शर्मा कृत पंचतंत्र लिया गया है । पंचतंत्र की कहानी है की भेडिया खरगोश से कहता है की मेरे नजदीक आ जाओ मुझ से दोस्ती कर लो खरगोश किसी भी कीमत पर भेडिया के पास नही जाना चाहता है तब भेडिया खरगोश से कहता है उदार चरितानाम वसुधैव कुटुम्बकम । उदार चरित्र वाले लोगो का सारा संसार परिवार होता है खरगोश अगरभेडिया के पास जाएगा तो वह तुंरत भेडिया का भोजन हो जाएगाउसी तरह महात्मा गाँधी से प्रमाण पत्र भी लियाऔर गाँधी की हत्या भी की जब जरूरत होती है तो आज भी गाँधी का इस्तेमाल गाँधी की हत्या करने वाले लोगकरतें है और गाँधी वध भी गोडसे की किताब गाँधी वध क्यों नामक किताब पूरे देश में बेच कर गाँधी की हत्या को जायज ठहराया जाता है लौहपुरुष सरदार पटेल के विभिन्न संदर्भो का प्रयोग हिन्दुवात्व वाला संगठन करता है लेकिन सरदार पटेल ने उक्त संगठन को पहली बार प्रतिबंधित किया था जिसका वह उल्लेख नही करतें है । कुछ अच्छे उदहारण दे के लोगो कोबरगलाने से ग़लत बात सही नही हो जाती है यह उसी तरीके का तर्क है जिस तरिके से ददुवा से लेकर ठोकिया कोलोग जायज ठहराने का प्रयास करतें है मिलावटखोर,जमाखोर,नकली दवाएं बेचने वाले लोग असली हिंदुवत्व कीपहचान है जर्मनीमें हिटलर ने भी बहुत सारे लोक लुभावन कार्य किए थे और जैसे ही हिटलर ने सम्पूर्ण राष्ट्र ka ऊपर एकाधिकारकर लिया तो गैस चैंबर नरसंहार आज तक लोग नही भूले है राष्ट्रवाद का नारा सबसे ज्यादा यही संगठन देता है जिसका कोई भी सम्बन्ध न राष्ट्र से है न राष्ट्र की जनता से है । आचार्य चतुर सेन एक उपन्यास है सोना और खून जिसमे उन्होंने बहुत अच्छी तरीके से राष्ट्रवाद और देश को समझाया है । राष्ट्रवाद ,जाति,भाषा ,धर्म ,क्षेत्रवाद आदि इस संगठन ka प्रमुख हथियार है जिसके माध्यम से यह लोगो की भावनाओ को उकसाकर देश को कमजोर करतें है ।
और जब कोई बात सही तरीके से आती है चाहे वह इतिहास की समझ करती सवाल हो या देश की एकता या अखंडता करती सवाल हो यह संगठन और इसके लोग सारी भड़ास वामपंथियों के ऊपर निकल देते है यह उसी तरीके से है की शिव का धनुहा किसने तोडा? क्लास के बच्चे मंगरूराम ने तोड़ा
शेष उचित समय पर ॥
सुमन
loksangharsha

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आज जब दुनिया ग्लोबल गाव बन गई है तो भारत के संसदीय चुनाव में भी साम्राज्यवादी शक्तियों का प्रयास होगा की उनकी कठपुतली सरकार बने।इसके लिये वह हर सम्भव तरीके से हस्तक्षेप करती दिखाई दे रही है । चुनाव मेंकोई भी राजनीतिक दल यह नही कहता पूंजीपतियों ,उद्योगपतियों के हितों लिए कानून बनाएगासभी पूंजीवादी दल किसान ,मजदूर मध्यम वर्ग के लिए परेशान है और उनके हितों के लिए कानून बनने के वादे कर रहे हैकिसान मजदूर के हितों के लिए आजादी के बाद कानून बनते रहे हैऔर आज उनकी हालत यह हो गई है कि किसान आत्महत्याएं कर रहे है , मजदूर कारखानों से निकाले जा रहे है इसके विपरीत उद्योगपतियों के हित में कानून बनाने का वादा होने के बावजूद हजारो गुना उन्की परिसम्पतियों में वृद्धि हो चुकी है
चुनाव में महंगाई ,बेरोजगारी , बिजली ,पानी ,शिक्षा,स्वास्थ,आवश,भोजन जैसी मूलभूत समस्याएं मुद्दा नही है। कहा यह जाता है की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जनसभा होने से उन्की पार्टी के पक्ष में एक भी मत की बढोत्तरी नही होती है क्योंकि वह साम्राज्यवादी ताकतों की पहली पसंद है और ओबामाचुनाव के वक्त यह प्रमाण पत्र जरी कर रहे है की मनमोहन सिंह बुद्धिमान और अध्बुत नेता है ,और अमेरिकीराष्ट्रपति ने उन्हें यूथ आइकन की उपाधि दी हैइस प्रसंशा के पीछे राज यह है की भारत अन्तार्राष्टीय मुद्रा कोष मेंअरबो डॉलर इस बात के लिए देगा की साम्राज्यवादी देशो में आई हुई आर्थिक मंदी सी निपटा जा सके
मुंबई आतंकी घटना के बाद भारत द्वारा अरबो डॉलर अमेरिका से हथियार खरीदने के नाम पर दिए गए की इससे वह अपनी आर्थिक मंदी से उभर सके । कांग्रेस पार्टी ने चुनावी नारा-‘जय हो’ ,यह नारा ”स्लमङॉग करोड़पति ‘से लिया है। स्लमङॉग का अर्थही गन्दी बस्ती का कुत्ता ,भारतीयों को ब्रिटिश साम्राज्यवादी शक्तियों ङर्टी डॉग की शब्दों से विभूषित करती थी , साम्राज्यवादी शक्तियों की सोच स्लमङॉग करोड़पति’ है और उसका नारा ‘जय हो’ है। जनता को लुभाने की लिए तीन रूपी किलो चावल कांग्रेस पार्टी देगी । जिसका सीधा लाभ जनता को न मिलकर बिचौलियों को होगा ,क्योंकि इससे पहले नरेगा योजना में अधिकारियो और कर्मचारियों व बिचौलियों ने मिलकर योजना का पूरा लाभ उठाया था और दूसरी तरफ़ गावो में भूख से मौतें होती रही।
कांग्रेस का नया संस्करण भारतीय जनता पार्टी है जिसका नारा आया है-‘जय श्री रामजय श्रीराम नारे की आड़ की पीछे यह पार्टी देश में गृह युद्घ जैसी स्तिथि पैदाकर देश साम्राज्यवादी ताकतों की हाथो में सौप देना चाहती है
प्रदेश की चुनाव परिद्रश्य में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी,बहुजन समाज पार्टी तथा भारतीय जनता पार्टी ने अपराधियों बाहुबलियों का जमावडा चुनाव मौदान में इकठ्ठा किया है। अधिकांश प्रत्याशी आया राम-गया राम कर रहे है और हद तो यहाँ तक हो गई की बाबरी मस्जिद विध्वंश कराने वाले तत्कालिन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह समाज वादी पार्टी में शामिल होकर उसके नेता हो गए। समाजवादी पार्टी ने अपने कई मुस्लिम सांसदों का टिकट काटकर दूसरे डालो में जाने की लिए मजबूर किया। इसके पीछे उनका तर्क है की हम भारतीय जनता पार्टी को अमर सिंह की नेतृत्व में कमजोर कर रहे है । अमर सिंह भी पूंजीपतियों और साम्राज्यवादी शक्तियों की प्रतीक है और क्लिंटन फाउंडेशन में दस लाख डॉलर दान भी वह दे चुके है । फ़िल्म अभिनेताओं व अभिनेत्रियों को राजनीती में उतारने के प्रोड्यूसर भी है । समाजवादी पार्टी अल्प्संख्याकोकी हितैषी होने का स्वांग भरती है किंतु जब सत्ता में होती है तो वह ऐसे कार्य करती है जिससे भारतीय जनता पार्टी को कही न कही से लाभ पहुंचे और वह मजबूत हो जिससे अल्पसंख्यक भयभीत होकर उसके लिए वोट बैंक बने रहे । इसी तरह के कार्य प्रदेश में सत्तारूण दल बहुजन समाज पार्टी करती है। राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ द्वारा नियोजित वरुण गाँधी प्रकरण इसका स्पष्ट उदाह्ररण है की भारतीय जनता पार्टी को मुद्दा मिले जिससे वह मजबूत हो और अल्पसंख्यक भय वश उसके लिए वोट बैंक बने
बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के तार कही कही भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहते हैजिससे किसी भी तरह से उनको सत्ता मिल सके । संसदीय चुनाव में दोनों पार्टियों का मुख्य उद्देश्य यह है की किसी भी तारिक से ज्यादा से ज्यादा सांसदों को हासिल करके दिल्ली की सत्ता की कुंजी अपने पास रख ली जाए ।

-रणधीर सिंह ‘सुमन ‘ एडवोकेट
-मोहम्मद शुएब ‘एडवोकेट ‘

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