बरेली जनपद के सीबीगंज इलाके में तत्कालीन सहायक पुलिस अधीक्षक जे रविन्द्र गौड़ के दिशा निर्देशन में मुकुल गुप्ता नाम के नौजवान को पुलिस ने पकड़ कर हत्या कर दी थी। मुकुल गुप्ता के पिता ब्रजेन्द्र गुप्ता ने न्यायलय की शरण लेकर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई थी जिसकी विवेचना स्थानीय पुलिस को ही दी गयी थी जिसपर ब्रजेन्द्र गुप्ता ने माननीय उच्च न्यायलय इलाहाबाद में याचिका दायर कर सी.बी.आई जांच कराने की मांग की थी। कानूनी दांव पेच के बाद 20 फरवरी 2010 को न्यायलय ने सी.बी.आई जांच के आदेश दिए। जांच के उपरांत सी.बी.आई ने अब वर्तमान में पुलिस अधीक्षक बलरामपुर जे रविन्द्र गौड़ समेत 11 पुलिस कर्मियों के ऊपर हत्या व हत्या के सबूत मिटाने का वाद दर्ज कराया है।
कानून के रक्षकों द्वारा वह-वाही व इनाम प्राप्त करने के लिए नवजवानों को पकड़ कर हत्या का सिलसिला बहुत पुराना हो रहा है। पीड़ित पक्ष द्वारा आवाज उठाने पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाती है यदि किसी तरह प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज भी हो जाती है तो उसकी विवेचना उसी विभाग के निचले स्तर के अधिकारी करने लगते हैं। विवेचना के नाम पर विवेचना अधिकारी साक्ष्य मिटाने का ही काम करते हैं इसलिए आवश्यक यह है एनकाउन्टर में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस विभाग से अतिरिक्त जांच एजेंसी से जांच करनी चाहिए जिससे जनता का विश्वास पैदा होगा और फर्जी तरीके से एनकाउन्टर के नाम पर हत्याएं रोकी जा सकती हैं।
बधाई के पात्र हैं श्री ब्रजेन्द्र गुप्ता जिन्होंने ने अपने पुत्र की हत्या के अपराधियों को सजा दिलाने के लिए एक लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी। एक अधिवक्ता होने के नाते मैं उनका कष्ट समझ सकता हूँ कि उन्होंने न्याय प्राप्त करने के लिए कितने कष्ट सहे होंगे। अभी उनको हत्यारों को सजा कराने के लिए काफी प्रयास करने होंगे।
सुमन
लो क सं घ र्ष !