
अजमेर शरीफ के बम धमाकों में इन्द्रेश कुमार सहित संघ के कई महत्वपूर्ण पदाधिकारियों के नाम ए.टी.एस की जांच में आये हैं और आरोप पत्र में उनके नाम लिखे हैं। जिससे पीड़ित होकर संघ के इतिहास में पहली बार आपने बगैर किसी मुखौटे के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ 10 नवम्बर को धरना प्रदर्शन करने जा रहा है। मोहन भागवत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में धरना प्रदर्शन की अगुवाई भी करेंगे। संघ की प्रमुख विशेषता यह है कि वह अर्ध्य सत्यों का सहारा लेकर जर्मन नाजीवादी विचारधारा से ओत-प्रोत हिन्दुवत्व के प्रचार प्रसार के लिए कार्य करती है और जब आतंकी गतिविधियों में वह फंसने लगती है तब हिन्दुवत्व की बजाये हिन्दू धर्म का प्रयोग करने लगती है। कल के मुख्य प्रदर्शन का एजेंडा है ‘ कांग्रेस की कथित हिन्दू विरोधी नीतियों के खिलाफ धरना प्रदर्शन ‘ है। संघ की वेबसाइट से आतंकी गतिविधियों में संलग्न संघीयों के नाम हटा दिए गए हैं। महात्मा गाँधी जी की हत्या के बाद नाथू राम गोडसे के सम्बन्ध में भी संघ ने कहा था कि वह हमारे कार्यकर्ता नहीं हैं और बाद में नाथू राम गोडसे के भाई ने प्रेस कांफ्रेंस कर संघ से जुड़े हुए होने की बात स्वीकार की थी। 1984 में श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद हुए नरसंहार में संघ की हिन्दुवत्व की विचारधारा का महत्वपूर्ण योगदान था। संघ यह भी दवा करता है कि प्राकृतिक आपदाओं के समय हम निस्वार्थ भाव से सभी की मदद करते हैं। हिटलर ने भी नरसंहार करने से पहले जनता के हित में कुछ अच्छे कार्य भी किये थे। चम्बल के डाकू भी सभी को नहीं लूटते हैं और लूटने के बाद कुछ रुपया इधर-उधर अपनी शोहरत को अच्छा साबित करने के लिए खर्च करते हैं।
मोहन भागवत जी यदि आप में जरा भी ईमानदारी है तो महात्मा गाँधी से लेकर मालेगांव होते हुए अजमेर शरीफ के ब्लास्ट तक की संघीय कार्यवाइयों की जिम्मेदारी लीजिये। हिन्दू धर्म नरसंहारों का, विस्फोटो का, आतंकियों का धर्म नहीं है लेकिन संघ के हिन्दुवत्व के कारण आपकी आतंकी घटनाओ के कारण हिन्दू धर्म बदनाम होता है। जरा, इमानदारी से दिल पर हाथ रख कर सोचिये हमसे ज्यादा आप अच्छी तरीके से इन बातों को जानते हैं।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
26.922508
81.192487
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