इन तमाम विफलताओं के बीच केन्द्रीय सतर्कता आयोग अब सतर्क हुआ है तथा वह एक ‘राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक रणनीति’ का प्रारूप बना रहा है। इस रणनीति के अंतर्गत अब सभी बड़े छोटे अधिकारियो की जिम्मेदारी तय कर दी जायेगी ताकि वे एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल कर अपना दामन न बचा सकें। फिलहाल केंद्र एवं राज्यों की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों के बीच तालमेल की भी बहुत कमी है, इसको भी दूर किया जायेगा।
जब कभी अपराध बढ़ते हैं, नियम कानून सख्त बनाने की बातें होने लगती हैं। आबकारी नारकोटिक्स खाद्य अपमिश्रण या आतंकवाद के मामलों में बार बार नियम अधिनियम सख्त किये गए, सजाएं बढ़ा दी गयीं परन्तु क्या इनमें कोई कमी आई ? बात प्रावधानों की नहीं है, बात क्रियान्वयन की है। जब तक सरकारों में राजनैतिक साहस नहीं आता, ये सब ऐसे ही चलता रहेगा।
देखने में आ रहा है कि पढ़े लिखे लोग अपराध में आगे बढे हैं। विद्या तो रौशनी के लिए होती है, ऐसे विद्या किस काम की जो दिमाग में अँधेरा भर दे, लूटने की कला सिखा दे मानवता से विमुख कर दे, ऐसे ही आदमी पर ग़ालिब ने आश्चर्य की मुद्रा में दुःख प्रकट किया था-
डॉक्टर एस.एम हैदर