अमेरिका का अंत निकट : अगर भारत चीन ने ईरान का साथ दिया
फ़रवरी 15, 2012 Loksangharsha द्वारा

अमेरिकन साम्राज्यवाद की मौत नजदीक आ रही है। पूरी दुनिया को गुलाम बनाने का स्वप्न अधूरा रह जायेगा। ईरान ने आज अपने परमाणु कार्यक्रम को उसके लाख विरोध के बाद आगे बढ़ा दिया है। अमेरिकियों को दिखाने के लिये उसका टेलीकास्ट भी किया है। इसके साथ-साथ ईरान ने यूरोप के छह: देशों को तेल बेचने से भी मना कर दिया है। यह देश हैं इटली, फ्रांस, स्पेन, ग्रीस, नीदरलैंड, पुर्तगाल। इन देशों की पहले से अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं है। तेल न मिलने से और व्यवस्था ख़राब होगी। अमेरिका की आर्थिक व्यवस्था पहले से ख़राब है। अमेरिकी जनता महंगाई, बेरोजगारी के खिलाफ आन्दोलनरत है। इन परिस्तिथियों में अमेरिका और इजराइल व उसके पिट्ठू देशों ने जो युधोन्माद ईरान के खिलाफ पैदा किया था। अगर वास्तविक लड़ाई पर आये तो निश्चित रूप से अमेरिकन साम्राज्यवाद को जबरदस्त धक्का लगेगा। अमेरिका द्वारा अघोषित रूप से शासित ईराक व पाकिस्तान भी ईरान के साथ खड़े होंगे।
चीन ने खुले आम घोषणा कर रखी है कि वह ईरान की मदद करेगा वहीँ भारत भी ईरान को छोड़ना नहीं चाहता है। अमेरिकी प्रयासों के बाद भी भारत ने तेल लेना बंद नहीं किया है और भारत अपने संबंधों को ईरान से ख़त्म नहीं करना चाहता है। ऐसी स्तिथियों में अगर अमेरिकी साम्राज्यवादी व उसके पिट्ठू मुल्क ईरान की तरफ अगर आँखें भी तरेरते हैं तो एशिया की बहुसंख्यक जनता व सरकारें अमेरिका को मुंहतोड़ जवाब देंगी। जिस तरह से अमेरिकन्स आज भी वियतनाम की मार को भूल नहीं पाए हैं।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
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