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Archive for the ‘इलाहाबाद बैंक वाले अवस्थी’ Category

हो रोशन चिराग ,जिन्दा दिली भरा,।
तो जरूरी नही सूरज ही हो
रौशनी के लिए
ख्वाब हो,ख़याल हो दुरुस्त ,जज्बात हो
इरादे हो पुख्ता
कर्म की तलवार से ,काट दो अभाग्य को
आधा पानी में रहो
रहो आधा रेत पर
थोड़ा बुद्ध हो जाओ
थोड़ा चावार्क बन
जिंदगी को जियो ,जीने के लिए
कुछ अपने लिए ,कुछ दूसरो के लिए

दिनेश अवस्थी
इलाहाबाद बैंक
उन्नाव

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”कठिन राहो से गुजरे बिना
मिल जाए , फूलो की घाटियाँ यह
मुमकिन नही।
बढ़ चलो ,हम राह पे , सोच मंजिल
निकट।
दृढ संकल्प से भरे , लक्ष्य मुमकिन नही ॥ ”
पर्वत श्रृंखलाओ के मध्य ,
पग धरे सोच कर ।
असफलताओ को धकेल कर
हम आगे बढे, मंजिल अपनी यह
अन्तिम नही।

दिनेश अवस्थी
इलाहाबाद बैंक
उन्नाव

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बिना रुके ,
मंजिल की और रहो बढ़ते
पर्वत श्रृंखालाओ को जीतने की
गर है चाहत ,
एकएक करके ,चोटियों पर
सदा रहो चढ़ते
सबक अच्छाईयों के सीखने
के लिए
सद साहित्य को हरदम
रहो पढ़ते।
सफलता पाने का बस
रास्ता है यही
गिरगिर के संभलो
मगर
सदा ही रहो चलते

दिनेश अवस्थी
इलाहाबाद बैंक
उन्नाव

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