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Archive for जुलाई, 2010

कानपुर के कनपटीमार को शायद बुजुर्ग भी भूल चुके हैं, एक समय था जब वह बहुत चर्चित था, लोग भयभीत रहा करते थे, वह एकदम से निकलता जो मिलता, उसकी कनपटी पर ऐसा जोरदार तमाचा जड़ता कि वह तुरंत गिर कर मर जाता, इधर यह तुरंत गायब हो जाता, जब एक बार पकड़ में आया तो किसी मनोचिकित्सक ने उसका दिल टटोला, उसने सरलता से जवाब दिया कि इस से मुझे संतुष्टि मिलती है।
अमेरिका का यही हाल है, उसे दादागिरी करने, धौंस गांठने, युद्ध थोपने, बम बरसाने तथा हर जगह दखल देने में बहुत मजा आता है। इसका एक लम्बा इतिहास है- इधर बड़े व छोटे बुश की करतूत आप देख ही चुके हैं, अब ओबामा को देख रहे हैं, जिनसे दुनिया को बड़ी उम्मीदें थी। ठीक चुनाव बाद बिना किसी उपलब्धि के नोबल शांति पुरस्कार भी मिला- तब से अब तक शांति का एक भी काम नहीं किया। अब स्तिथि यह है कि दुनिया की छोडिये खुद उन्ही के देश में उनकी पोपुलारिटी का ग्राफ बहुत गिर गया है।
युद्धों पर इतना अनाप-शनाप खर्च कर दिया कि आर्थिक स्तिथि बेहद बिगड़ गयी। इसका अंदाजा इस बात से लगाइए कि ओबामा ने अभी जल्दी अपने एक कार्यक्रम में विश्व के देशों से यह साफ़ कह दिया कि वे अपने विकास के मॉडल बदल लें, क्यों की पूरी दुनिया का आर्थिक विकास अकेले अमेरिका के बल पर नहीं हो सकता। मनमोहन सिंह ने अभी अभी जो यह कहा कि हम निर्भरता को ख़त्म करेंगे तथा सब्सिडी समाप्त कर देंगे, यह बात शायद इसी क्रम में कही गयी है।
अमेरिका ने ईराक व अफगानिस्तान के युद्धों की शुरुआत इस दंभ में की थी कि इनको चुटकी बजाते जीत लिया जायेगा, दशक बीत गया परन्तु उद्देश्य पूरे न हो सके, आतंकी कम, आम जनता ज्यादा मारी गयी। पूरी दुनिया जानती है कि ईराक के तेल के लालच में उस पर हमला करने का झूठा बहाना बनाया कि उसके पास परमाणु हथियार हैं- अगर थे तो बरामद क्यों न हुए, जब कि वह देश अब तक अमेरिका के कब्जे में हैं ?
इधर अफगानिस्तान में पैर बुरी तरह फंसे हुए हैं, नाटो के देश सोचते थे कि जंग जीत कर बड़े-बड़े ठेके आपस में बाटेंगे, जब यह तमन्ना पूरी होती नहीं दिखी तो कुछ देश किसी न किसी बहाने से भाग निकले, विदेशी सैनिक इतने अधिक मारे गए कि जो हैं वह भयभीत हैं। करीब डेढ़ लाख सैनिक अमेरिका के हैं, दस हजार ब्रिटेन के हैं। लगभग 5000 जर्मनी के हैं, जिनको समझाने बुझाने तथा उनका हौसला बढ़ाने हेतु हेतु जर्मनी के रक्षा मंत्री कार्ल थ्योडोर स्वयं अभी अफगानिस्तान आये, यह वादा भी किया कि हर दो माह पर वह आया करेंगे।
अफगानिस्तान को लेकर इस तरफ पश्चिमी देशों में बड़ी हलचल है, एक तरफ वहां अफगान डोनर्स कांफ्रेंस कराई गयी जिसमें 70 से अधिक देश शामिल हुए, दूसरी ओर फ्रेंड्स आफ पकिस्तान की बैठक पकिस्तान में कराई गयी, अमेरिका के तीन दूत विदेश मंत्री हिलेरी, होलब्रूक तथा जोइंट चीफ आफ स्टाफ एडमिरल माइक मुलेन घूम फिर कर इधर के देशों के चक्कर काटते रहे। नाटो के सेक्रेटरी जनरल ने भी पकिस्तान का दौरा किया।
इस सब गहमागहमी के पीछे आखिर क्या है ? यही कि समय भी बहुत लगा गया, अमेरिका ही नहीं उसके साथी देशों का पैसा भी अथाह खर्च हो गया, युद्धरत देशों की जनता अपनी सरकारों से असंतुष्ट हुई जा रही है, उनके यहाँ के विकास कार्य अवरुद्ध हुए जा रहे हैं, अमेरिकी मंदी ने उसके साथी देशों को भी बहुत प्रभावित कर दिया – मगर अमेरिका उन सबको यही समझाता है कि अभी लगे रहो, अभी साथ न छोडो- यह भी खूब रही-

खुद तो डूबे हैं, मगर यार को भी ले डूबेंगे ।

– डॉक्टर एस.एम हैदर

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वर्ष के श्रेष्ठ विज्ञान पोस्ट का सम्मान

१० मई २०१० को हिंदी के प्रतिष्ठित समाचार पत्र जनसत्ता के नियमित स्तंभ में एक आलेख ब्लोगोत्सव-२०१० से साभार प्रकाशित किया गया था , शीर्षक था ” भविष्य का यथार्थ”
यह अपने आप में एक प्रमाण है पोस्ट की श्रेष्ठता का , इस आलेख में भविष्य से संबंधित उन पहलूओं पर प्रकाश डाला गया है जो पूर्णत: प्रमाणिक और सत्यता से परिपूर्ण है !
इसके लेखक हैं जीशान हैदर जैदी


ब्लोगोत्सव की टीम ने इस पोस्ट को वर्ष का श्रेष्ठ विज्ञान पोस्ट का अलंकरण देते हुए इसके लेखक को सम्मानित करने का निर्णय लिया है !

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वर्ष के श्रेष्ठ उत्सवी गीतकार का सम्मान

कहा गया है कि प्रेम में जीव अभय हो जाता है , वहां तो सिर्फ समर्पण ही रह जाता है ! प्रेम सर्वस्व न्योछावर करके गदगद हो जाता है ! अहंकार सबकुछ पाकर भी खुश नहीं होता है ! प्रेम दूसरों की छाया बनकर अपने को धन्य मानता है, अहंकार दूसरो की छाया छीनकर भी उदास बना रहता है ….प्रेम जब कुछ बाँट नहीं पाता तब दुखी होता है !

ऐसे दो गीतकार हैं हमारे चिट्ठाजगत में जिनका एक मात्र उद्देश्य है प्रेम बांटना ….उनके गीतों में प्रेम की कोमलता होती है और छंद श्रृंगार से सराबोर ! इनके गीत ह्रदय की धड़कन और साँसों के आरोह-अवरोह के वे सरगम होते हैं जिसमें डूबकर पाठक सत्य -शिव और सुन्दर की तलाश हेतु आतुर हो जाता है !

ये दोनों गीतकार हैं क्रमश: डा. रूप चन्द्र शास्त्री मयंक और संजीव वर्मा सलिल


इन दोनों सुमधुर गीतकारों को ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष के श्रेष्ठ उत्सवी गीतकार का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है !
suman

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जब से मैंने इंदौर के संवेदनशील कुत्ते का हाल पढ़ा है, इस बारे में, मैं चिंतन मनन पर मजबूर हुआ, आप कहेंगे क्यों आप कुत्ते को लेकर इतना परेशान होते हैं ? ज्यादा सोचेंगे तो घर के रहेंगे न घाट के !
खैर यही क्या कम है कि मैं कुत्ता नहीं बना, अगर बन गया होता तो मोहल्ले के आवारा लड़कों के धेले खाता रहता, ऐसी किस्मत कहाँ थीं कि एल्सेशियन बन कर सेठ जी की गाडी पर बैठता और केक बिस्कुट उडाता और अपने ही गरीब कुत्ते भाइयों पर शीशे से झांक झांक कर भौंकता ।
किसी कवि ने कभी बड़े गर्व से कहा था ‘ अहो भाग्य मानव तन पावा ‘ उसने यह बात अध्यात्मिक श्रेष्ठता के लिए कही होगी यह सोचकर कि पता नहीं कितनी करोडो अरबों योनियों से मुक्ति पाकर यहाँ तक पहुंचा। समय के अनुसार शब्दों के अर्थ एवं वाक्यों के भावार्थ बदलते हैं जब आज का पदार्थ वादी यही कहे गर तो उसका अभिप्राय यह होगा कि अगर मानव न बनता तो न घोटाले करता, न रिश्वतें लेता, न महलों का सुख भोगता ! फंसता तो रिश्वत देकर छूटता ।

इस्लाम में भी मनुष्य को ‘अशरफुल-मखलुकात’ अर्थात स्रष्टि में सब से श्रेष्ट बताया गया है। मैं तो हालात देख कर क्षमा कीजियेगा यह समझता हूँ कि आज का मानव कुत्ते से भी बदतर है, गुणों की अगर बात करें तो कुत्ते में वफादारी होती है- एक कुत्ता ‘असहाबे- हफ’ का भी था, कितना वफादार था। अब इंसान को देखिये ये हद से ज्यादा बेवफा, हद से ज्यादा दगाबाज ।
कुत्ते का सबसे बड़ा अवगुण यह है कि वह स्वयं अपने भाई बन्धुवों से लड़ता है, गुर्राता है। इंसान इस अवगुण में भी कुत्ते से बहुत आगे है। पडोसी हो, परिवार वाले हो, जाति के गैर जाति के हों, सब से लड़ाई, कतल खून, लाठी डंडा, बंदूख, कट्टा, बम, सब के हक़ मारना, किसी को हक़ न देना। ‘ खुमार’ भी इसी का शिकार हुए होंगे ? क्या पता कभी शिकार किया भी होगा- आदमी तो अपनी ही गाता है-

यूँ तो हम जमाने में कब किसी से डरते हैं,
आदमी के मारे हैं, आदमी से डरते हैं।

-डॉक्टर एस.एम हैदर

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वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार (लेखन और गायन )

एक ऐसा गीतकार जिसकी प्रतिभा को स्थानीय स्तर पर केवल दबाया ही न गया हो, अपितु उन्हें उस स्थान को प्राप्त करने से वंचित भी रखा गया जिसके वे सचमुच हक़दार थे …!

एक ऐसा गीतकार जिसकी लेखनी से प्रेम के स्वर प्रस्फुटित होते हैं और कंठ में निवास करती हैं स्वयं सरस्वती ….जिसके गीत पाठकों/श्रोताओं को आंदोलित ही नहीं करते अपितु भीतर-ही भीतर नए महासमर के लिए तैयार भी करते हैं …..जिसकी प्रेमानुभुतियाँ इंसानियत के लड़खड़ाते कदमों को संभालने में, प्रेम पंजरी फांकने वालों को झुलसाने से बचाने में और हताश-निराश लोगों को आशा की किरण प्रदान करती है !

कहा भी गया है कि काव्य के निरिक्षण, परिक्षण और मूल्यांकन के सच्चे अधिकारी वही होते हैं जिनकी अभिव्यक्तियाँ प्रेम से सनी होती है ….यादों की बस्तियों में जिनके अपने महल-दुमहलें होती है और जो सपनों के सत्संग में स्नेह सुरभि लुटाता हो ….!

ऐसे ही एक काव्य व्यक्तित्व का नाम है राजेन्द्र स्वर्णकार
जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार (लेखन और गायन) से अलंकृत करते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है !

वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार (आंचलिक)

हमारे युग के सर्वाधिक लोकप्रिय गीतकार पद्मश्री नीरज की मान्यता है,कि ” गीत ही आदि गीत ही मध्य गीत ही अंत, बिन गीत विश्व है केवल मरघट के सामान ” राष्ट्रकवि दिनकर ने अपने महाकाव्य ‘उर्वशी’ में बड़े ही प्रभावी ढंग से निरुपित किया है , कि ” बौद्धिक निर्मितियां नहीं हार्दिक प्रस्तुतियां ही अंतस के रक्तिम ज्वार की परिचय -पत्रिकाएं बनती है और एक क्रान्तिदर्शी कवि के अत्याहत रागतत्व को विजय- वैजयंती प्रदान करती है !”

एक ऐसा गीतकार जिसकी गीतात्मक अभिव्यक्तियों में एक और प्रीति के फाग का राग है तो दूसरी ओर गहन दार्शनिक चिंतन- सरणि का सारभूत अध्यात्म का पराग भी है …!

एक ऐसा गीतकार जिसके बिंब और कथ्य ग्रामीण परिस्थितियों से लबरेज है वहीं भाव व्यापक प्रभामंडल को आयामित करने में समर्थ …!

जिसकी प्रवाहशीलता के साथ-साथ अर्थ व्यंजनायें बरबस आकर्षित करती है और जिसकी जिन्दादिली से वाकिफ है पूरा हिंदी चिट्ठाजगत …!

जानते हैं कौन हैं वो ?
वो हैं रायपुर निवासी ललित शर्मा
जिन्हें ब्लोगोत्सव-२०१० की टीम ने वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार (आंचलिक) का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है !
suman

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शिखर पर हूँ” ……..

शिखर पर हूँ” ……..
घाटियों में खोजिए मत
मैं शिखर पर हूँ’
धुएँ की
पगडंडियों को
बहुत पीछे छोड़ आयी हूँ
रोशनी के राजपथ पर
गीत का रथ मोड़
आयी हूँ,
मैं नहीं भटकी
रही चलती निरंतर हूँ।

लाल-
पीली उठीं लपटें
लग रही है आग जंगल में
आरियाँ उगने लगी हैं
आम, बरगद, और
पीपल में
मैं झुलसती रेत पर
रसवंत निर्झर हूँ….

साँझ ढलते
पश्चिमी नभ के
जलधि में डूब जाऊँगी,
सूर्य हूँ मैं जुगनुओं की’
चित्र—-लिपि—-में
जगमगावुगी,
अनकही अभिव्यक्ति का मैं
स्वर अनश्वर हूँ”!
meet

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वर्ष का श्रेष्ठ बाल साहित्यकार सम्मान

आज का सम्मान एक ऐसे चिट्ठाकार के नाम, जो सक्रियता की मिसाल है और जिसे सदलेखन को प्रोत्साहन देने वाले चिट्ठाजगत के पहले सम्मान को प्रारम्भ करने का श्रेय जाता है।

ये ऐसे चिट्ठाकार हैं, जो आम तौर से ‘तस्लीम’, ‘साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन’ और ‘सर्प संसार’ सम्बंधी वैज्ञानिक चेतना का प्रसार करने वाली गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं, पर मूलत: वे एक बाल साहित्यकार हैं और बहुत ही कम उम्र में बाल साहित्य की उन ऊचाँईयों का स्पर्श किया है, जो बहुतों के लिए सपनों जैसा है।

जानते हैं कौन हैं ये ?
ये हैं लखनऊ निवासी श्री ज़ाकिर अली ‘रजनीश’

जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने हिंदी चिट्ठाकारी से संवंधित आलेख लेखन के लिए वर्ष के श्रेष्ठ बाल साहित्यकार का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है.

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वर्ष के श्रेष्ठ लेखक ( हिंदी चिट्ठाकारी से संवंधित आलेख हेतु )

एक ऐसा चिट्ठाकार जिसने मात्र एक वर्ष की हिंदी चिट्ठाकारी में वह श्रेष्ठता हासिल करने में सफलता पायी है जो शायद किसी को वर्षों की साधना के पश्चात भी हासिल नहीं होता !

एक ऐसा चिट्ठाकार जिसकी भाषा बरबस आकर्षित करती है और शब्द चमत्कृत करते हैं ….हिंदी चिट्ठाकारी को नया आयाम देने की दिशा में सक्रीय नए चिट्ठाकारों में ये वेहद समर्पित और उत्साह से परिपूर्ण हैं !

जानते हैं कौन हैं ये ?
ये हैं भोपाल निवासी श्री प्रमोद तांबट

जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने हिंदी चिट्ठाकारी से संवंधित आलेख लेखन के लिए वर्ष के श्रेष्ठ लेखक का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।
suman

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खुशबू तुम दिखती तो नहीं हो …

पर तुम्हे महसूस करती हूँ हर पल …!!

फूल तुम्हे मैं कैसे भूलूं ?

डाली पर उगते हो जब तुम ,

काँटों कि चुभन को सहते हुए भी ,

आँखों को यूं मूंदकर …….

वो खुशबू को जहन में भर लेते है हम ,

क्योंकि तुम पौधे पर ही खूबसूरत हो लगते ….

पहली बरसात में तपती धरती पर ,

पड़ती है बारिश की पहली बूंदें …

धरती से उठती वो सौंधी सी खुशबू ,

होती है पहले प्यार के अहसास सी …..

खुशबू ….रिश्तों में बंधे प्यार की,

खुशबू …वो मुस्कानों की,

खुशबू …दोस्ती के अटूट बन्धनकी ,

खुशबू …….महकते विचारों की …….!!!!

– मीत

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वर्ष की श्रेष्ठ प्रस्तुति

किसी शायर ने कहा है, कि- ” बादल हो तो बरसों कभी बेआब जमीं पर, खुशबू हो अगर तुम तो बिखर क्यूँ नहीं जाते !!” ब्लोगोत्सव की २०० से ज्यादा प्रस्तुतियों से एक श्रेष्ठ प्रस्तुति का चयन आसान नहीं था …..
ब्लोगोत्सव की टीम इस दिशा में लगातार माथापच्ची करती रही और अंतत: इस निष्कर्ष पर पहुंची कि कैप्टन मृगांक नंदन और उनकी टीम के द्वारा प्रस्तुत देश भक्ति की भावना से ओतप्रोत विडिओ प्रस्तुति को ही वर्ष की श्रेष्ठ प्रस्तुति की संज्ञा दी जाए ……!
इसलिए कैप्टन मृगांक नंदन और उनकी टीम के द्वारा प्रस्तुत विडिओ प्रस्तुति को श्रेष्ठ प्रस्तुति का अलंकारं देते हुए ब्लोगोत्सव की टीम ने सम्मानित करने का निर्णय लिया है जो देश के स्वाभिमान को अक्षुण बनाए रखने हेतु सतत संकल्पित युवा सेनानियों को ब्लोगोत्सव की यह सप्रेम भेंट है …!

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वर्ष के श्रेष्ठ आकर्षण के अंतर्गत वर्ष की श्रेष्ठ उदीयमान गायिका

आज की प्रस्तुति के क्रम में मुझे हिंदी फिल्म का एक पुराना गाना स्मरण हो आया अचानक -“बच्चे मन के सच्चे, सारे जग के आँख के तारे…..!”

हम ऐसे ही तीन नन्हे सितारों की बात करने जा रहे हैं जिनकी उपस्थिति मात्र से गरिमामय हो गया था ब्लोगोत्सव का समापन समारोह !
जिन्होंने अपने नन्हे मन में छिपी बड़ी इच्छाशक्ति के बल पर ब्लोगोत्सव को दिया एक बड़ा आकाश और संगीत की एक ऐसी जमीन जिसपर टिककर आज पूरा हिंदी चिट्ठाजगत सर उठाकर देखने को आतुर है आकाश के झिलमिल सितारों को ….!

संगीत के प्रति इन तीनों की श्रद्धामयी भावना और साँसों-साँसों में बसी अदम्य आकांक्षा की खुशबू …..अपराजेय ख्वाहिशों के साथ पवित्रता की हद तक ईश को समर्पित है ….
खुशबू /अपराजिता और ईशिता

यही तीनों स्वर साधिकाएँ हैं जिन्हें हम अपनी ब्लोगोत्सव -२०१० की टीम की सहमति से वर्ष के श्रेष्ठ आकर्षण के अंतर्गत वर्ष की श्रेष्ठ उदीयमान गायिका से अलंकृत करने जा रहे हैं !
suman

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उत्तर प्रदेश में यह शेर हाफिज जालंधरी साहब का आज भी पूरी तरीके से प्रासंगिक है प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्यमंत्री अवधेश वर्मा की सुरक्षामें तैनात सिपाही शाहजहांपुर व दो पुलिस कांस्टेबल रात के ग्यारह बजे शाहजहाँपुर के कार्पोरेशन बैंक पहुंचे और वहां लगी हुई ए.टी.एम मशीन को उखाड़ liya और चौकीदारों को मार पीट कर ए.टी.एम मशीन को गाडी में लाद कर चले गए।
बैंक अधिकारियो के प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने के बाद एक पुलिस कांस्टेबल के घर से ए.टी.एम मशीन बरामद हुई। ए.टी.एम मशीन में लगभग 9 लाख रुपये थे। उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकांश कर्मचारी व अधिकारी इसी तरह की हरकत कर रहे हैं। इन सब घटनाओ की जानकारी ऊपर से नीचे बैठे सभी लोगों को होती रहती है। इस व्यवस्था में भेड़ों को मोड़ने का कार्य बराबर जारी है राजनेताओं की स्तिथि और भी बद से बदतर है। देखिये आगे अभी क्या-क्या होता है ?

सुमन
लो क सं घ र्ष !

फोटो साभार: हिंदुस्तान दैनिक

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(आजादी है)
कर्नाटक के लोकायुक्त ने अवैध खनन करके बेल्ल्केरी बंदरगाह पर जब्त किये 5 लाख टन लौह अयस्क के गायब हो जाने के सवाल पर आपत्ति करते हुए मुख्यमंत्री येदियुरप्पा से बार बार पूछे जाने पर कि लोह अयस्क कहाँ गायब हो गया और जवाब न मिलने पर इस्तीफा दे दिया था। केंद्र सरकार और भाजपा नेता लाल कृष्ण अडवाणी ने लोकायुक्त को कुछ समझाया और उन्होंने बाद में इस्तीफा वापस ले लिया उक्त लौह अयस्क जब्त होने के बाद भी निर्यात कर दिया गया है।
फरवरी 2010 से लेकर 20 जुलाई तक लगभग 35 लाख टन लौह अयस्क की गैर कानूनी खुदाई कर्नाटक में हुई है और उसका निर्यात भी कर दिया गया है जिसकी कीमत लगभग 60 हजार करोड़ रुपये होती है। कर्नाटक में एक पुलिस कांस्टेबल के दो बेटे करुणाकर रेड्डी और जनार्दन रेड्डी मंत्री हैं। खान-खदान माफिया का संचालन इन्ही दो व्यक्तियों से होता है। कर्नाटक की शासक पार्टी भाजपा भी इन्ही के इशारे पर चलती है। वैसे तो खनन विभाग मुख्यमंत्री के पास है।

हम आजाद हैं भूखे मरने के लिए वह आजाद हैं हजारो-हजार लूटने के लिए।

शेरों को आजादी है, आजादी के पाबंद रहें
जिसको चाहे चीरें-फाड़ें, खाएं-पिएँ आनंद रहे

– हफीज जालंधरी

सुमन
लो क सं घ र्ष !

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