
Archive for अगस्त, 2015
मजदूरों के खून से चेहरे की चमक
Posted in loksangharsha on अगस्त 30, 2015| 1 Comment »

मोदी का नया अवतार
Posted in loksangharsha on अगस्त 26, 2015| Leave a Comment »

लफ्फाजों की महाभारत
Posted in loksangharsha on अगस्त 22, 2015| Leave a Comment »
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महाभारत के नायक |
उफ़ा में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने मिलकर दोनों पक्ष सभी लंबित मुद्दों पर चर्चा के लिए सहमति बनी , जिसमें भारत और पाकिस्तान ने मुम्बई आतंकी हमले से संबंधित मुकदमे में तेजी लाने का निर्णय, दिल्ली में मिलेंगे भारत-पाकिस्तान के NSA डीजी BSF और DGMI की बैठक, दोनों पक्षों ने 15 दिनों के भीतर एक-दूसरे के मछुआरों और उनकी नौकाओं को छोड़ने का निर्णय, मुंबई हमले के वॉयस सैंपल मुहैया कराएंगे व नवाज शरीफ ने पीएम मोदी को दिया सार्क सम्मेलन में आने का न्योता दिया.
देश में झूठ – विदेश में झूठ – चुनाव में झूठ
Posted in loksangharsha on अगस्त 19, 2015| 1 Comment »
पन्द्रह अगस्त के बाद ———-शंकर शैलेन्द्र—————लोकसंघर्ष
Posted in loksangharsha on अगस्त 11, 2015| 2 Comments »
राम राज्य का ढोल बजाया,
नेता ने कंट्रोल उठाया ,
काले-बाजारी बनियों को –
दिल में,दिल्ली में बैठाया ;
खुल्लमखुल्ला लुट मच गई
महगाई ने रंग दिखाया!
आज़ादी की चाल दुरंगी ,
घर-घर अन्नं-वस्त्र की तंगी ,
तरस दूध को बच्चे सोए-
निर्धन की औरत अधनंगी ,
बढती गई गरीबी दिन-दिन ,
बेकारी ने मुह फैलाया!
तब गरीबी ने शोर मचाया,
बहुत सहा, अब नहीं सहेगे!
कहा गए वे वादे ?अब हम
भूखे नंगे नहीं रहेंगे!
सुन ललकार जगी जनता की –
दिल्ली कापी , दिल थर्राया!
लीडर ने तरकीब निकाली ,
हिटलरशाही को अपनाया ,
जगह-जगह गोलिया चलाई ,
नेताओ को जेल भिजाया ;
उम्मीदों की सीता हर ली ,
अपना रावण रूप दिखाया !
सोशलिस्ट कहलाने वाले
बोले, “पैदावार बढाओ !
पेट सेठ का कहाँ भरा है ,
और खिलाओ ,और ठुसाओ !”
झुक पटेल की चप्पल चूमी ,
मौका देखा , पलटा खाया !
संघ खुला , खद्दर जी बोले,
“आओ तिनरंगे के नीचे !
रोटी ऊपर से बरसेगी ,
करो कीर्तन आँखे मीचे !
तुमको भूख नहीं है भाई ,
कम्युनिस्टो ने है भड़काया !”
लेकिन भैया ,भूख आग है ,
भड़क उठे तो खा जाती है !
नहीं गोलिओ से बुझती है ,
गुपचुप जेल नहीं जाती है !
भूख बला है , कुछ मत पूछो ,
बड़े-बड़ो को नाच नचाया!
“अब यों गाड़ी नहीं चलेगी “,
रेल कामगार का नारा !
“बोनस ,या मिल नहीं चलेगी “,
गिरनी वालो ने ललकारा !
गोदी पोस्ट मजूर कह उठे –
“बहुत दिनों तक धोखा खाया !”
गवरमिंट बटुवा दिखलाती ,
कहती कौड़ी पास नहीं है !
चाहो तो गोली खिलवा दे,
गोली कभी खलास नहीं है !
छोड़ दिए जासूस हजारो ,
तरह-तरह का दर दिखलाया !
खून रंगा परचम जनता का ,
रहा फहरता , झुक नहीं सका !
दमन बढा तो और बढ़ गया ,
जन आन्दोलन रुक नहीं सका !
फूट डालने वालो ने ऊपर थूका
तो मुँह पर आया !
हरदम गरज रहा है अम्बर ,
शत संघर्षो के नारों से ;
एका कब कटता है भाई
ज़ोंर जुंल्म की तलवारों से?
एका हर बल से तगड़ा है ,
एक हर बल से झगड़ा है ,
इसने भू पैर स्वर्ग उतारे ,
पलटी इस दुनिया की काया !
-शंकर शैलेन्द्र
सुन भैय्या रहिमू ……………… – शंकर शैलेन्द्र
Posted in loksangharsha, tagged शंकर शैलेन्द्र -----------लोकसंघर्ष पत्रिका on अगस्त 6, 2015| Leave a Comment »
सुन भैय्या रहिमू पाकिस्तान के
भुलआ पुकारे हिंदुस्तान से
भुलवा जो था तेरे पड़ोस में
संग-संग थे जब से आए होश में
सोना- रूपा धरती की गोद में
खेले हम दो बेटे किसान के |
सुन भैय्या …
दोनों के आँगन एक थे भैय्या
कजरा औ “सावन एक थे भैया
ओढत -पहरावन एक थे भैय्या
जोधा हम दोनों एक मैदान के |
सुन भैय्या …
परदेशी कैसी चाल चल गया
झूठे सपनो से हमको छल गया
डर के वह घर से तो निकल गया
दो आँगन कर गया मकान के |
सुन भैय्या …
मुश्किल से भर पाए है दिल के घाव
कल ही बुझा लाशो का अलाव
अब भी मझधार में है अपनी नाव
फिर क्यों आसार है तूफान के |
सुन भैय्या …
तेरे मन भाया जो नया मेहमान
आया जो देने शक्ति का वरदान
आँखों से काम ले भैया पहचान
लिया चेहरे -मोहरे शैतान के |
सुन भैया …
इसने ही जग को दिया हथियार
फांसी के फंदे बांटे है उधार
इसका तो काम लाशो का ब्यापार
बचना ये सौदे है नुकसान के |
सुन भैया …
मै सभलू भैया तू भी घर संभाल
गोला-बारूद ये लकड़ी की ढाल
छत पर मत रखो यह परदेशी माल
कहते है नर-नारी जहान के |
सुन भैया …
हर कोई गुस्सा थूको मुस्कराओ
जो भी उलझन है मिल-जुल के सुलझाओ
सपनो का स्वर्ग धरती पर बसाओ
बरसाओ मोती गेहू -धान के |
सुन भैया …
– शंकर शैलेन्द्र
शैलेन्द्र कम्युनिस्ट कवि गीतकार थे ————दिनेश शंकर शैलेन्द्र
Posted in loksangharsha on अगस्त 1, 2015| 1 Comment »