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Archive for सितम्बर, 2009

राजनीतज्ञ, पुलिस, अपराधी और अफसर के गिरोह भी आतंकवाद को प्रशय देते है । यह बात 5000 करोड़ हवाला के मुख्य अभियुक्त नरेश जैन की गिरफ्तारी के बाद उजागर हुआ है नरेश जैन अंडरवर्ल्ड व आतंकवादियो को एक तरफ़ हवाला के माध्यम से धन मुहैया करता था वहीं आतंकवादियों को एजेंट्स को भी धन मुहैया कराने का कार्य कर रहा था। इस कांड को पूर्व 1990 में एस.के जैन की गिरफ्तारी के बाद यह पता चला था की हवाला के माध्यम से हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों को धन देता था वहीं शरद यादव से लेकर लाल कृष्ण अडवाणी तक को राजनीति करने के लिए धन उपलब्ध कराता था । नरेश जैन के इस प्रकरण को प्रिंट मीडिया ने एक दिन ही प्रकाशित किया और उसके बाद प्रिंट मीडिया खामोश हो गया ।
हवाला के माध्यम से नरेश जैन और राजनेताओं को आतंकवादियो को तथा ड्रग माफिया को वित्तीय मदद देता था जब बड़े – बड़े राजनेता हवाला के माध्यम से आई हुई रकम लेंगे तो किसी भी इस तरह के बड़े अपराधी के ख़िलाफ़ कोई भी कार्यवाही सम्भव नही है । परवर्तन निदेशालय ने नरेश जैन को विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फेमा) के तहत गिरफ्तार किया है लेकिन इन बड़े अपराधियों और आतंकवादियो की मदद करने वालों के लिए कोई सक्षम कानून नही बनाया गया है और कुछ दिन चर्चा होने के बाद मामले को ठंङे बसते में डाल दिया जाता है और पैरवी के अभाव में अपराधी छूट जाता है ।

यहाँ एक विचारणीय प्रश्न यह भी है कि इस तरह का अभियुक्त मुस्लिम अल्पसंख्यक होता तो हिन्दुवत्व के पैरोकार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया तक चीख चीख कर चिल्लाते और उसे धर्म विशेष से जोड़ कर उस धर्म को भी अपमानित करने का कार्य करते । लेकिन आज वो खामोश क्यों है ? इस समय उनको देश की चिंता भी नही है और न आतंकवाद की है ।

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

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“गाँधी जी ने तुंरत माइक संभाल लिया । आप लोग शांत रहिये । बाबा रामचंद्र की गिरफ्तारी हुई है , जो एक पवित्र घटना है । आप उन्हें छुडाने की मांग न करें, न इस मसले को लेकर जेल जाएँ। इससे उन्हें दुःख होगा। हमारा रास्ता शान्ति व अहिंसा का है, उन्हें छुडाने का बेहतर तरीका यही है कि हम शांतिपूर्वक असहयोग करें। ”

कमलाकांत त्रिपाठी के ‘बेदखलसे “

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द्वयता से क्षिति का रज कण ,
अभिशप्त ग्रहण दिनकर सा।
कोरे षृष्टों पर कालिख ,
ज्यों अंकित कलंक हिमकर सा॥

सम्पूर्ण शून्य को विषमय,
करता है अहम् मनुज का।
दर्शन सतरंगी कुण्ठित,
निष्पादन भाव दनुज का ॥

सरिता आँचल में झरने,
अम्बुधि संगम लघु आशा।
जीवन, जीवन- घन संचित,
चिर मौन हो गई भाषा॥

-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ‘राही’

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“उनका पूरा कर्मयोग सरकारी स्कीमों की फिलॉसफी पर टिका था । मुर्गीपालन के लिए ग्रांट मिलने का नियम बना तो उन्होंने मुर्गियां पालने का एलान कर दिया । एक दिन उन्होंने कहा कि जाती-पाँति बिलकुल बेकार की चीज है और हर बाभन और चमार एक है । यह उन्होंने इसलिए कहा की चमड़ा उद्योग की ग्रांट मिलनेवाली थी। चमार देखते ही रह गए और उन्होंने चमड़ा कमाने की ग्रांट लेकर अपने चमड़े को ज्यादा चिकना बनाने में खर्च भी कर डाली…उनका ज्ञान विशद था । ग्रांट या कर्ज देनेवाली किसी नई स्कीम के बारे में योजना आयोग के सोचने भर की देरी थी, वे उसके बारे में सब कुछ जान जाते ।”

श्रीलाल शुक्ल के राग दरबारी से

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अरी ! युक्ति तू शाश्वत ,
मोहिनी रूप फिर धर ले ।
अमृत देवो को देकर,
मोहित असुरो को कर ले॥

बुद्धि कभी, चातुर्य कभी,
विधि तू कौशल्य निपुणता।
युग-तपन शांत करने को,
है कैसी आज विवशता ॥

कल्याणी शक्ति अमर ते ,
निज आशा वि्स्तृत कर दो,
वातायन स्वस्ति विखेरे ,
महिमामय करुणा वर दो॥

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ‘राही’

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“…मुसलमान ने हिन्दुओं को लूटा है…पर हिन्दू सैकडों वर्ष से इन लोगो को लूटते, निचोड़ते चले आ रहे है, नही तो एक ही जमीन पर रहनेवालों में अमीरी-गरीबी का इतना फरक क्यों होता है? पंजाब की सब जायजाद हिन्दुओं के ही हाथ क्यों चली जाती। गरीब पहले गुस्से में मुसलमान…गुस्सा मजहब का भी है और गरीबी का भी है ।”

यशपाल झूठा सच

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तोड़ना नही सम्भव है,
विधि के विधान की कारा ।
अपराजेय शक्ति है कलि की,
पाकर अवलंब तुम्हारा ॥

श्रृंखला कठिन नियमो की,
विधना भी मुक्त नही है ।
वरदान कवच से धरणी ,
अभिशापित है यक्त नही है॥

हो अजेय शक्ति नतमस्तक ,
पौरुष बल ग्राह्य नही है।
तप संयम मुक्ति विजय श्री ,
रोदन ही भाग्य नही है॥

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल “राही”

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“काहे भइया , तोरे पकिस्तान का का हाल है ?”
“वह तो बन रहा है ।”
” काहे न बनिहे , भैय्या , तूँ कहि रइयो तो जरूर बनिये। बाकी ई गंगौली पकिस्तान में जा रहे कि हिंदुस्तान में रइहे ?”
“ई तो हिन्दुस्तान में रहेगी । पकिस्तान में तो सूबा सरहद , पंजाब , सिंध और बंगाल होगा ; और कोशिश कर रहे हम लोग की मुस्लिम यूनिवर्सिटी भी पकिस्तान में हो जाए ।”

” गंगौली के वास्ते ना न करियो कोशिश ?”
“गंगौली का क्या सवाल है ?”
“सवाल न है त हम्में पकिस्तान बनने या न बनने से का ?”
” एक इस्लामी हुकूमत बन जाएगी ।”
” कहीं इस्लामू है कि हुकुमतै बन जहिए । ऐ भाई, बाप-दादा की कबर हियाँ है, चौक इमामबाडा हियाँ है , खेती-बाडी हियाँ है । हम कौनो बुरबक है की तोरे पकिस्तान जिंदाबाद में फंस जाएँ ।”

” अंग्रेजो के जाने के बाद यहाँ हिन्दुओं का राज होगा ।”
” हाँ-हाँ , त हुए बा । तू त ऐसा हिंदू कही रहियो जैसे हिन्दुवा सब भुआऊँ है कि काट लीहयन । अरे, ठाकुर कुंवरपाल सिंह त हिन्दुवे रहे। झिंगुरिया हिंदू है। ऐ भाई, ओ परसरमुआ हिंदुए न है की जब शहर में सुन्नी लोग हरमजदगी कीहन कि हम हजरत अली का ताबूत न उठे देंगे , कहो को कि ऊ में शिआ लोग तबर्रा पढ़त है त परसरमुआ उधम मचा दीहन कि ई ताबूत उट्ठी और ऊ ताबूत उठा । तोरे जिन्ना साहब हमारा ताबूत उठवाये न आए !”

डॉक्टर राही मासूम रजा के ‘आधा गाँव’ से

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एन.डी. ए सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने केन्द्रीय विद्यालयों की फीस 4 गुना बढ़ा दी थी , उन्ही के पदचिन्हों पर चलते हुए कपिल सिब्बल ने केन्द्रीय विद्यालयों की फीस 4 गुना बढ़ा दी । इस तरह से कक्षा XI के एक छात्र की फीस 800 रुपये प्रतिमाह हो गई है । बाराबंकी केन्द्रीय विद्यालय में प्रधानाचार्य नही है ।

कक्षा 11 में फिजिक्स , केमिस्ट्री , मैथ्स , इंग्लिश , कंप्यूटर साइंस के विषय है और इन विषयों में से फिजिक्स, मैथ्स , इंग्लिश, कंप्यूटर साइंस के टीचर भाड़े के है । बाराबंकी में अच्छे से अच्छे विद्यालयों की जो फीस है वही फीस केन्द्रीय विद्यालय की हो गई है । विद्यालय में 23092009 से (लगभग सत्र शुरू हुए 3 महीने हो चुके है ) इंग्लिश की पढ़ाई प्रारम्भ हुई है मानव संसाधन विकास मंत्री जी आप उसी तरह काम कर रहे है जिस तरह से मुरली मनोहर जोशी कर रहे थे शिक्षा की गुणवत्ता के ऊपर आप का ध्यान नही है । आप शिक्षा का सरकार के मध्यम से व्यवसाय कर मुनाफा कमाना चाहते है । शिक्षा को शिक्षा बना रहने दीजिये व्यवसाय मत बनाइये और आप इसी तरीके से कार्य करते रहिये जिससे आप के युवराज का प्रधानमंत्री बनने का सपना, सपना ही रह जाएआप माननीय उच्चतम न्यायलय के एडवोकेट रहे है जिनकी फीस लाखो में होती है , उसी हिसाब से आप सोचते है । बाराबंकी जनपद , बाढ़ और सूखे से पीड़ित जनपद हैयहाँ के एक एडवोकेट को 30 रुपये में भी काम करना पड़ता है आप अपनी सोच पूरे देश की स्तिथियों के अनुसार रखिये, उचित है लेकिन इसमें आप का कोई दोष नही है । सभी शशि थरूर है जिनको हवाई जहाज में आदमी नही गाय दिखाई देती है ।

सुमन
लोकसंघर्ष

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अभिलाषा के आँचल में ,
भंडार तृप्ति का भर दो।
मन-मीन नीर क ताल में,
पंकिल न हो यह वर दो॥

रतिधरा छितिज वर मिलना ,
आवश्यक सा लगता है।
या प्रलय प्रकम्पित संसृति,
स्वर सुना सुना लगता है ।

ज्वाला का शीतल होना,
है व्यर्थ आस चिंतन की।
शीतलता ज्वालमयी हो,
कटु आशा परिवर्तन की॥

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल “राही”

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