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Posts Tagged ‘शंकर शैलेन्द्र ———–लोकसंघर्ष पत्रिका’

शंकर शैलेन्द्र

                                                                                                 शंकर शैलेन्द्र

सुन भैय्या रहिमू पाकिस्तान के 

भुलआ पुकारे हिंदुस्तान से

भुलवा जो था तेरे पड़ोस में

संग-संग थे जब से आए होश में

सोना- रूपा धरती की गोद में

खेले हम दो बेटे किसान के |

सुन भैय्या …

दोनों के आँगन एक थे भैय्या

कजरा औ “सावन एक थे भैया

ओढत -पहरावन एक थे भैय्या

जोधा हम दोनों एक मैदान के |

सुन भैय्या …

परदेशी कैसी चाल चल गया

झूठे सपनो से हमको छल गया

डर के वह घर से तो निकल गया

दो आँगन कर गया मकान के |

सुन भैय्या …

मुश्किल से भर पाए है दिल के घाव

कल ही बुझा लाशो का अलाव

अब भी मझधार में है अपनी नाव

फिर क्यों आसार है तूफान के |

सुन भैय्या …

तेरे मन भाया जो नया मेहमान

आया जो देने शक्ति का वरदान

आँखों से काम ले भैया पहचान

लिया चेहरे -मोहरे शैतान के |

सुन भैया …

इसने ही जग को दिया हथियार

फांसी के फंदे बांटे है उधार

इसका तो काम लाशो का ब्यापार

बचना ये सौदे है नुकसान के |

सुन भैया …

मै सभलू भैया तू भी घर संभाल

गोला-बारूद ये लकड़ी की ढाल

छत पर मत रखो यह परदेशी माल

कहते है नर-नारी जहान के |

सुन भैया …

हर कोई गुस्सा थूको मुस्कराओ

जो भी उलझन है मिल-जुल के सुलझाओ

सपनो का स्वर्ग धरती पर बसाओ

बरसाओ मोती गेहू -धान के |

सुन भैया …

– शंकर  शैलेन्द्र

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शंकर शैलेन्द्र -----------लोकसंघर्ष पत्रिका

शंकर शैलेन्द्र

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