अयं निज : परोवेति गणना लघु चेतसाम् ।
उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम॥
–हितोपदेश/पंचतंत्र
यह अपना है,यह पराया–ऐसा विचार छोटे ह्रदय वाले लोग करते है।
उदार चरित्र वाले मनुष्यों के लिए समस्त संसार ही एक परिवार है ।
———————संस्कृत लोकोक्ति कोश
संपादक-डॉक्टर शशि तिवारी
संस्करण -१९९६
प्रकाशन विभाग -सूचना और प्रसारण मंत्रालय
भारत सरकार
यह श्लोक पंचतंत्र और हितोपदेश से है न की मनुस्मृति से
-सुमन
-loksangharsha
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