अपने मन की अकुलाहट को
कैसे लयबद्ध करूं
पीड़ा से उपजी कविता को
कैसे व्यक्त करूं ,
सीने में कब्र खुदी हो तो
कैसे मैं सब्र करूं
दिल में उठते अरमानो को
कैसे दफ़न करूं ,
अन्तर में खोये शब्दों की
कैसे मैं खोज करूं
आँखों में उमड़ा पीड़ा को
कैसे राह करूं,
मन में उठती ज्वालाओं का
कैसे सत्कार करूं
धू–धू जलते अरमानो का
कैसे श्रृंगार करूं,
अपने मन की अकुलाहट को
कैसे लयबद्ध करूं
पीड़ा से उपजी कविता को
कैसे व्यक्त करूं,
-अनूप गोयल
dil ki awaaj yahi hai