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Archive for जनवरी, 2011



अमेरिका की चापलूसी करने के लिए हम पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गए हैं। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के चेहरे के ऊपर अमेरिकन राष्ट्रपति ने शराब गिरा दी थी। रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीज के अंडर वियर तक उतरवाकर तलाशी ली गयी थी। अमेरिका में राजदूत मीरा शंकर के साथ बेहूदगी से तलाशी ली गयी। संयुक्त राष्ट्र संघ में भारतीय दूत सरदार जी की भी तलाशी ली गयी और हम बुरा नहीं माने, बुरा मान कर हम कर ही क्या सकते हैं क्योंकि इससे पहले ब्रिटिश साम्राज्यवाद के समय में अंग्रेज भारतीयों को मजदूर के रूप में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में ले गए और दास बनाकर उनसे कार्य कराया पानी के जहाजों में उनको कोड़े मार-मार कर जहाज चलवाए गए। कोड़ों की मार सह न पाने के कारण सैकड़ों मजदूर मर जाते थे किन्तु अपने देश का अभिजात्य वर्ग ब्रिटिश साम्राज्य के यशोगान में ही लगा रहता था। उसी तरह से अब हमारी सरकार और मुख्य विपक्षी दल के नेता अमेरिकन साम्राज्यवाद के नौकर मात्र हैं, यशोगान करना उनका धर्म है।
कैलिफोर्निया में सैकड़ों भारतीय छात्रों को रेडियो कालर पैरों में कैद कर दिए गए हैं। जो उनकी गतिविधियों को सेटेलाईट के माध्यम से सिग्नल देते रहते हैं यह टैग जंगली जानवरों पर नजर रखने के लिए पहनाएं जाते हैं। और भारतीय संघ के राष्ट्राध्यक्ष से लेकर मुख्य विपक्षी दल के नेता गण चुप्पी साधे हैं। अगर किसी छोटे मुल्क ने जरा सा भी अनुचित हरकत की होती तो यहाँ का अभिजात्य वर्ग अपने मुंह से तोप और तलवार अवश्य चला रहा होता। यही हमारी मानसिकता है और यही यथार्त है।

सुमन
लो क सं घ र्ष !

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बाराबंकी जनपद में गणतंत्र दिवस के अवसर पर पुलिस लाइन में मुख्य समारोह आयोजित होता है। जब प्रदेश सरकार में डॉक्टर संग्राम सिंह राज्यमंत्री होते हैं तब झंडारोहण वही करते हैं और परेड की सलामी लेते हैं। राज्यमंत्री संग्राम सिंह की पृष्टभूमि में नारकोटिक्स ड्ग्स स्मगलर की रही है कई सरकारों में जब जब वह मंत्री हुए हैं तो 26 जनवरी को झंडारोहण का भार जिला प्रशासन उन्ही को सौंपता है। इस बार 26 जनवरी को झंडारोहण के समय डोरी टूट गयी और झंडा जमीन पर आ गिरा, किसी तरह पुन: झंडा बांधने का प्रयास शुरू हुआ कि झंडे का पोल राज्यमंत्री के ऊपर गिरते-गिरते बचा। भ्रष्टाचार से झंडे की डोरी भी नहीं बची है और सम्पूर्ण जिला प्रशासन एक झंडे की डोरी व उसका स्तम्भ सही तरीके से संचालित नहीं कर सकता है। इस तरह से राष्ट्रीय कार्यक्रम संपन्न होते हैं आर राष्ट्रीय झंडा भी शायद अपना और अपमान नहीं सहन कर सकता था कि वह किसके हाथों से फ़हराया जा रहा है और गिर पड़ा।

सुमन
लो क सं घ र्ष !

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माननीय उच्चतम न्यायलय ने कहा कि आदिवासी देश के असली नागरिक हैं। शेष 92 फ़ीसदी लोग आव्रजक आक्रमणकारियों की संतानें हैं। लेकिन हम उनके साथ बुरा व्यवहार करते हें पुराने समय में उन्हें राक्षस और असुर न जाने क्या क्या कहा जाने लगा जबकि ये लोग गैर आदिवासियों के मुकाबले चरित्रवान होते हें, ये न कभी झूठ बोलते हें न कभी ठगते हैं। लेकिन इन पर लगातर अत्याचार होते रहे हैं। इसकी वजह से ये लोग सैकड़ों साल पहले जंगलों में चले गए। आज वे सबसे ज्यादा अशिक्षित, भूमिहीन, बीमार तथा काम आयु तक जीवित रहने वाले लोग बन गए हैं। लेकिन अब जंगलों में भी उन्हें विकास के नाम पर बेदखल किया जा रहा है। कभी खदानें तो कभी कारखाना लगाकर उन्हें वहां से भी खदेड़ा जा रहा है। वाक्य आ गया है कि हम उनके प्रति किये गए ऐतिहासिक अन्याय के बदले में उनके साथ अच्छा व्यवहार करें तथा उन्हें अपना जीवन जीने दें।
माननीय उच्चतम न्यायलय की इस टिपण्णी के बाद जरा अपने बारे में सोचिये कि आप क्या हैं ?

सुमन
लो क सं घ र्ष !

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हम लड़ेंगे साथी, उदास मौसम के लिए
हम लड़ेंगे साथी, गुलाम इच्छाओं के लिए
हम चुनेंगे साथी, जिन्दगी के टुकड़े
कत्ल हुए ज़ज़्बों की कसम खाकर
बुझी हुई नजरों की कसम खाकर
हाथों पर पड़े घट्ठों की कसम खाकर
हम लड़ेंगे साथी
जब बंदूक न हुई, तब तलवार होगी
जब तलवार न हुई लड़ने की लगन होगी
लड़ने का ढंग न हुआ, लड़ने की जरूरत होगी
और हम लड़ेंगे साथी…..
हम लड़ेंगे
कि लड़े बगैर कुछ नहीं मिलता
हम लड़ेंगे कि अब तक लड़े क्यांे नहीं

हम लड़ेंगे अपनी सजा कबूलने के लिए
लड़ते हुए जो मर गए
उनकी याद जिंदा रखने के लिए
हम लड़ेंगे साथी……

-पाश

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…….गतांक से आगे

विश्लेषण के १५ भागों में आप कई ज्वलंत मुद्दों और साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों को प्राणवायु देने वाले चिट्ठोंकी चर्चा मेंशामिल रहे ,किन्तु आज मैं जिन चिट्ठाकारों की चर्चा करने जा रहा हूँ उनके अवदान को न तो यह समाज कभी खारिज कर पायेगा और न ही यह ब्लॉगजगत !
ब्लॉग लेखन एक तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है और लोग तेजी से इसकी ओर आकृष्ट हो रहे हैं। ऐसे में इसके द्वारा विज्ञान संचार की अपार सम्भावनाएं छिपी हुई हैं। ब्लॉग लेखन की सबसे बडी विशेषता यह है कि यह पूरे विश्व में पढा जा सकता है और अनन्त समय तक अंतर्जाल पर सुरक्षित रहता है। इसके साथ ही साथ विश्व के किसी भी कोने से किसी भी सर्च इंजन द्वारा खोजने पर ब्लॉग में उपलब्ध सामग्री तत्काल ही इच्छुक व्यक्ति तक पहुंच जाती है। यही कारण है कि ब्लॉग लेखन द्वारा विज्ञान संचार की अपार सम्भावनाएं बनती हैं। यदि ब्लॉग लेखकों और विज्ञान संचारकों को इसके महत्व एवं प्रक्रिया की समुचित जानकारी प्रदान की जाए, तो विज्ञान संचार के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र साबित हो सकता है।
जी हाँ ,मैं बात कर रहा हूँ समाजिक एवं वैज्ञानिक चेतना के प्रचार के लिए कार्य करने वाले ब्लॉग की ,जिनके द्वारा केवल ब्लॉग पर ही नहीं,अपितु अनेक कार्यक्रमों को क्रियान्वित किया जाता है, ताकि जन चेतना को विज्ञान से जोड़ा जा सके !विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन, और प्रयोग से मिलती है, जो कि किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है । इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय का क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के ‘ज्ञान-भण्डार’के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है।

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इस दिशा में एक ब्लॉग है तस्लीम , जिसके द्वारा विभिन्न स्थानों एवं समयों पर विविध कार्यक्रम सम्पन्न किये जाते रहे हैं तथा वैज्ञानिक जागरूकता के काम को नियमित रूप से सम्पादित किया जाता रहा है।तस्लीम द्वारा निष्पादित उक्त गतिविधियों को विद्वतजनों ने न सिर्फ पसंद किया है, बल्कि समाचार पत्रों आदि में इस सम्बंध में प्रकाशित रिपोर्टों आदि ने संस्था का उत्साहवर्द्धन किया है। इसके अतिरिक्त ब्लॉग पर उपलब्ध सामग्री को सम्पूर्ण विश्व में ११ हजार से अधिक पाठकों द्वारा न सिर्फ पढ़ा गया है, बल्कि अपनी टिप्पणियों के द्वारा इसे सराहा और प्रोत्साहित भी किया गया है।तस्लीम‘ ने अपने ब्लॉग कार्यशालाओं के माध्यम से विज्ञान संचार के अपने प्रयासों के दौरान यह देखा है कि हिन्दी भाषी लागों में इससे जुड़ने की प्रबल आकांक्षा है किन्तु तकनीकी जानकारी न होने के कारण वे पीछे रह जाते हैं। इस दिशा में तस्लीम के द्वारा किया जा रहा कार्य प्रसंशनीय है ! इस ब्लॉग के ३३९ प्रशंसक हैं ! इस संस्था के अध्यक्ष हैं अब्दुल कवी, उपाध्यक्ष हैं डा0 अरविंद मिश्र, सचिव हैं ज़ाकिर अली ‘रजनीश, ‘ कोषाध्यक्ष हैं अर्शिया अली, सक्रिय सहयोगी हैं जीशान हैदर ज़ैदी !

दूसरा ब्लॉग है साईंस ब्लोगर असोसिएशन,इसकी स्‍थापना 20 दिसम्‍बर 2008 को हुई थी। यह भी अंधविश्वास के प्रति एक अभियान का हिस्सा है, जो ब्लॉग पोस्ट और विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से वैज्ञानिक गतिविधियों को प्राणवायु देने का महत्वपूर्ण कार्य करता है ! इस पर प्रत्येक वर्ष “साईंस ब्लोगर ऑफ़ दी ईयर” का खिताब किसी एक ब्लोगर को प्रदान किया जाता है !यह मंच है विज्ञान के ब्लागरों का, यहाँ होता है विज्ञान का संवाद और संचार ब्लॉग के जरिये और होती हैं विज्ञान और टेक्नोलॉजी की बातें, जन जन के लिए, आम और खास के लिए भी! इनका कहना है कि आप वैज्ञानिक हो तो भी इस ब्लॉग से जुडें, जन संचारक हों तो भी आपका स्वागत है इस ब्लॉग पर ! इस संस्था के अध्यक्ष हैं डा0 अरविंद मिश्र, उपाध्यक्ष हैं ज़ीशान हैदर ज़ैदी,सचिव हैं ज़ाकिर अली ‘रजनीश’, कोषाध्यक्ष हैं अर्शिया अली,तकनीकि निर्देशक हैं विनय प्रजापति तथा इसके सक्रिय सहयोगी हैं रंजना भाटिया,अल्पना वर्मा,मनोज बिजनौरी,जी0के0 अविधया,सलीम खान,डा0 प्रवीण चोपड़ा,अभिषेक मिश्रा,अंकुर गुप्ता,अंकित,हिमांशु पाण्डेय,पूनम मिश्रा और दर्शन बवेजा आदि !
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विज्ञान का एक और महत्वपूर्ण ब्लॉग है साईब्लाग [sciblog] , ब्लोगर हैं डा अरविन्द मिश्र !यह ब्लॉग २९ सितंबर -२००७ को अस्तित्व में आया !ब्लॉग पर वैज्ञानिक जागरूकता लाने के उद्देश्य से सक्रिय लोगों में सर्वाधिक चर्चित ब्लोगर हैं डा अरविन्द मिश्र , जिनका इस ब्लॉग को शुरू करने के पीछे जो उद्देश्य रहा है उसके बारे में इनका कहना है कि -” मेरा मानना है कि ब्लॉग एक खुली डायरी है ,वेब दुनिया का एक सर्वथा नया प्रयोग .अभिव्यक्ति का एक नया दौर .एक डायरी चिट्ठा कैसे बन गयी /या बन सकती है मेरा मन स्वीकार नहीं कर पा रहा.फिर चिट्ठे से कच्चे चिट्ठे जैसी बू भी आती है .मगर चूँकि नामचीन चिट्ठाकारों ने इस पर मुहर लगा दी है और यह शब्द भी अब रूढ़ सा बन गया है मैंने पूरे सम्मान के साथ असहमत होते हुए भी इसे स्वीकार तो कर लिया है पर अपने हिन्दी ब्लॉग पर इस प्रयोग के दुहराने की हिम्मत नही कर पाया -इसलिए देवनागरी मे ही अंगरेजी के शब्दान्शों को जोड़ कर काम चलाने की अनुमति आप सुधी जनों से चाहता हूँ.इस ब्लॉग पर मैं विज्ञान के विविध विषयों पर अपना दिलखोल विचार रख सकूंगा .यह ब्लॉग तो अभी इसके नामकरण पर ही आधारित है .आगे विज्ञान की चर्चा होगी …!”

इसके अलावा इस वर्ष जहां-जहां ब्लॉग पर वैज्ञानिक गतिविधियाँ देखी गयीं उसमें प्रमुख Science Fiction in India , विज्ञान गतिविधियां Science Activities , क्यों और कैसे विज्ञान मे , प्रश्न मंच ,ईमली ईको क्लब Tamarind Eco Club ,सर्प संसार (World of Snakes) , Dynamic , स्वच्छ सन्देश: विज्ञान की आवाज़ , विज्ञान की दुनिया… हिंदी के झरोखे से…, विज्ञान हिन्दी वेबसाइट , विज्ञान – विक्षनरी , विज्ञान BBC Hindi , Hash out Science » विज्ञान » चर्चा,विज्ञान , विज्ञान « Hindizen – निशांत का हिंदीज़ेन …, कलिकऑन , विज्ञान मन आदि !
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देखा जाए तो हिंदी ब्लोगिंग में विज्ञान से संवंधित ब्लॉग का अभी भी अभाव है, अन्य विषयों के ब्लॉग की तुलना में विज्ञान से जुड़े हुए ब्लॉग काफी कम है ! इस संवंध में दर्शन बबेजा का कहना है कि “सभी शिक्षक अपनी जिम्मेदारी को समझें विज्ञान एवँ पर्यावरण के प्रति विद्याथियों को शिक्षित करें। जिससे उनमें पर्यावरण की रक्षा करने की जागरुकता आए। यह कार्य अत्यावश्यक इसलिए है कि विद्यार्थी के कोमल मन मस्तिष्क पर बचपन में प्राप्त ज्ञान की अमिट छाप रह्ती है और वह इसे जीवन भर नहीं भूलता। इसलिए अंधविश्वाश निवारण एवं पर्यावरण संरक्षण में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका है, इससे इंकार नही किया जा सकता।” 
इस वर्ष आये विज्ञान से संवंधित नए ब्लोगों में सर्वाधिक चर्चित रहा स्वच्छ सन्देश: विज्ञान की आवाज़ , लखनऊ के हरफनमौला ब्लोगर सलीम खान का यह विषय पर आधारित ब्लॉग ०२ जनवरी-२०१० को ब्लॉगजगत का हिस्सा बना और अपने कतिपय महत्वपूर्ण पोस्टों के माध्यम से हिंदी ब्लोगिंग में हलचल पैदा करने में सफल रहा है ! इस नए ब्लॉग को मेरी शुभकामनाएं !
इसके अलावा विज्ञान की नित नयी जानकारी इन्द्रजाल मे उपलब्ध कराने का एक विनम्र प्रयास किया जा रहा है विज्ञान विश्व के द्वारा ! विज्ञान व तकनीक से जुड़े मुद्दों पर चर्चा, सवाल-जवाब तथा सूचना का आदान प्रदान करने में इस वर्ष सार्थक भूमिका निभाया ज्ञान- विज्ञान ने ! इस वर्ष कुछ इधर की, कुछ उधर की ब्लॉग पर एक सार्थक पोस्ट २९ मई २०१० को देखी गयी , विषय था मनोविज्ञान—मन का विज्ञान या आत्मा का ?
आईये अब आपको एक ऐसी साईट पर ले चलते हैं जहा कुछ ख़ास है आपके लिए !भारत सरकार के द्वारा 1989 में स्थापित संस्था “विज्ञान प्रसार” का कार्य विज्ञान को आम लोगों विशेषकर बच्चों में लोकप्रिय बनाना है। विज्ञान प्रसार की हिन्दी पत्रिका “विज्ञान प्रगति” जिन्होंने पढ़ी होगी वे अवश्य इससे परिचित होंगे। किंतु वि.प्र. के जालस्थल में अनेक कमियाँ भी दिखायी देती हैं। ऐसा अकसर होता है कि सरकार के हिन्दी को बढ़ावा देने के उपक्रम मूलतः प्रतीकात्मक रह जाते हैं। यही कारण है इस जाल-स्थल पर अधिकांश सामग्री अंग्रेजी में है और केवल बाहरी लिंक हिन्दी में हैं। यद्यपि प्रयास सराहनीय है। किंतु अच्छा होता यदि अंदर की सामग्री भी हिन्दी में होती।भाषा के प्रश्न को छोड़ दें तो यदि आप विज्ञान में रूचि रखते हैं या अपने घर परिवार के बच्चों को विज्ञान की सरल-सुलभ जानकारी देना चाहते हैं तो एक बार इस जाल-स्थल पर अवश्य जाएँ। विज्ञान प्रसार के जाल-स्थल पर जाने के लिये यहाँ क्लिक करें।

रवीन्द्र प्रभात

परिकल्पना ब्लॉग से साभार

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लोकसंघर्ष पत्रिका के दिसम्बर 2010 अंक से

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संसद में 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले के कारण पूरे सत्र में विधायी कामगाज नहीं हुआ तो दूसरी ओर राष्ट्रमण्डल खेल के आयोजन में कांग्रेस व मुख्य विपक्षीदल भाजपा ने मिलकर सत्तर हजार करोड़ रूपये का घोटाला किया। बड़े आठ घोटालों ने लगभग 50 हजार करोड़ रूपयों को हड़प लिया जिसमें सत्यम्, हर्षद मेहता स्टाम्प, तेल काण्ड प्रमुख हैं।
घोटालों का दूसरा रूप यह भी है कि वित्त मंत्री प्रणव कुमार मुखर्जी ने फाइनेन्स एक्ट 2009 में एक भाग 35 ए0डी0 अलग से जोड़ दिया, जिससे हिन्दुस्तान में एक मात्र लाभार्थी मुकेश अम्बानी को लगभग 20 हजार करोड़ रूपये का शु( फायदा हुआ। यह विधि बनाने व विधि में संसोधन करने का घोटाला है। विधायन संस्थाओं में टैक्स सम्बंधी संशोधन करके विभिन्न उद्योगपतियों को हजारों-हजार करोड़ रूपये का लाभ देकर दूसरे हाथ से चंदा लेने का काम पूँजीवादी राजनैतिक दल कर रहे हैं।
गरीबों को जब कोई छूट, बाढ़ या सूखा के समय दी जाती है तो हो हल्ला हंगामा बड़े बड़े विज्ञापन निकालकर ढिंढोरा पीटा जाता है। वहीं 2008-09 में हिन्दुस्तान के बड़े-बड़े पूँजीपतियों को 68 हजार 914 करोड़ रूपये की छूट दी गई। आम आदमी के कर्ज माफी से सात गुना ज्यादा रूपया देश में लगभग सौ धनाढ्य परिवारों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दिया गया है।
ट्रान्सपेरेसी इण्टरनेशनल के अनुसार सिर्फ ट्रक वालों से आर0टी0ओ0 व पुलिस विभाग 22 हजार 200 करोड़ रूपये घूस वसूलती है। बड़ौत कोतवाली में अन्दर जाने वाले व्यक्ति से 50 रुपये वसूले जाने के बाद पुलिस वालों की आपसी कहासुनी में यह मामला प्रकाश में आया कि थाने के अन्दर जाने के लिए इण्ट्री फीस होती है। पुलिस 25 लाख बी0पी0एल0 परिवारों से लगभग 214 करोड़ रूपये घूस वसूलती है। पुलिस विभाग में प्रत्येक कार्य के लिए घूस के मद हैं। जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को आवश्यकता पड़ने पर अपनी शक्ति के अनुसार घूस देनी है।
शहर के एक हत्याकाण्ड में पुलिस व राजस्व के अधिकारियों ने लगभग 40 लाख रूपये वसूले। मोहल्ले में लोगों के घरों में घुसकर तोड़फोड़ की गई और सामान को लूटा भी गया। एक छोटी सी लूट या चोरी होने पर पुलिस की लाटरी निकल आती है। शक के आधार पर 30 या 40 बच्चों को थाने में बन्द करके पिटाई करना और फिर उनके अभिभावकों से उनकी शक्ति के अनुसार वसूली की जाती है और पैसा न देने वाले बच्चों का चालान सम्बंधित अपराध में कर दिया जाता है। प्रिन्ट और इलेक्ट्रानिक मीडिया इन मामलों में भरपूर सहयोग करती है। पुलिस के बताने पर मय फोटो फर्जी बरामदगी के साथ प्रकाशित किया जाता है। इलेक्ट्रानिक चैनल 24 घण्टे बार-बार समाचार प्रसारित कर खूँखार अपराधी घोषित कर देते हैं। आम्र्स लाइसेन्सेज में शपथ पत्र में तथ्य गलत होने पर उस व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही करने की बात मीडिया में आती है लेकिन जिस पुलिस अधीक्षक, उप अधीक्षक या पुलिस अधिकारी के रिपोर्ट के आधार पर शस्त्र लाइसेन्स जारी होता है उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती है। जबकि फर्जी शपथ पत्र उन्हीं की सलाह पर लोग लगाते हैं। यही हाल जनपद के कोटेदारों का है। तहसील और ब्लाक स्तर पर ही चावल और गेहूँ सीधे ब्लैक कर दिया जाता है और उत्पीड़न करने के लिए किसी न किसी कोटेदार से उसका सम्बन्ध जोड़ा जाता है। पूर्ति विभाग के किसी भी कर्मचारी व अधिकारी के खिलाफ प्रशासन कार्यवाही नहीं करता है क्योंकि प्रशासन का भी उसमें हिस्सा होता है।
जनपद की विकास योजनाओं में घोटाले ही घोटाले हैं लेकिन जब कार्यवाही की बात आती है तो निर्वाचित प्रधान के खिलाफ होती है लेकिन उसमें शामिल पंचायत सेक्रेट्री व मुख्य विकास अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही नहीं होती है।
विद्युत विभाग से लेकर शिक्षा विभाग तक इस घोटाला प्रतियोगिता में जमकर हिस्सा ले रहे हैं। विद्युत विभाग के मीटर सेक्शन के इंजीनियर श्री खान बगैर 500 रूपये लिए हस्ताक्षर करना अपनी शान में गुस्ताखी समझते हैं, तो सिंचाई विभाग भी पीछे नहीं है वह माइनरों की सफाई न कर उसकी धनराशि हड़पकर जाने में आगे है और फर्जी सिंचाई दिखलाकर राजस्व विभाग किसानों की खाल उतरवाने में माहिर है।
राजस्व विभाग जो पुराने जमीनदारों के लट्ठबाजों द्वारा वसूली के अपनाएँ गये तरीकों से चार कदम आगे बढ़कर वसूली करता है या यूँ कहे वर्तमान में सूदखोरों के गुण्डे मारपीट कर अनाप शनाप रकम वसूलते हैं। राजस्व विभाग के पास आर0सी0 पहुँच जाए और सम्बंधित विभाग इसे वापस भी ले लो तो भी 10 प्रतिशत वसूली चार्ज करने के लिए राजस्व विभाग सम्बंधित व्यक्ति के घर में मिलेगा। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण माती क्षेत्र के बिजली विभाग की आर0सी0 की 10 प्रतिशत वसूली चार्ज के लिए राजस्व विभाग द्वारा अभियान चलाया जा रहा है जबकि मा0 उच्च न्यायालय अपने आदेश में कई बार कह चुका है कि 2 से 3 प्रतिशत से अधिक रिकवरी चार्ज नहीं वसूले जायेंगे।
अलाव घोटाले से लेकर कम्बल घोटाले तक चर्चा में है। वहीं विधवा विकलांग, वृ(ावस्था पेंशनों में भी घोटाले ही घोटाले हैं। स्थिति तो यहाँ तक पहुँच गयी है कि किसी मुर्दे को अगर अच्छा कफन ओढ़ाकर लोग लिए जा रहे हैं तो उसमें भी वसूली कर ली जाती है।
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने सन् 2011 को भ्रष्टाचार विरोधी वर्ष मनाने का निर्णय लिया है।

सुमन
लो क सं घ र्ष !

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…..गतांक से आगे

वर्ष-२०१० में हिंदी ब्लॉगजगत को अचानक सदमें में ले गयी ब्लोगवाणी ! कई लोगों ने इसका कारण बताया ब्लोगवाणी का अव्यवसायिक होना तो कईयों ने कहा कि ब्लोगवाणी कुछ लोगों के साथ पक्षपातपूर्ण रबैया अपना रही थी और जब विरोध हुआ तो उसने बोरिया-विस्तार समेट ली ! कारण कुछ भी रहा हो मगर ब्लोवाणी का बंद होना हिंदी ब्लॉगजगत के लिए एक दु:खद पहलू रहा !

वरिष्ठ ब्लोगर श्री रवि रतलामी का मानना है कि -“ब्लॉगवाणी और फिर चिट्ठाजगत की अकाल मृत्यु के पीछे इनका घोर अ-व्यवसायिक होना ही रहा है. मेरे विचार में यदि ये घोर व्यवसायिक होते, अपने सृजकों के लिए नावां कमाकर देने की कूवत रखते और परमानेंट वेब मास्टर रखने, नित नए सपोर्ट व इनफ्रास्ट्रक्चर जुटाने की कवायदें करते रहते तो इनमें सभी में व्यवसायिक रूप से पूर्ण सफल होने की पूरी संभावनाएँ थीं….!” वहीं एक और प्रमुख ब्लोगर श्री जाकिर अली रजनीश का मानना है कि -“वहाँ पर जान बूझकर एक खास प्रकार की नकारात्मक मानसिकता वाली पोस्टों को तो लगातार बढ़ावा दिया जा रहा था पर कम्यूनिष्ट तथा अन्‍य विचारधारा वाले लोगों के ब्लॉग तक नहीं रजिस्टर्ड किये जा रहे थे। जो लोग इसके शिकार बने, उनमें ‘नाइस’ मार्का सुमन जी का नाम सबसे ऊपर है। यहाँ तक तो जैसे-तैसे मामला चल रहा था, लेकिन जब ब्लॉगवाणी ने जानबूझकर पाबला जी को भी अपने लपेटे में ले लिया, तो पानी सिर के ऊपर निकलना ही था, और निकला भी। नतीजतन ब्लॉगवाणी वालों को लगा कि उनका अपमान किया जा रहा है और उन्होंने उसकी अपग्रेडेशन रोक दी।” वहीं डा.अरविन्द मिश्र जी जाकिर भाई के उक्त विचारों से सहमत नहीं थे, उनका कहना था कि -“मैथिली और सिरिल जी ने बिना आर्थिक प्रत्याशा केब्लोगवाणी के माध्यम से हिन्दी ब्लागिंग में जो अवदान दिया उसकी सानी नहीं है ..!”
खैर बौद्धिक जगत में आरोप-प्रत्यारोप चलते रहते हैं, किन्तु कुछ हफ़्तों बाद अचानक चिट्ठाजगत का भी बंद हो जाना हिंदी ब्लॉगजगत की एक बड़ी घटना रही !
चिट्ठा-विश्व और नारद का पतन वर्ष-२०१० से पूर्व हो चुका है, किन्तु हिंदी ब्लोगिंग को प्रमोट करने की दिशा में अग्रणी ब्लॉग एग्रीगेटर ब्लोगवाणी की अकाल मृत्यु पूरे ब्लॉगजगत को चौंका गयी एकबारगी !हिंदी ब्लॉगजगत को सबसे बड़ा झटका लगा वर्ष के आखिरी माह में अनायास ही चिट्ठाजगत के अस्वस्थ हो जाने से, हलांकि अस्वस्थता से उबरकर कुछ ही दिनों में चिट्ठाजगत उठ खडा हुआ था, तब ब्लोगरों, खासकर नए ब्लोगरों में आशा की एक किरण तैर गयी थी ,किन्तु कुछ दिन ज़िंदा रहने के उपरांत चिट्ठाजगत की भी अकाल मृत्यु हो गयी !

उल्लेखनीय है कि चिट्ठाजगत से संदर्भित महत्वपूर्ण सन्दर्भ देते हुए पावला जी ने कहा है कि -” चिट्ठाजगत के पीछे मूलत: 3 व्यक्ति हैं,आलोक कुमार, विपुल जैन, कुलप्रीत (सर्व जी) !आलोक कुमार हिन्दी जाल जगत के आदि पुरूष कहलाते हैं। ये वही हैं जिन्होंने हिन्दी का पहला चिट्ठा नौ दो ग्यारह में लिखना शुरू किया और ब्लॉग को चिट्ठा कह कर पुकारा। वर्षों से ये अपनी वेबसाईट “देवनागरी॰नेट” द्वारा दुनिया को अन्तर्जाल पर हिन्दी पढ़ना व लिखना सिखाते आ रहे हैं। 2007 की शुरूआत में आलोक जी ने अपने चिट्ठाजगत की कल्पना को अपने मित्र विपुल जैन के समक्ष रखा और विपुल उनकी कल्पना से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसको वास्तविक रूप देने की ठान ली। विपुल का अपना एक जाल स्थल “हि॰मस्टडाउनलोड्स॰कॉम” है जहाँ से आप अनेक उपयोगी सॉफ्टवेयरों के नवीनतम संस्करण डाउनलोड कर सकते हैं।इस कार्य में अहम मदद की कुलप्रीत सिंह ने। कुलप्रीत कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में पीएचडी हैं और डबलिन, आयरलैंड में कार्यरत हैं। इन्होंने चिट्ठाजगत की संरचना को बनाने में विपुल की खास मदद की है। कुलप्रीत भारतीय बहुभाषीय जालस्थल “शून्य॰इन” के संस्थापक हैं। जहाँ विभिन्न भारतीय भाषाओं में तकनीकी विषयों पर बहस की जाती है।चिट्ठाजगत पर दिखने वाले विभिन्न ग्राफ़िक्स संजय बेंगाणी जी द्वारा प्रदत्त हैं !” यह वर्ष हलांकि एग्रीगेटर के आने और काल कलवित हो जाने के वर्ष के रूप में याद किया जाएगा, क्योंकि इस वर्ष दो अतिमहत्वपूर्ण ब्लॉग एग्रीगेटर की अकाल मौत हुई है और इसी शोक के बीच कई महत्वपूर्ण ब्लॉग एग्रीगेटर का आगमन भी हुआ है !

आठ माह पूर्व इंडली आई और उसने कई भारतीय भाषाओं में एक साथ ब्लॉग फीड की सुविधा प्रदान किया,इसकी सबसे बड़ी समस्या है ब्लॉग की फीड को ऑटोमैटिक न लेना। ब्लोगवाणी की अकाल मौत के बाद हमारीवाणी अस्तित्व में आई,किन्तु कई प्रकार के अफवाहों के बीच यह अभी भी कायम है !हामारीवाणी की टीम के द्वारा प्रसारित वक्तव्य के आधार पर ” हमारीवाणी की ALEXA रैंकिंग विश्व में 81,000 तक पहुंच चुकी है। इसमें हर दिन सुधार हो रहा है।हमारीवाणी का एक अभिनव प्रयास ये भी है कि एग्रीगेटर को निर्विवाद रूप से चलाने के लिए ब्लॉगजगत से ही मार्गदर्शक-मंडल बनाया जाए। प्रसिद्ध अधिवक्ता और सम्मानित वरिष्ठ ब्लॉगर श्री दिनेशराय द्विवेदी (अनवरत, तीसरा खंभा) ने मार्गदर्शक-मंडल का प्रमुख बनना स्वीकार कर लिया है। लोकप्रिय ब्लॉगर श्री समीर लाल समीर (उड़नतश्तरी), मार्गदर्शक-मंडल के उप-प्रमुख के तौर पर मार्गदर्शन देने के लिए तैयार हो गए हैं। पांच सदस्यीय मंडल के तीन अन्य सदस्य श्री सतीश सक्सेना (मेरे गीत), श्री खुशदीप सहगल (देशनामा), और श्री शाहनवाज़ (प्रेमरस)हैं। हमारीवाणी की पूरी कोशिश रहेगी कि जहां तक संभव हो सके, एग्रीगेटर से विवादों का साया दूर ही रहे। फिर भी कभी ऐसी स्थिति आती है तो मार्गदर्शक मंडल का बहुमत से लिया फैसला ही अमल में लाया जाएगा।”

एक और नया हिंदी ब्लॉग एग्रीगेटर –अपना ब्लॉग हाल ही में चालू हुआ है जो ब्लोगवाणी और चिट्ठाजगत की तरह बेहतरीन, ढेर सारी सुविधाओं वाला, तेज ब्लॉग एग्रीगेटर महसूस हो रहा है !इसके अलावा एक स्वचालित ब्लॉग संकलक यहाँ पर है जिसमें आप रीयल टाइम गूगल सर्च के जरिए संग्रहित ताज़ा 500 हिंदी ब्लॉग पोस्टों को देख सकते हैं. पर चूंकि यह स्वचालित है, और कुछ कुंजीशब्द के जरिए संग्रह करता है, अतः सारे के सारे नवीन ब्लॉग पोस्टें नहीं आ पातीं, फिर भी कुछ पढ़ने लायक लिंक के संग्रह तो मिलते ही हैं !

इस वर्ष एक और ब्लॉग एग्रीगेटर लालित्य पर मेरी नज़र पडी ,यह एग्रीगेटर ललित कुमार का व्यक्तिगत एग्रीगेटर है ,जिसमें उनके द्वारा कुछ उत्कृष्ट ब्लॉग को जोड़ा गया है !ललित कुमार का कहना है कि -” हिन्दी ब्लॉगिंग के बारे में कहा जाता है कि यह अभी तक भी शैशव अवस्था में है। मैं नहीं जानता कि यह कितना सच है लेकिन लालित्य हिन्दी ब्लॉग्स का एक ऐसा एग्रीगेटर है जिसमें केवल अच्छे और उन्नत हो चुके ब्लॉग्स ही संकलित किए जाते हैं। यह ब्लॉग्स केवल तब तक संकलित रहते हैं जब तक उन पर उपलब्ध सामग्री की गुणवत्ता बनी रहती है। इस तरह लालित्य के ज़रिये आपको सीधे, सरल तरीके से उम्दा हिन्दी ब्लॉग्स तक पँहुचने में आसानी होती है !”

कुछ और साईट है जो ब्लॉग को प्रमोट करने की दिशा में कार्य करती है, या फिर जहां आप अपने पसंदीदा ब्लॉग को ढूंढ सकते हैं,जिसमें प्रमुख है ब्लॉगअदा , ब्लोग्कुट, इंडी ब्लोगर, रफ़्तार , ब्लॉग प्रहरी, क्लिप्द इन , हिंदी चिट्ठा निर्देशिका, गूगल लॉग , वर्ड प्रेस की ब्लोग्स ऑफ द डे , वेब दुनिया की हिंदी सेवा, जागरण जंक्सन ,बीबीसी के ब्लॉग प्लेटफार्म आदि ! इसके अतिरिक्त यदि आपको उन ब्लोग्स के बारे में जानने की इच्छा है जिसे समाचार पत्र में समय-समय पर स्थान दिया गया हो तो आप ब्लोग्स इन मीडिया पर क्लिक कर सकते हैं !
इस वर्ष कुछ ब्लोगरों ने फीड क्लस्टर.कॉम के सहयोग से भी ब्लॉग एग्रीगेटर बनाकर अपने साथियों को परस्पर जोड़ने का महत्वपूर्ण काम किया है, जिसमें प्रमुख है आज के हस्ताक्षर, परिकल्पना समूह, महिलावाणी , हिन्दीब्लॉग जगत, हिन्दी – चिट्ठे एवं पॉडकास्ट, ब्लॉग परिवार, चिट्ठा संकलक, लक्ष्य, हमर छत्तीसगढ़, हिन्दी ब्लॉग लिंक आदि ।

Blog Bukharऔर चलते-चलते मैं आपको एक ऐसे ब्लॉग पर ले चलता हूँ जो ब्लॉगजगत के वेहद कर्मठ और हर दिल अजीज ब्लॉग संरक्षक श्री बी एस पावला का ब्लॉग है ब्लॉग बुखार,जिसपर आप ब्लॉग से संवंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त कर सकते हैं ! यह ब्लॉग अपने-आप में अनूठा है !

रवीन्द्र प्रभात

परिकल्पना ब्लॉग से साभार

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तकदीर ने लिखा जिन्दगी का तराना है
महबूब के आगोश में सभी को जाना है

करते रहते हैं इंतज़ार ख़ुशी के ख़त का
खुले खतों में हर्फों सेही दिल बहलाना है

जो करते हैं बातें आसमां तक जाने की
लौट वापस उनको भी जमीं पे आना है

करते हैं मुहब्बत जरुरतमंदों की तरह
क्या दुनिया भी किसी का आशियाना है

जो तूने लिखा दिया इतिहास हो गया
लकीरों में लिखा भी कैसे मिटाना है

जीने का सहारा बन ढूढ़ते हैं ताजिंदगी
तन्हा ही तो एक दिन सबको जाना है

खुद का लिखा न पढ़ पाए “ए जिन्दगी”
क्या लेकर आये क्या ले कर जाना है

जलाते सभी हैं चरागों को शाम ढले ही
”ज्योति” एक दिन सबको बुझ जाना है
-ज्योति डांग

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माँ मुझे इस दुनिया में आने दो!!
जन्म से पहले मौत क्यूँ?
जन्म तो लेने दो!!
क्या कसूर है मेरा?
लड़की हूँ,लड़का नहीं!!
क्यूँ समझती हो मुझे?
अपनी जिन्दगी का अंधेरा!!
मैं बानूगी तुम्हारी,
बिटिया बहुत ही प्यारी!!
-सुनील दत्ता

जिन्दगी के हर पल में,
जिन्दगी की धूप छाँव में,
दूँगी मैं तुम्हारा साथ !!
जब झटक देगा हर कोई तेरा हाथ,
तब मैं रहूंगी सदैव तुम्हारे साथ!!

माँ का उस अंजन्मी बच्ची को दिया ज़वाबमेरी बिटिया रानी,
मुझे है तुमसे बहुत प्यार!!
कों सुनेगा तेरी यह पुकार!!
मैं भी एक नारी हूँ ,
इस समाज के दिए दुखों की मारी हूँ!!
लड़की होना ही है अभिशाप,
करा दिया जाता है मेरा गर्भपात!!
गाज़र ,मूली की भाँति,
तुझे हैं काट देते!!
एक मूक चीक के साथ,
तुझे मौत की नींद सुला देते!!
यह पढ़ा लिखा सब समाज
एक तरफ़ देवी की तरह पूजता,
दूसरी तरफ़ तुझे है मौत देता!!

 

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