आओ हम सब मिलिकै रोई । यहि देस कै भैया का होई॥
खादी खाकी मौसेरे भाई,काटे मनइन कै गटई ।
आपन–आपन धरम छोडि ,उई करत है दुनो चोरकटई॥
यहि देस कै भैया का होई ॥ आओ हम….
तुम देखो जाई कचेहरी मा,सब रोवा–रोवा नोच लेई।
अर्दली ,वकील और पेशकार ,मिली खून चूस जस जोंक लेई ॥
यहि देस कै भइया का होई ॥ आओ हम….
राम अंधेरे जन–प्रिय नेता ,काटि चुके दस साल जेल है।
और लड़े इलेक्शन जेलै से,मुल अब तो उई मंत्री जेल है॥
यहि देस कै भइया का होई ॥ आओ हम….
बासी रोटी टूका–टूका ,घिसुआ कै लरिके बाँटी रहे ।
जनता के सेवक नेताजी ,मुर्गा बिरयानी काटि रहे ॥
यहि देस कै भइया का होई ॥ आओ हम….
नेता जी के घर भरी पड़ी , काजू बादामन की बोरी ।
मुल मूंगफली का तरस रहे,मजदूरन कै छोरा –छोरी ॥
यहि देस कै भइया का होई ॥ आओ हम….
मोहम्मद जमील शास्त्री
प्रवक्ता (हिन्दी)