सत्ता की लाठी से गुंडे ,जबरन भैंसी हथियाए रहे ।
न्याय के खातिर घिसई काका , कोर्ट मा घिघियाये रहे॥
धूर्त सियारऊ गीता बांचै ,बैठ बिल्लैया कथा सुन रही ।
भेङहे करें संत सम्मलेन,गदहन की घोड़ दौड़ होए रही॥
नंग धड़ंग नन्हे मुन्ने, लोटी धूल गुबारन मा।
टामी मेम की गोद मा सोवैं , घूमे ए.सी कारन मा ॥
ठग – बटमार ,छली –कपटी ,अब पहिरैं साधुन कै चोला।
मुंह से राम –राम उच्चारैं ,बगल मा दाबे हथगोला ॥
-मोहम्मद जमील शास्त्री