1) अनादि ब्रम्ह ने लोक कल्याण एवं सम्रद्धि के लिए अपने मुख, बांह, जांघ तथा चरणों से क्रमश: ब्राहमण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र उत्पन्न किया।
2) भगवान ने शूद्र वर्ण के लोगों के लिए एक ही कर्तव्य-कर्म निर्धारित किया है-तीनो अन्य वर्णों की निर्विकार भाव से सेवा करना।
3) शूद्र यदि द्विजातियों- ब्राहमण क्षत्रिय और वैश्य को गाली देता है तो उसकी जीभ काट लेनी चाहिए क्योंकि नीच जाति का होने से वह इसी सजा का अधिकारी है।
4) शूद्र द्वारा अहंकारवश ब्राहमणों को धर्मोपदेश देने का दुस्साहस करने पर राजा को उसके मुंह एवं कान में गरम तेल डाल देना चाहिए।
5) शूद्र द्वारा अहंकारवश उपेक्षा से द्विजातियों के नाम एवं जाति उच्चारण करने पर उसके मुंह में दस ऊँगली लोहे की जलती कील थोक देनी चाहिए।
6) यदि वह द्विजाति के किसी व्यक्ति पर जिस अंग से प्रहार करता है, उसका वह अंग काट डाला जाना चाहिए, यही मनु की शिक्षा है। यदि लाठी उठाकर आक्रमण करता है तो उसका हाथ काट लेना चाहिए और यदि वह क्रुद्ध होकर पैर से प्रहार करता है तो उसके पैर काट डालना चाहिए।
8) उच्च वर्ग के लोगों के साथ बैठने की इच्छा रखने वाले शूद्र की कमर को दाग करके उसे वहां से निकाल भगाना चाहिए अथवा उसके नितम्ब को इस तरह से कटवा देना चाहिए जिससे वह न मर सके और न जिये।
9) अहंकारवश नीच व्यक्ति द्वारा उच्चजाति पर थूकने पर राजा को उसके होंठ, पेशाब करने पर लिंग एवं हवा छोड़ने पर गुदा कटवा देना चाहिए।
10) शूद्र द्वारा अहंकारवश मार डालने के उद्देश्य से द्विजाति के किसी व्यक्ति के केशों, पैरों, दाढ़ी, गर्दन तथा अंडकोष पकड़ने वाले हाथों को बिना सोचे-समझे ही कटवा डालना चाहिए।
क्रमश:
-आरएसएस को पहचानें किताब से साभार
क्या यह किताब मूल रूप से मुझे मिल सकती है . आपके द्वारा अगर उप्लब्ध हो जाये तो बेहतर रहेगा
dhiru bhai namaskaar
kitaab ka naam hai आरएसएस को पहचानें
publisher
Empower India press,
SF/14c, hameed shah complex,
Cubbanpet, Banglore -560002
INDIA
writer
Shamsul islam
email: notoinjustice@gmail.com
truth is truth but very dengerus
@ धीरु सिंह – आपको नहीं मिलेगी… यह सिर्फ़ वकीलों के लिये आरक्षित है…
क्या आप सेकु्लर वकील हैं? यदि नहीं, तो फ़िर आपको कोई हक नहीं है कि मनु स्मृति में से ऊटपटांग व्याख्याओं को RSS की विचारधारा के नाम पर प्रचारित करते फ़िरें…
@ नाइस अंकल – लगे रहो…
शम्शुल इस्लाम को इतना इलहाम( ग्यान) कब से होगया जो मनु-स्म्रति को समझ सके—-एसी मूर्खतापूर्ण कोई बात स्म्रति में नहीं है…. प्रसन्गवश विशिष्ट संदर्भ में. लक्षणात्मक भाव – कथन को समझे बिना लोग वेपर की उडाया करते हैं…..
—उपरोक्त नियमों के परिणाम स्वरूप कितनी सजाओं के उदाहरण इतिहास में मौज़ूद हैं, जरा गिन कर बतायें, …..