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Posts Tagged ‘परमाणु’

कुछ विदेशी शक्तियों की कोशिश है कि भारत, चीन या पाकिस्तान से युद्ध करे और उसकी स्तिथि पाकिस्तान जैसी हो जाए। पाकिस्तान द्वारा उकसावे की कार्यवाहियां अक्सर की जाती है। देश के अन्दर बैठे हुए कथित राष्ट्रवादी तत्व युद्ध की ओर देश को अग्रसर करने की दिशा में ले जाने का प्रयास करते हैं। पाकिस्तान की सेना द्वारा दो भारतीय सैनिको के मारे जाने को लेकर युद्धौन्माद पैदा करने की कोशिश हुई। संसद में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने आह्वाहन किया कि पाकिस्तानी सैनिको के दस सर लाओ जैसे बाजार से भिन्डी और गोभी खरीद कर लाना हो। वहीँ शिवसेना ने परमाणु बम पर धूल जमी होने की बात कही और उसका इस्तेमाल कब होगा और फिर देश में जगह-जगह धरना अनशन प्रदर्शन शुरू हो गए। पाकिस्तान की यह स्तिथि है कि लगभग प्रतिदिन विस्फोट होते हैं। निर्दोष नागरिक मारे जाते हैं। न्यायपालिका ने कार्यपालिका के प्रमुख का वारंट जारी कर रखा है। कनाडा निवासी पाकिस्तानी मूल का कादरी पाकिस्तानी संसद को घेरे बैठा है। सेना भी अपने दांव में है ऐसी स्तिथियाँ इस देश में विदेशी शक्तियां पैदा करना चाहती हैं जिससे देश आर्थिक रूप से कमजोर हो और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शासन सत्ता संभाली जा सके। बांग्लादेश युद्ध के समय बाजार से नमक से लेकर सभी आवश्यक सामग्रियों का अभाव हो गया था। देश के अन्दर बैठे हुए जमाखोर, मुनाफाखोरों ने खूब जमकर मुनाफा कमाया। जनता का गरीब तबका युद्ध की मार झेल नहीं पाया था। जो लोग राष्ट्रवाद का सबसे ज्यादा दम भरते हैं वही लोग देश में युद्ध के समय जमाखोरी, मुनाफाखोरी में लग जाते हैं। पूंजीवादी, साम्राज्यवादी शक्तियों का जीवन युद्ध में ही है। शांति उनको कब्रिस्तान की तरफ ले जाती है। पाकिस्तान को इन हरकतों को बंद करने के लिए कुटनीतिक राजनितिक प्रयास किये जाने चाहिए। युद्ध कोई विकल्प ही नहीं है। कारगिल के समय युद्ध हुआ था या घुसपैठियों को मार भगाया गया था। इस बात का स्पष्टीकरण उस समय तथाकथित राष्ट्रवादी ताकतों ने नहीं दिया था जबकि वही लोग सत्तारूढ़ थे और ताबूत घोटाला भी उसी समय में हुआ था।
देश के अन्दर भ्रष्टाचार, धन सम्पदा की लूट करने वाले लोग अपने ही लोग हैं। गरीबों के हिस्से का बहुसंख्यक आबादी का शोषण वही लोग करते हैं। जनता अगर धन-धान्य से भरपूर होगी और विदेशी शक्तियों के हाथ की कठपुतली हमारे लोग नहीं होंगे तो युद्ध करने की आवश्यकता नहीं होगी।

सुमन
लो क सं घ र्ष !

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अमेरिकन साम्राज्यवाद की मौत नजदीक आ रही है। पूरी दुनिया को गुलाम बनाने का स्वप्न अधूरा रह जायेगा। ईरान ने आज अपने परमाणु कार्यक्रम को उसके लाख विरोध के बाद आगे बढ़ा दिया है। अमेरिकियों को दिखाने के लिये उसका टेलीकास्ट भी किया है। इसके साथ-साथ ईरान ने यूरोप के छह: देशों को तेल बेचने से भी मना कर दिया है। यह देश हैं इटली, फ्रांस, स्‍पेन, ग्रीस, नीदरलैंड, पुर्तगाल। इन देशों की पहले से अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं है। तेल न मिलने से और व्यवस्था ख़राब होगी। अमेरिका की आर्थिक व्यवस्था पहले से ख़राब है। अमेरिकी जनता महंगाई, बेरोजगारी के खिलाफ आन्दोलनरत है। इन परिस्तिथियों में अमेरिका और इजराइल व उसके पिट्ठू देशों ने जो युधोन्माद ईरान के खिलाफ पैदा किया था। अगर वास्तविक लड़ाई पर आये तो निश्चित रूप से अमेरिकन साम्राज्यवाद को जबरदस्त धक्का लगेगा। अमेरिका द्वारा अघोषित रूप से शासित ईराक व पाकिस्तान भी ईरान के साथ खड़े होंगे।

चीन ने खुले आम घोषणा कर रखी है कि वह ईरान की मदद करेगा वहीँ भारत भी ईरान को छोड़ना नहीं चाहता है। अमेरिकी प्रयासों के बाद भी भारत ने तेल लेना बंद नहीं किया है और भारत अपने संबंधों को ईरान से ख़त्म नहीं करना चाहता है। ऐसी स्तिथियों में अगर अमेरिकी साम्राज्यवादी व उसके पिट्ठू मुल्क ईरान की तरफ अगर आँखें भी तरेरते हैं तो एशिया की बहुसंख्यक जनता व सरकारें अमेरिका को मुंहतोड़ जवाब देंगी। जिस तरह से अमेरिकन्स आज भी वियतनाम की मार को भूल नहीं पाए हैं।

सुमन
लो क सं घ र्ष !

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