सुन भैय्या रहिमू पाकिस्तान के
भुलआ पुकारे हिंदुस्तान से
भुलवा जो था तेरे पड़ोस में
संग-संग थे जब से आए होश में
सोना- रूपा धरती की गोद में
खेले हम दो बेटे किसान के |
सुन भैय्या …
दोनों के आँगन एक थे भैय्या
कजरा औ “सावन एक थे भैया
ओढत -पहरावन एक थे भैय्या
जोधा हम दोनों एक मैदान के |
सुन भैय्या …
परदेशी कैसी चाल चल गया
झूठे सपनो से हमको छल गया
डर के वह घर से तो निकल गया
दो आँगन कर गया मकान के |
सुन भैय्या …
मुश्किल से भर पाए है दिल के घाव
कल ही बुझा लाशो का अलाव
अब भी मझधार में है अपनी नाव
फिर क्यों आसार है तूफान के |
सुन भैय्या …
तेरे मन भाया जो नया मेहमान
आया जो देने शक्ति का वरदान
आँखों से काम ले भैया पहचान
लिया चेहरे -मोहरे शैतान के |
सुन भैया …
इसने ही जग को दिया हथियार
फांसी के फंदे बांटे है उधार
इसका तो काम लाशो का ब्यापार
बचना ये सौदे है नुकसान के |
सुन भैया …
मै सभलू भैया तू भी घर संभाल
गोला-बारूद ये लकड़ी की ढाल
छत पर मत रखो यह परदेशी माल
कहते है नर-नारी जहान के |
सुन भैया …
हर कोई गुस्सा थूको मुस्कराओ
जो भी उलझन है मिल-जुल के सुलझाओ
सपनो का स्वर्ग धरती पर बसाओ
बरसाओ मोती गेहू -धान के |
सुन भैया …
– शंकर शैलेन्द्र
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