अमेरिका की चापलूसी करने के लिए हम पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गए हैं। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के चेहरे के ऊपर अमेरिकन राष्ट्रपति ने शराब गिरा दी थी। रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीज के अंडर वियर तक उतरवाकर तलाशी ली गयी थी। अमेरिका में राजदूत मीरा शंकर के साथ बेहूदगी से तलाशी ली गयी। संयुक्त राष्ट्र संघ में भारतीय दूत सरदार जी की भी तलाशी ली गयी और हम बुरा नहीं माने, बुरा मान कर हम कर ही क्या सकते हैं क्योंकि इससे पहले ब्रिटिश साम्राज्यवाद के समय में अंग्रेज भारतीयों को मजदूर के रूप में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में ले गए और दास बनाकर उनसे कार्य कराया पानी के जहाजों में उनको कोड़े मार-मार कर जहाज चलवाए गए। कोड़ों की मार सह न पाने के कारण सैकड़ों मजदूर मर जाते थे किन्तु अपने देश का अभिजात्य वर्ग ब्रिटिश साम्राज्य के यशोगान में ही लगा रहता था। उसी तरह से अब हमारी सरकार और मुख्य विपक्षी दल के नेता अमेरिकन साम्राज्यवाद के नौकर मात्र हैं, यशोगान करना उनका धर्म है।
कैलिफोर्निया में सैकड़ों भारतीय छात्रों को रेडियो कालर पैरों में कैद कर दिए गए हैं। जो उनकी गतिविधियों को सेटेलाईट के माध्यम से सिग्नल देते रहते हैं यह टैग जंगली जानवरों पर नजर रखने के लिए पहनाएं जाते हैं। और भारतीय संघ के राष्ट्राध्यक्ष से लेकर मुख्य विपक्षी दल के नेता गण चुप्पी साधे हैं। अगर किसी छोटे मुल्क ने जरा सा भी अनुचित हरकत की होती तो यहाँ का अभिजात्य वर्ग अपने मुंह से तोप और तलवार अवश्य चला रहा होता। यही हमारी मानसिकता है और यही यथार्त है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !