उत्तर प्रदेश में लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत जो संगठन धरना प्रदर्शन के माध्यम से अपनी बात कहने राजधानी लखनऊ जाते हें उन पर सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप लाठी और गोली से स्वागत किया जाता है। कल मनरेगा सेवकों पर राजधानी पुलिस ने जमकर लाठियां व गोलियां चलायी। काफी लोग जख्मी हुए और मीडिया ने अपने अपने समाचारों से प्रशासन को सुरक्षित किया। प्रदर्शनकारी शहीद स्मारक के पास गोमती नदी में कूद गए। पुलिस ने नदी में भी उनको पीटने से बाज नहीं आये।
Archive for the ‘जन संघर्षों को समर्पित लोकसंघर्ष’ Category
न लोकतंत्र है न संविधान है
Posted in जन संघर्षों को समर्पित लोकसंघर्ष, लोकसंघर्ष सुमन, loksangharsha, Uncategorized on दिसम्बर 3, 2010| Leave a Comment »
अंग्रेज भक्त हैं हिन्दुवत्व के पैरोकार
Posted in आरएसएस को पहचानें, जन संघर्षों को समर्पित लोकसंघर्ष, जनसंघर्ष को समर्पित, लोकसंघर्ष सुमन, शम्शुल इस्लाम, loksangharsha, Uncategorized on नवम्बर 28, 2010| 2 Comments »
आरएसएस की भागीदारी ! स्वतंत्रता संग्राम में……..? भाग 3
सच तो यह है कि गोलवलकर ने स्वयं भी कभी यह दावा नहीं किया कि आरएसएस अंग्रेज विरोधी था। अंग्रेज शासकों के चले जाने के बहुत बाद गोलवलकर ने 1960 में इंदौर (मध्य प्रदेश) में अपने एक भाषण में कहा:
कई लोग पहले इस प्रेरणा से काम करते थे कि अंग्रेजो को निकाल कर देश को स्वतंत्र करना है। अंग्रेजों के औपचारिक रीति से चले जाने के पश्चात यह प्रेरणा ढीली पड़ गयी। वास्तव में इतनी ही प्रेरणा रखने की आवश्यकता नहीं थी। हमें स्मरण होगा कि हमने प्रतिज्ञा में धर्म और संस्कृति की रक्षा कर राष्ट्र की स्वतंत्रता का उल्लेख किया है। उसमें अंग्रेजो के जाने न जाने का उल्लेख नहीं है।
आरएसएस ऐसी गतिविधियों से बचता था जो अंग्रेजी सरकार के खिलाफ हों। संघ द्वारा छापी गयी डॉक्टर हेडगेवार की जीवनी में भी इस सच्चाई को छुपाया नहीं जा सका है। स्वतंत्रता संग्राम में डॉक्टर साहब की भूमिका का वर्णन करते हुए बताया गया है :
संघ स्थापना के बाद डॉक्टर साहब अपने भाषणों में हिन्दू संगठन के सम्बन्ध में ही बोला करते थे। सरकार पर प्रत्यक्ष टीका नहीं के बराबर रहा करती थी।
गौरतलब है कि ऐसे समय में जब भगत सिंह, राजगुरु, अशफाकुल्लाह, राम प्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद, राजेन्द्र लाहिड़ी जैसे सैकड़ों नौजवान जाति और धर्म को भुलाकर भारत मां को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए अपने प्राण दे रहे थे, उस वक्त हेडगेवार और उनके सहयोगी देश का भ्रमण करते हुए केवल हिन्दू राष्ट्र और हिन्दू संस्कृति तक अपने को सीमित रखते थे। यही काम इस्लाम की झंडाबरदार मुस्लिम लीग भी कर रही थी। जाहिर है इसका लाभ केवल अंग्रेज शासकों को मिलना था।
-आरआरएस को पहचानें किताब से साभार
समाप्त
1942 भारत छोडो आन्दोलन में आरएसएस की भागीदारी ?
Posted in आरएसएस को पहचानें, जन संघर्षों को समर्पित लोकसंघर्ष, लोकसंघर्ष सुमन, शम्शुल इस्लाम, loksangharsha, Uncategorized on नवम्बर 27, 2010| Leave a Comment »
आरएसएस की भागीदारी ! स्वतंत्रता संग्राम में……..? भाग 2
अगर आरएसएस का रवैया 1942 के भारत छोडो आन्दोलन के प्रति जानना हो तो श्री गुरूजी के इस शर्मनाक वक्तव्य को पढना काफी होगा:
-आरआरएस को पहचानें किताब से साभार
क्रमश:
स्त्री को हम कुल्टा साबित करने की कोशिश करते हैं
Posted in जन संघर्षों को समर्पित लोकसंघर्ष, जनसंघर्ष को समर्पित लोकसंघर्ष, लोकसंघर्ष सुमन, loksangharsha, Uncategorized on नवम्बर 25, 2010| 1 Comment »
मुजफ्फरनगर में अभी कुछ दिन पूर्व एक सर्वजातीय पंचायत हुई। पंचायत ने लड़कियों को मोबाइल इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी। इस फैसले से समाज में यह सन्देश गया कि लडकियां मोबाइल का उपयोग गलत कार्यों के लिए ही करती हैं। इसके विपरीत लड़के मोबाइल का सही उपयोग करते हैं। जितना यह फैसला गलत है, उतनी ही पंचायत की समझ भी गलत है। न लड़के गलत हैं न लडकियां हमारी पुरुषवादी मानसिकता ही गलत है। संविधान की दृष्टि से लिंगभेद का कोई औचित्य नहीं। व्यवस्था असफल है इसलिए काबिले टाइप की यह पंचायतें मानवीय संवेदनाओं से हटकर अनाप-शनाप फरमान जारी करती रहती है अन्यथा सरकार को ऐसी पंचायतों के ऊपर ही रोक लगा देना चाहिए।
सरकार महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकने में असमर्थ है। हमारे देश में हर तीन मिनट पर एक महिला हिंसा का शिकार हो जाती है। प्रतिदिन 50 से अधिक दहेज़ उत्पीडन के मामले होते हैं। हर 29 वें मिनट पर एक महिला बलात्कार का शिकार होती है। सरकार 25 नवम्बर से 10 दिसम्बर तक उत्तर प्रदेश के 12 व उत्तराखंड के 5 जिलों में घरेलु हिंसा के खिलाफ अभियान चलने जा रही है।
आज जरूरत इस बात की है कि लडकियों को शिक्षित दीक्षित किया जाए और उनको स्वावलंबी बनाया जाए। समाज को भी अपने आदिम नजरिये बदलने की जरूरत है। आधुनिक समाज में या परिवार में लड़का और लड़की का भेद जारी रखने का भी कोई औचित्य नहीं है। भाषणों में हम स्त्री को हम दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी कहते हैं और व्यवहार में हम उसको कुल्टा साबित करने की कोशिश करते हैं। यही दोहरा माप दंड इस तरह के फैसले जारी करने को विवश करता है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
भेदिया देखो ! यह आई ए एस है
Posted in जन संघर्षों को समर्पित लोकसंघर्ष, लोकसंघर्ष सुमन, loksangharsha, Uncategorized on नवम्बर 24, 2010| Leave a Comment »
भारत सरकार के आन्तरिक सुरक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी व वरिष्ठ आई ए एस श्री रवि इन्दर सिंह मोबाइल कंपनियों को सूचना लीक करते थे। इनके पास गृह मंत्रालय व आन्तरिक सुरक्षा विभाग की गोपनीय सूचनाएं दलालों के माध्यम से बेचने का कार्य करते थे। गृह मंत्रालय के विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) यूके बंसल ने सोमवार को मान लिया कि उनके ही विभाग में काम कर रहा रवि इंदर सिंह दरअसल दलालों का एजेंट था। रवि इन्दर सिंह दलालों को पेन ड्राईव में गोपनीय सूचनाएं देकर उनसे रुपये व लड़कियां प्राप्त करता था। लड़कियों को सॉफ्टवेर व रुपयों को प्रसाद कहता था।
भारत सरकार व प्रदेश सरकार के किसी मंत्रालय में तैनात प्रशासनिक अधिकारीगण अगर घूस खाते हैं, कमीशन लेते हैं तो निश्चित रूप से उनसे किसी भी तरह का कार्य रुपया व लडकियां देकर कराया जा सकता है। चाहे वह सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला हो आन्तरिक सुरक्षा से। आन्तरिक सुरक्षा के जिम्मेदार अधिकारी दलालों के एजेंट के रूप में आना यह साबित करता है कि भारत सरकार की गोपनीय सूचनाएं उनके वरिष्ठ नौकरशाह ही लालच में बेचने का काम कर रहे हैं। इससे पूर्व भारतीय विदेश सेवा की पाकिस्तान में तैनात महिला अधिकारी खुफिया जानकारी बेचने के आरोप में पकड़ी गयी थी। अधिकांश वरिष्ठ नौकरशाहों की अपराधिक गतिविधियों के ऊपर कोई नियंत्रण न होने के कारण एक से बढ़ कर एक अपने काले कारनामो का प्रदर्शन कर रहे हैं। नौकरशाहों की अगर आय की जांच अगर करा ली जाए तो अधिकांश नौकरशाहों ने अपने भ्रष्टतम कारनामों से इतनी अधिक परिसंपत्तियां अर्जित कर ली हैं कि वह बड़े से बड़े आर्थिक अपराधियों को मात दे देंगे। आर्थिक अपराधियों से देश का भला नहीं होने वाला है किन्तु नौकरशाही अब नौकरशाही न होकर विशुद्ध रूप से आर्थिक अपराधियों का एक गिरोह हो गयी है। इन लोगों से देश का भला होने की बात सोचना भी बेईमानी है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
दलितों, अछूतों के संबंध में मनु के कानून
Posted in आरएसएस को पहचानें, जन संघर्षों को समर्पित लोकसंघर्ष, जनसंघर्ष को समर्पित लोकसंघर्ष, लोकसंघर्ष सुमन, शम्शुल इस्लाम, loksangharsha, Uncategorized on नवम्बर 23, 2010| 6 Comments »
1) अनादि ब्रम्ह ने लोक कल्याण एवं सम्रद्धि के लिए अपने मुख, बांह, जांघ तथा चरणों से क्रमश: ब्राहमण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र उत्पन्न किया।
2) भगवान ने शूद्र वर्ण के लोगों के लिए एक ही कर्तव्य-कर्म निर्धारित किया है-तीनो अन्य वर्णों की निर्विकार भाव से सेवा करना।
3) शूद्र यदि द्विजातियों- ब्राहमण क्षत्रिय और वैश्य को गाली देता है तो उसकी जीभ काट लेनी चाहिए क्योंकि नीच जाति का होने से वह इसी सजा का अधिकारी है।
4) शूद्र द्वारा अहंकारवश ब्राहमणों को धर्मोपदेश देने का दुस्साहस करने पर राजा को उसके मुंह एवं कान में गरम तेल डाल देना चाहिए।
5) शूद्र द्वारा अहंकारवश उपेक्षा से द्विजातियों के नाम एवं जाति उच्चारण करने पर उसके मुंह में दस ऊँगली लोहे की जलती कील थोक देनी चाहिए।
6) यदि वह द्विजाति के किसी व्यक्ति पर जिस अंग से प्रहार करता है, उसका वह अंग काट डाला जाना चाहिए, यही मनु की शिक्षा है। यदि लाठी उठाकर आक्रमण करता है तो उसका हाथ काट लेना चाहिए और यदि वह क्रुद्ध होकर पैर से प्रहार करता है तो उसके पैर काट डालना चाहिए।
8) उच्च वर्ग के लोगों के साथ बैठने की इच्छा रखने वाले शूद्र की कमर को दाग करके उसे वहां से निकाल भगाना चाहिए अथवा उसके नितम्ब को इस तरह से कटवा देना चाहिए जिससे वह न मर सके और न जिये।
9) अहंकारवश नीच व्यक्ति द्वारा उच्चजाति पर थूकने पर राजा को उसके होंठ, पेशाब करने पर लिंग एवं हवा छोड़ने पर गुदा कटवा देना चाहिए।
10) शूद्र द्वारा अहंकारवश मार डालने के उद्देश्य से द्विजाति के किसी व्यक्ति के केशों, पैरों, दाढ़ी, गर्दन तथा अंडकोष पकड़ने वाले हाथों को बिना सोचे-समझे ही कटवा डालना चाहिए।
क्रमश:
-आरएसएस को पहचानें किताब से साभार
रहम करो अरे सत्ता वालो, काबू में रखो महंगाई
Posted in जन संघर्षों को समर्पित लोकसंघर्ष, लोकसंघर्ष सुमन, loksangharsha, submersible, Uncategorized on नवम्बर 19, 2010| Leave a Comment »
मार गई सबको महंगाई
सभी कीर्तन सा करते हैं
सब ही रटते हैं महंगाई
गैस चढ़ गई , तेल जल गया
बिजली दर कौंधी आँखों में
मेरी रसोई भी कांप रही है
देख के तेरे रंग महंगाई
बीबी खटती मैं भी खटता
लेकिन खर्च नहीं ये पटता
निसदिन थाली खाली होती
अरे तेरे ही कारण महंगाई
अब माँ-बाबा चुप रहते हैं
कहते डरते लाओ दवाई
बीबी नहीं मांगती अब कुछ
खुशियाँ सब छीनी महंगाई
अब बच्चे भी समझ गए हैं
तेरे सदमे मेरे पढ़कर चहेरे
मरने से भी डर लगता है
कफ़न पे चढ़ी हुई महंगाई
त्योहारों के रंग फीके हैं
सावन आंसू से भीगे हैं
रिश्तों में भी रंग नहीं है
अरे तेरे ही कारण महंगाई
सुरसा जैसी बढती जाती
जन जन की आशाएं खाती
मीठे से मधुमेह जैसा है
अरे तेरे ही कारण महंगाई
रहम करो अरे सत्ता वालो
काबू में रखो महंगाई
बनकर मौत सा पहरा देती
भाई रे भाई बड़ी महंगाई
केदारनाथ”कादर”
आरएसएस की सोच! इतनी अमानवीय…?
Posted in आरएसएस को पहचानें, इस्लाम, एतद् देश प्रसूतस्य शकासाद् अग्रजन्मन :, जन संघर्षों को समर्पित लोकसंघर्ष, शम्शुल इस्लाम, loksangharsha, Uncategorized on नवम्बर 18, 2010| Leave a Comment »
मनुस्मृति एक ग्रन्थ के रूप में दलितों और महिलाओं के लिए एक अमानवीय दर्शन का वाहक है। मनुस्मृति में शूद्रों/अछूतों व महिलाओं को पशुओ की श्रेणी में रखा गया है। उनके अधिकारों का हनन किया गया है आरएसएस भी दलितों और महिलाओं के प्रति वैसे ही अमानवीय विचार रखता है।
हिन्दू दक्षिणपंथी मनुस्मृति को भारतीय संविधान के स्थान पर लागू करना चाहता है। मनुस्मृति इनके लिए कितना पवित्र है, पर हिंदुत्व के दार्शनिक तथा पथ प्रदर्शक वी.डी सावरकर और आरएसएस के निम्नलिखित कथनों से अच्छी तरह स्पष्ट हो जाता है। सावरकर के अनुसार:
मनुस्मृति एक ऐसा धर्मग्रन्थ है जो हमारे हिन्दू राष्ट्र के लिए वेदों के बाद सर्वाधिक पूजनीय है और जो प्राचीन काल से ही हमारी संस्कृति रीति-रिवाज, विचार तथा आचरण का आधार हो गया है। सदियों से इस पुस्तक ने हमारे राष्ट्र के अध्यात्मिक एवं दैविक अभियान को संहिताबद्ध किया है। आज भी करोड़ो हिन्दू अपने जीवन तथा आचरण में जिन नियमो का पालन करते हें, वे मनुस्मृति पर आधारित है। आज मनुस्मृति हिन्दू विधि है।
-आरएसएस को पहचानें किताब से साभार
हर स्थान में ऐसे मुसलमान हैं जो ट्रांसमीटर के द्वारा पाकिस्तान से सतत संपर्क स्थापित किये हैं – गोलवलकर
Posted in आरएसएस को पहचानें, इस्लाम, एतद् देश प्रसूतस्य शकासाद् अग्रजन्मन :, जन संघर्षों को समर्पित लोकसंघर्ष, शम्शुल इस्लाम, loksangharsha, Uncategorized on नवम्बर 17, 2010| Leave a Comment »
आरएसएस किसका पक्षधर ? हिटलर का ? देश विरोधी संगठनो का…?? (अंतिम भाग)
स्वतंत्रता के बाद गोलवलकर ने अपने एक लेख ‘आंतरिक संकट’ में राष्ट्र के तीन दुश्मन गिनवाए जिनमें नंबर एक पर मुसलमानों, नंबर दो पर ईसाईयों, और नंबर तीन पर कम्युनिस्टों को रखा है। मुसलमानों के बारे में अपने फासीवादी विचार प्रकट करते हुए गोलवलकर ने लिखा है कि:
संसार में अनेको देशों के इतिहास का यह दुखद सबक रहा है कि राष्ट्र की सुरक्षा को बाहरी आक्रान्ताओं की अपेक्षा आंतरिक विरोधी तत्व अधिक बड़ा संकट उपस्थित करते हें। दुर्भाग्यवश, जब से अंग्रेजों ने इस देश को छोड़ा है, हमारे देश में राष्ट्र की सुरक्षा का यह प्रथम पथ सतत अपेक्षित रहा है। आजतक यह कहने वाले अनेको लोग मौजूद हैं कि अब मुस्लमान समस्या बिलकुल नहीं रही है। पाकिस्तान को प्रश्रय देने वाले वह सब दंगाई तत्व सदा के लिए चले गए हैं। शेष मुसलमान हमारे देश के भक्त हैं। इस प्रकार के विश्वास के धोखे में रहना आत्मघाती होगा। इसके विपरीत पाकिस्तान के निर्माण से यह मुस्लिम विभीषिका सैकड़ों गुना बढ़ गयी है, जिसका निर्माण ही हमारे देश पर भावी आक्रमण की योजनाओ के आधार रूप में हुआ है।
गोलवलकर का निष्कर्ष यह है कि:
प्राय: हर स्थान में ऐसे मुसलमान हैं जो ट्रांसमीटर के द्वारा पाकिस्तान से सतत संपर्क स्थापित किये हैं और अल्प संख्यक होने के नाते, सामान्य नागरिक के ही नहीं अपितु कुछ विशेष अधिकारों तथा विशेष अनुग्रहों का भी उपभोग करते हैं काम से काम अब हम जागें, चारो पर देखें, और बड़े-बड़े प्रमुख मुसलमानों के भी शब्द तथा कृतियों के सही तात्पर्य को समझें उनके अपने ही वक्तव्यों ने आज तथाकथित ‘राष्ट्रीय मुसलमानों’ के महानतम व्यक्तियों को भी उनके सच्चे नग्न रूप में प्रकट कर दिया है। आज भी मुस्लमान चाहे वह सरकारी उच्च पदों पर हों अथवा उसके बहार हों घोर अराष्ट्रीय सम्मेलनों में खुले रूप से भाग लेते हैं। उनके भाषणों में भी खुली अवज्ञा और विद्रोह की झंकार रहती है’
ईसाई नागरिकों के बारे में गोलवलकर का कहना है:
जहाँ तक ईसाईयों का सम्बन्ध है, उपरी तौर से देखने वाले को तो वे नितांत, निरुपद्रवी ही नहीं वरन मानवता के लिए प्रेम एवं सहानभूति के मूर्तिमान स्वरूप प्रतीत होते हैं। इसकी गतिविधियाँ केवल अधार्मिक ही नहीं, राष्ट्रविरोधी भी हैं।
इसी विषय में गोलवलकर आगे यह भी कहते हैं:
इस प्रकार की भूमिका है हमारे देश में निवास करने वाले ईसाई सज्जनों की। वह यहाँ हमारे जीवन के धार्मिक एवं सामाजिक तन्तुवों को ही नष्ट करने के लिए प्रयत्नशील नहीं हैं, वरन विविध क्षेत्रों में और यदि संभव हो तो सम्पूर्ण देश में राजनीतिक सत्ता भी स्थापित करना चाहते हैं।
आजाद भारत में जो व्यक्ति या संगठन देश के नागरिकों के बारे में इस तरह का जहर उगलता है वह केवल देश को तोड़ने वालों की ही मदद कर रहा होता है।
आरएसएस को पहचानें किताब से साभार
आरएसएस किसका पक्षधर ? हिटलर का ? देश विरोधी संगठनो का…?? (भाग 2)
Posted in आरएसएस को पहचानें, जन संघर्षों को समर्पित लोकसंघर्ष, जनसंघर्ष को समर्पित, जनसंघर्ष को समर्पित लोकसंघर्ष, शम्शुल इस्लाम, loksangharsha on नवम्बर 16, 2010| Leave a Comment »
शांति के लिए विस्फोट

ऐसे विदेशी तत्वों के लिए सिर्फ दो रास्ते खुले हें। या तो राष्ट्रीय नस्ल में पूरी तरह घुल मिल जाएँ, इसकी संस्कृति को स्वीकार लें, या राष्ट्रीय नस्ल के रहमोकरम पर देश में रहे जब तक राष्ट्रीय नस्ल इजाजत नहीं देती है और अगर राष्ट्रीय नस्ल की इच्छा हो तो देश छोड़कर चले जाएँ। यही एकमात्र तार्किक और उचित समाधान है। केवल इसी तरह राष्ट्रीय जीवन स्वस्थ्य और बिना परेशानी के चल सकता है। केवल ऐसा करके राष्ट्र की राजनीति में कैंसर की तरह पनप रहे एक राज्य के भीतर दूसरे राज्य के पैदा होने के खतरे से बचा जा सकता है।
पुराने समझदार देशों के अनुभव के आधार पर ये कहा जा सकता है कि हिंदुस्तान में गैर हिन्दू जनता को या तो हिन्दू संस्कृति और भाषा अपना लेनी चाहिए, हिन्दू धर्म का आदर और सम्मान करना सीखना चाहिए। तथा हिन्दू राष्ट्र का गुणगान करने के अलावा और कुछ नहीं करना चाहिए, अर्थात उन्हें न केवल इस देश और इसकी वर्षों पुरानी परम्पराओं के प्रति असहिशूष्ता और अकृतज्ञता का दृष्टिकोण अपनाना होगा, बल्कि इसके बजाये प्रेम और निष्ठा का सकरात्मक दृष्टिकोण अपनाना होगा, संक्षेप में इन्हें विदेशी नहीं बने रहना चाहिए, अन्यथा समस्त प्रकार के विशेषाधिकारों, प्राथमिकता पर आधारित व्यवहार तथा यहाँ तक कि नागरिक अधिकारों से वंचित रहकर उस देश में रहना होगा। इसके अलावा उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
आरएसएस को पहचानें किताब से साभार
(क्रमश:)