ज्योति पर्व के दिए देश के अन्दर मौजूद सांप्रदायिक जेहनियत को जलाकर राख कर दें
नवम्बर 5, 2010 Loksangharsha द्वारा

आज राम का वनवास खत्म हुआ। राम वापस आये उसी के अवसर पर हम सब दीये जलाकर अपनी ख़ुशी का इजहार कर रहे हैं। हमारी कामना है, हमारी आराधना है कि हमारा देश, देश के नागरिक समृद्धि की ओर, प्रगति की ओर आगे बढें। देश की सम्रद्धि उस देश के नागरिकों की समृद्धि से आगे बढ़ता है । किन्तु अगर देश की खुशहाली चंद हाथों में सिमट जाए तो देश की निर्माण करने वाली शक्तियां मजदूर और किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाती हैं। देश की बहुसंख्यक जनता अपनी भूख और प्यास से उबार नहीं पायी है। दूसरी तरफ हम आप करोडो रुपये के पटाके दगा कर उनकी भूख और प्यास का उपहास उड़ा रहे होंगे।
इस देश की एकता और अखंडता की हिफाजत तभी तक संभव है जब तक कोई नागरिक असंतुष्ट न होने पाए। साल भर लोग भाषा, प्रान्त, धर्म, जाति आदि के सवाल खड़े कर एक दूसरे को पराजित करने का सपना संजोये रहते हैं। जिससे देश कमजोर होता है। आइये हम आप यह कामना करें सांप्रदायिक , भाषाई, प्रांतीय, जातीय जेहनियत को ज्योति पर्व के दीये जलाकर राख कर दें। जिससे देश के नागरिक समृद्धि की ओर आगे बढ़ सकें।
ज्योति पर्व के अवसर पर आप सभी को लोकसंघर्ष परिवार की तरफ हार्दिक शुभकामनाएं।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
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