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Archive for मई 16th, 2009

सत्ता की लाठी से गुंडे ,जबरन भैंसी हथियाए रहे
न्याय के खातिर घिसई काका , कोर्ट मा घिघियाये रहे

यहि देश कै भैया का होईआओ हम….

धूर्त सियारऊ गीता बांचै ,बैठ बिल्लैया कथा सुन रही
भेङहे करें संत सम्मलेन,गदहन की घोड़ दौड़ होए रही

यहि देश कै भैया का होईआओ हम….

नंग धड़ंग नन्हे मुन्ने, लोटी धूल गुबारन मा
टामी मेम की गोद मा सोवैं , घूमे .सी कारन मा

यहि देश कै भैया का होईआओ हम….

ठगबटमार ,छलीकपटी ,अब पहिरैं साधुन कै चोला
मुंह से रामराम उच्चारैं ,बगल मा दाबे हथगोला

यहि देश कै भैया का होईआओ हम….

-मोहम्मद जमील शास्त्री

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यूँ भी रस्मे वफ़ा हम निभाते रहे
चोट
खाते रहे मुस्कुराते रहे

दिल की महफिल सजायी थी हमने मगर
वो
रकीबो के घर आतेजाते रहे

गए वो तसस्वुर में जब कभी
मीर
के शेर हम गुनगुनाते रहे

देखकर जिनको चलने की आदत थी
ठोकरे
हर कदम पर वो खाते रहे

जब भीराहीबुरा वक्त हम पर पड़ा
हमसे अपने ही दामन बचाते रहे

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेलराही

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