……गतांक से आगे
विश्लेषण के विगत १६ भागों में आप हमारे साथ साहित्य, विज्ञान, कृषि, कार्टून्स, चिट्ठा चर्चा तथा देश के ज्वलंत मुद्दों से संवंधित ब्लॉग चर्चा में शामिल रहे,अनेक महत्वपूर्ण चिट्ठों के विश्लेषण के क्रम में आपको वर्ष-२०१० की प्रमुख गतिविधियों से भी रूबरू होना पडा होगा, संभव है कुछ ब्लोग्स चर्चा में शामिल न हो पाए हों, क्योंकि विश्लेषण की अपनी एक सीमा होती है, जिसके भीतर रहकर ही निर्भीक और निष्पक्ष समीक्षा कर्म को मूर्तरूप देना होता है,निश्चित रूप से आप मेरी विवशता महसूस कर रहे होंगे !विश्लेषण के क्रम में कई मित्रों के मेल और सुझाव मुझे प्राप्त हुए हैं, मेरी पूरी कोशिश रही है कि उन सुझावों को तथा प्राप्त लिंक को सम्मानजनक स्थान दिया जाए….कहाँ तक मैं सफल रहा मुझे मालूम नहीं !खैर विश्लेषण अब संपन्नता की ओर अग्रसर है, यानी १९ भागों के पश्चात जब हम २० वें भाग में प्रवेश करेंगे तो एक समग्र विश्लेषण पूरे ब्लॉगजगत का होगा और वर्ष के १०० सफल पुरुष वो महिला ब्लोगर जिन्हें अंग्रेजी में ब्लोगर ऑफ दी ईयर कहा जाता है से आप सभी को हम रूबरू करायेंगे ! चलिए आज के इस भाग की शुरुआत करते हैं वर्ष-२०१० में स्वास्थ्य संवंधित जागरूकता लाने वाले ब्लॉग की चर्चा से !
कहा गया है पहला सुख निरोगी काया,स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है !शरीर की रुग्णता के कारण मन की अनेक इच्छाएं पूरी होने से रह जाती है !शरीर में भी प्रकृति ने इतनी शक्ति दी है कि व्यक्ति हर तरह से स्वयं को स्वस्थ रख सके !अपने आप ही आवश्यक रोधक तत्वों का निर्माण कर सके !प्राकृतिक जीवन चर्या में शरीर के लिए विशेष कुछ करने आवश्यकता नहीं रहती !जो कुछ शक्तियां दिन में खर्च होती है ,वे रात्री में फिर अर्जित हो जाती हैं !कुछ शक्तियां उम्र के साथ घटती है,उन्हें प्राणयाम जैसे अभ्यास से पूरा किया जा सकता है ! मगर कैसे ? तो चलिए चलते हैं हिंदी ब्लॉगजगत के कुछ चिट्ठाकारों के पास –
वैसे ब्लॉगजगत में एक दिलचस्प ब्लोगर हैं
शंकर फुलारा और उनके ब्लॉग का नाम है
टेंशन पोईंट – चिंतन विन्दु ! फुलारा कहते हैं कि समस्त बीमारियों की जड़ है यह टेंशन, इसलिए टेंशन लेने का नहीं देने का ….सुनिए उन्हीं के शब्दों में क्या कहते हैं फुलारा साहब – “जैसा कि हमारे सूत्र वाक्य से स्पष्ट होता है, जिस भी कारण से टेंशन ( तनाव ) उत्पन्न हो, उसे औरों को भी दे दो । पिछले कुछ वर्षो से अपने पास के तिराहे पर अपने हाथ से बना पोस्टर लगा कर यही कार्य कर रहा हूँ, जो काफी लोकप्रिय है। इसी का नाम है “टेंशन पॉइंट”,अब आगे से यही टेंशन आपको इस ब्लॉग पर दूंगा। ज्वलंत मुद्दों के अनुसार यह अपडेट होता रहेगा। वैसे हमारा एक क्लब है, अंकल क्लब। मैं उसका संचालक भी हूँ।”
फुलारा साहब के चिंतन के बाद आईये चलते हैं
मथुरा निवासी रविकांत शर्मा के
अध्यात्मिक चिंतन की ओर उनका कहना है कि “अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर केवल आत्मिक विचार ही ले जा सकता है …!” यह तथ्य कहाँ तक सत्य है मैं नहीं कह सकता, किन्तु इस ब्लॉग को देखकर मथुरा और कृष्ण प्रेम की झलक अवश्य मिलती है !
धर्म-विचार- हास्य -रुदन अपनी जगह है, पर आरोग्यता की शीतल छाया के लिए कोई आयुर्वेद को अपनाता है तो कोई होमियोपैथ तो कोई अंग्रेजी अथवा यूनानी दवाओं को !हिंदी ब्लॉगजगत में स्वास्थ्य सलाह देने वाले ब्लोग्स की काफी कमी है !आयुर्वेद और होमियोपैथ के ब्लॉग तो कुछ अत्यंत स्तरीय है मगर संख्या के लिहाज से अन्य भारतीय भाषाओं की तुलना में काफी कम ! ऐसे में जब स्वास्थ्य परामर्श को लेकर सचालित ब्लोग्स की काफी कमी महसूस होती है वहीं दो ब्लॉग अपनी गतिविधियों से हमें काफी चमत्कृत करते हैं पहला
कुमार राधारमण और
विनय चौधरी का साझा ब्लॉग
स्वास्थ्य सबके लिए और दूसरा
लखनऊ निवासी अलका सर्बत मिश्र का ब्लॉग
मेरा समस्त !
स्वास्थ्य सबके लिए हिंदी एक ऐसा महत्वपूर्ण ब्लॉग है, जिसमें समस्त असाध्य विमारियों से लड़ने के उपचार बताये जाते हैं ! चूँकि, व्यक्ति अनेक धरातलों पर जीता है, अत: रोग भी हर धरातल पर अलग-अलग स्वरूपों में प्रकट होते हैं ! सबके लिए स्वास्थ्य का अभिप्राय यह है कि हर बीमारी से लड़ने का हर किसी को साहस प्रदान करना !इस ब्लॉग के द्वारा किया जा रहा कार्य श्रेष्ठ और प्रशंसनीय है !
दूसरा ब्लॉग है
मेरा समस्त जो पूर्णत: आयुर्वेद को समर्पित है ! आयुर्वेद के सन्दर्भ में ब्लोगर का कहना है कि “आयुर्वेद का अर्थ औषधि – विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात ” जीवन-का-विज्ञान” है…ऐड्स, थायराइड, कैंसर के अतिरिक्त भूलने की बीमारी, चिड़चिड़ापन आदि से खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है,बस आयुर्वेद पर भरोसा होना चाहिये !ब्लोगर अलका मिश्र केवल आलेखों से ही पाठकों को आकर्षित नहीं करती वल्कि आलेखों में उल्लिखित औषधियों के आदेश पर आपूर्ति भी करतीं हैं……!
आयुर्वेद से संवंधित इस वर्ष की प्रमुख पोस्ट इन ब्लोग्स पर देखी जा सकती है अर्थात
आयुर्वेद : आयुषमन ,
आयुर्वेद,पर्यायी व पूरक औषध पद्धती –Indian Alternative Medicine , only my health ,
अपने विचार,
The Art of Living ,
shvoong .com ,
वन्दे मातरम्,
आयुष्मान,
हरवल वर्ल्ड,
चौथी दुनिया,
ब्रज डिस्कवरी ,
Dr. Deepak Acharya ,
दिव्य हिमांचल ,
उदंती . com , विचार मीमांशा, दिव्ययुग निर्माण न्यास , स्वास्थ्य चर्चा , स्वास्थय के लिये टोटके , प्रवक्ता आदि पर !
जहां तक होमियोपथिक से संवंधित ब्लॉग का सवाल है तो हिंदी ब्लॉगजगत में ज्यादा ब्लॉग नहीं दिखाई देता, एक ब्लॉग है E – HOMOEOPATHIC MIND magazine जिसपर यदाकदा कुछ उपयोगी पोस्ट देखने को मिले हैं ! इस ब्लॉग को वर्डप्रेस पर भी वर्ष-२००९ में बनाया गया, किन्तु नियमित नहीं रखा जा सका !जब होमियोपैथिक की बात चली है तो वकील साहब दिनेश राय द्विवेदी के अनवरत पर विगत वर्ष कुछ महत्वपूर्ण पोस्ट देखे गए , किन्तु आलोचनात्मक ! १० अप्रैल को उनका आलेख आया होमियोपैथी हमारी स्वास्थ्यदाता हो गई ,११ अप्रैल-२०१० को उनका कहना था कि क्या होमियोपैथी अवैज्ञानिक है? इस पोस्ट के प्रकाशन के दो दिन बाद उनका एक और आलेख प्रकाशित हुआ जिसका शीर्षक था होमियोपैथी को अभी अपनी तार्किकता सिद्ध करनी शेष है
आयुर्वेदिक पध्दति की तरह ही होम्योपेथी भी धैर्य की मॉंग करती है। यह एक मात्र ‘पेथी’ है जिसके प्रयोग पशुओं पर नहीं, मनुष्यों पर होते हैं। इन दिनों इनका सस्तापन कम हो रहा है। यह चिकित्सा पध्दति भी मँहगी होने लगी है। ऐसा कहना है विष्णु वैरागी का, जबकि मनोज मिश्र का मानना है कि निश्चित रूप से डॉ. हैनिमेन एक विलक्षण व्यक्तित्व थे जिन्हों ने एक नई चिकित्सा पद्धति को जन्म दिया। जो मेरे विचार में सब से सस्ती चिकित्सा पद्धति है। इसी पद्धति से करोड़ों गरीब लोग चिकित्सा प्राप्त कर रहे हैं। यही नहीं करोड़पति भी जब अन्य चिकित्सा पद्धतियों से निराश हो जाते हैं तो इस पद्धति में उन्हें शरण मिलती है….!
“वैज्ञानिकों एवं चिकित्साशास्त्रियों ने विभिन्न प्रकार के अनुसंधानों से यह निश्चित रूप से पुष्टि कर दिया है की मनुष्य के शरीर की रचना एवं शरीर के विभिन्न अंग जैसे मुंह, दाँत, हाथों की अंगुलियाँ,नाख़ून एवं पाचन तंत्र की बनावट के अनुसार वह एक शाकाहारी प्राणी है …..!”ऐसा कहना है स्वास्थ्य विशेषज्ञ राम बाबू सिंह का अपने ब्लॉग एलोबेरा प्रोडक्ट में !०५ जून-२०१० को प्रकाशित इस आलेख का शीर्षक है शाकाहारी बनें स्वस्थ रहें !
वर्ष-२०१० के उत्तरार्द्ध में स्वास्थ्य से संवंधित एक वेहतर ब्लॉग का आगमन हुआ है,जिसका नाम है स्वास्थ्य सुख ! इसकी पञ्चलाईन है निरोगी शरीर -सुखी जीवन का आधार…..३० अक्तूबर-२०१० को सुशील बाकलीवाल द्वारा प्रसारित इस ब्लॉग का पहला आलेख पाठकों को ऐसा आकर्षित किया कि मानों उनका मनोनुकूल ब्लॉग आ गया है हिंदी ब्लॉगजगत में ! इस ब्लॉग को मेरी अनंत आत्मिक शुभकामनाएं !
कुलमिलाकर देखा जाए तो स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देने में अभी भी अंग्रेजी या फिर अन्य भाषाओं की तुलना में हिंदी बहुत पीछे है,किन्तु आनेवाले दिनों में वेहतर स्थिति होगी ऐसी आशा की जा रही है !
रवीन्द्र प्रभात
परिकल्पना ब्लॉग से साभार
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