पश्चिम बंगाल ने 34 वर्षों के बाद वाम मोर्चे की सरकार को अलविदा कह दिया और नया जनादेश तृणमूल कांग्रेस की नेता सुश्री ममता बनर्जी को दिया। लोकतंत्र में यह सामान्य सी प्रक्रिया है। जनता जिस सरकार को चाहेगी जनादेश दे और चाहे जिसे न दे। जनता के जनादेश में बहुत सारे करक कार्य करते हैं किन्तु मार्क्सवाद विरोधी तनखैया लेखक लाल किला ढह गया, मार्क्सवाद विचारधारा की नैया डूब गयी जैसे अतिश्योक्ति पूर्ण लुभावने नारे लिख कर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं और इससे उनको होने वाले आनंद की अनुभूति स्वार्गिक आनंद से भी ज्यादा है।
आई.बी.एन 7 के मैनेज़िंग एडिटर ने एक बड़ा लेख लिख कर मार्क्सवाद की उपयोगिता और उस विचार को समाप्त करने की घोषणा की है। आशुतोष ने लिखा कि दुनिया के नक़्शे मार्क्सवाद गायब हो गया है। अगर 5 साल बाद पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे का शासन लौट आता है तो क्या वह इस बात को लिखने के लिये तैयार होंगे कि दुनिया में मार्क्सवाद का परचम लहराने लगा है।
मार्क्सवाद की उपयोगिता तब तक बनी रहेगी जब तक आशुतोष के पक्ष के लोग मानव के अतरिक्त श्रम का शोषण करते रहेंगे और जिन कारणों की वजह से दुनिया में मार्क्सवादी सरकारें बनी थी जब तक वह कारक बने रहेंगे तब तक मार्क्सवाद ही उनका सही इलाज होगा।
सुमन
लो क सं घ र्ष !