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Archive for मई 22nd, 2009

प्रिये दोस्तों और पाठको,

मैंने आप लोगो से वादा किया था की मैं बहुत जल्द अपने ब्लॉग “हमारा हिन्दुस्तान” का नया रूप आपके सामने पेश करूंगा…..

तो ये लीजिये यह है बिल्कुल नया “हमारा हिन्दुस्तान”

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बिना रुके ,
मंजिल की और रहो बढ़ते
पर्वत श्रृंखालाओ को जीतने की
गर है चाहत ,
एकएक करके ,चोटियों पर
सदा रहो चढ़ते
सबक अच्छाईयों के सीखने
के लिए
सद साहित्य को हरदम
रहो पढ़ते।
सफलता पाने का बस
रास्ता है यही
गिरगिर के संभलो
मगर
सदा ही रहो चलते

दिनेश अवस्थी
इलाहाबाद बैंक
उन्नाव

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मीत संग संग चले इस तरह

भीड़ में हम अलग रह गए

सूनी कुटिया के आँगन में ज्यों

दीप जलते जले रह गए॥

गुम्बदों ने जो साये किए,

झोपडी झूम कर जल उठी

उनको महलो के साये मिले,
धूप में हम सभी रह गए॥

नत नयन से निखरती कला ,
हास अधरों पे छिटका हुआ।
नूपुरों की खनक सुन के भी
सब अधूरे सपन रह गए ॥

सिन्धु मंथन का उद्देश्य था
सबके अधरों को अमृत मिले।
जो कनोर रहे वास जी पा गए ॥

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ‘राही’

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