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Archive for सितम्बर 22nd, 2010


उत्तर प्रदेश में देश के सबसे बड़े त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है। सदस्य ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक के सदस्यों का चुनाव होना है। गाँव-गाँव में सूबे से ही कच्ची दारु, देशी दारु व अंग्रेजी शराब की मांग मतदाताओं द्वारा आम तौर पर की जा रही है। जिसकी पूर्ति प्रत्याशी कर रहे हैं। चुनाव के पूर्व से ही प्रत्याशियों ने लोगों के खेत जोतने से लेकर फसल कटाई तक निशुल्क की है। बरसात के इस मौसम में हो रहे चुनाव में दारु, मुर्गा, पैसा जम कर खर्च किया जा रहा है। छोटे-छोटे बच्चे नारा भी लगा रहे हैं। जो इस पोस्ट की हेडिंग है, प्रत्याशी भी आपूर्ति करने में पीछे नहीं हैं। वहीँ मतदाता पीने और खाने में कमजोर नहीं हैं। कुछ बस्तियों में एक प्रत्याशी खिला-पिला कर जाता है। उसके जाते ही दूसरा प्रत्याशी आ जाता है और मतदाता उसकी दारु पीने लगते हैं और खाने लगते हैं।
इस चुनाव में देवर-भौजाई, पिता-पुत्र, भाई-भाई, देवरानी-जेठानी सहित सभी रिश्तों को भूल कर एक दूसरे के मुकाबले प्रत्याशी खड़े हुए हैं। इस चुनाव में एक बात यह भी उभर कर आ रही है कि 24 सितम्बर को आने वाले फैसले का ज्यादा प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों पर नहीं पड़ेगा। मत प्राप्त करने के लिए दोनों धर्मों के लोग एक दूसरे के प्रति अत्यधिक उदार हैं जिसकी कोई सीमा नहीं है।
वहीँ भ्रष्टाचार के गंगा स्नान में पंचायत चुनाव से जुड़े हुए सरकारी कर्मचारी भी जम कर स्नान कर रहे हैं। जिला पंचायत नोडुस प्रमाण पत्र लेने के लिए 150 रुपये की रसीद दी जाती है और प्रत्याशी से 200 रुपये लिए जाते हैं और इस तरह से पंचायत क्षेत्र पंचायत तहसील नोडुस प्रमाण पत्र की अलग-अलग फीस हैं और सहयोग राशि अलग-अलग है। नामांकन फार्म भी ब्लैक में बेचा जा रहा है। वहीँ नोटरी अधिवक्ताओं को भी लाभ हो रहा है वह भी मनमाने तरीके से अपनी-अपनी फीस वसूल रहे हैं।
यह उत्तर प्रदेश में चल रहे पंचायत चुनाव की एक तस्वीर है। आगे और भी तस्वीरें आएँगी।

सुमन
लो क सं घ र्ष !

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