काल्हे उदघाटन भवा रहै , बहि गवा आज पुल पानी मा ।
केतनेव जन सरग सिधार गए,बचपन औ भरी जवानी मा ॥
छन्नूमल गरम मसाला मा, घोडी कै लीद मिलाय रहे ।
इस्पिट्टर कै मुट्ठी गरम करैं ,औ मन ही मन मुस्काय रहे॥
नौकरी के खातिर बेटवो अब , बप्पा कै गटई काटि लेई।
गहना पैसा हथियाय बहू,सासू कै टेटुवा दाबि देई ।
लखनऊ मा पढ़ती मिसरा जी की , नातिन बिरिज किसोरी है।
अम्मा पूछैं बिटयौनी से, ई छोरा है कि छोरी है॥
मोहम्मद जमील शास्त्री