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विलय फिर कर लेंगे
भारत में भारतीय जनता पार्टी ने एक नयी परंपरा की शुरुवात की थी कि प्रधानमन्त्री के पद पर वेटिंग होगी जिसके तहत सबसे पहले उम्मीदवार पार्टी के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण अडवाणी रहे हैं लेकिन वेटिंग कन्फर्म नहीं हो पायी, तब पार्टी ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को वेटिंग प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार बनाया है लेकिन वेटिंग कन्फर्म हो पानी मुश्किल है। वहीँ, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव वेटिंग प्रधानमंत्री के तीसरे उम्मीदवार हैं वह तीसरे मोर्चे के वेटिंग प्रधानमंत्री हैं। उत्तर प्रदेश में बड़ी जोर-शोर से तीसरे मोर्चे की सरकार बनाने की पैरवी की जा रही है लेकिन दुर्भाग्य यह है कि मुलायम सिंह यादव ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की उत्तर प्रदेश शाखा का विलय समाजवादी पार्टी में कई वर्ष पूर्व कर दिया था तत्कालीन पार्टी के सचिव मित्रसेन यादव समेत कई दिग्गज कम्युनिस्ट नेताओं ने रवीन्द्रालय में कम्युनिस्ट पार्टी का समाजवादी पार्टी में विलय कर दिया था। जनता दल को तोड़ने का भी काम सपा प्रमुख ने बखूबी निपटाया था। आज कितनी चालाकी से सपा तीसरे मोर्चे की सरकार बनाने की बात चुनाव के बाद कर रही है इसका मतलब यह है कि अगर कम्युनिस्ट पार्टियाँ उत्तर प्रदेश में एक आध सीट अपने दम पर जीत कर आये और उसके बाद उनको प्रधानमंत्री बनाने के लिए सपोर्ट करें और चुनाव में आमने सामने अपने दमखम का प्रदर्शन करें। उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त समाजवादी पार्टी का कोई अस्तित्व अन्य प्रदेशों में नही है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कांग्रेस और भाजपा का ललकारते हुए ऐलान किया कि लोकसभा चुनाव के बाद तीसरा मोर्चा सबसे बड़े समूह के रूप में उभरेगा। केंद्र में अगली सरकार तीसरे मोर्च की ही बनेगी। समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा, 2014 लोकसभा चुनाव में न तो कांग्रेस और न ही भाजपा की सरकार बनेगी। आम चुनाव के बाद तीसरा मोर्चे की सरकार बनेगी। हम लेफ्ट पार्टियों के संपर्क में हैं, चुनाव के बाद तीसरा मोर्चा का गठन होगा।
सन 2011 में यह बयान काबिलेगौर है कि समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव अवसरवादी है, वह अल्पसंख्यकों का वोट बटोरने के लिए तरह-तरह की बयानबाजी कर रहे हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का कहना है कि सपा को इस प्रकार की बयानबाजी से अधिक फायदा नहीं मिलने वाला है। भाकपा ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की तुलना करते हुये दिये बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए यही बात कही। भाकपा प्रदेश सचिव गिरीश और वरिष्ठ नेता अशोक मिश्र ने कहा कि सपा प्रमुख उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक ताकतों को वाक ओवर देना चाहते हैं।
अगर वाम ब्लाक को और भी अपनी दुर्गति करनी होगी और राष्ट्रीय स्तर पर समाजवादी पार्टी में अपनी अपनी पार्टियों का विलय करना होगा तो निश्चित रूप से तीसरे मोर्चे का वेटिंग प्रधानमंत्री का उम्मीदवार मुलायम सिंह यादव को बनायेगे। अब वेटिंग प्रधानमंत्री वेटिंग ही रहते हैं।

सुमन
लो क सं घ र्ष !

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यूपी के सपा राज में महीने दर महीने साम्प्रदायिक दंगों की रोज नई घटनाएं सामने आ रही हैं। अभी मथुरा के कोसी कला और प्रतापगढ़ के अस्थान के दंगों की आग बुझी भी नहीं थी कि बरेली फिर दंगों की आग में झुलस गया।
दंगे की मुख्य वजह यह थी कि नमाजियों का कहना था कि नमाज के वक्त कावरिए तेज आवाज में लाउडर न बजाएं, पर वे माने नहीं। एक बार फिर पूर्व नियोजित फिरकापरस्त ताकतों ने पूरे शहर को दंगे में झोक दिया।
गौर किया जाए तो इस इलाके में कावरियों को लेकर पिछले कई सालों से तनाव होते आ रहे हैं। दरअसल इसके पीछे हिन्दुत्वादी ताकतों का हाथ है। जिस तरह से शाहबाद इलाके में नमाज के वक्त तेज साउंड सिस्टम को बजाने व बंद करने को लेकर यह तनाव शुरु हुआ, ऐसा प्रयोग हिन्दुत्वादी शक्तियां आजादी के बाद ही नहीं उससे पहले भी करती रही हैं। तीस-चालीस के दशक में तो एक पूरा अभियान ही चलाया गया था कि जुमे की नमाज के वक्त मस्जिदों के सामने जाकर भजन-कीर्तन और नगाड़े बजाने का। उस दौर में इलाहाबाद के कर्नलगंज इलाके में हुए दंगे के गर्भ में भी यही साजिश थी। जिसमें मुख्य अभियुक्त के रुप में हिंदुत्ववादी मदन मोहन मालवीय थे।

बरेली में दूसरे दिन यानी 23 जुलाई को भी दंगा अपनी गति में रहा पर दिन के उजाले में जो मंजर देखने को आया उसने साफ कर दिया कि समाजवादी पार्टी की सरकार दंगे पर काबू नहीं पाना चाहती। जहां एक ओर दंगे में मारे गए इमरान के जनाजे को रोका गया तो वहीं कावरियों के जत्थे को तेज आवाज के साउंड सिस्टम बजाते हुए कर्फ्यू क्षेत्र से पुलिस के प्रोत्साहन में निकाला गया।
मंजर पर बरेली कालेज के शिक्षक और पीयूसीएल नेता जावेद साहब की बातें चुभ जाती हैं कि यह ‘मुस्लिम कर्फ्यू’ है। बंद घरों में लोग अपने आंगन में आसमान में धुंआ उठता देखते हैं, और जलती दुकानों-घरों की आंच को महसूस करते हैं और अंदाजा लगाते हैं कि किसका आसियाना जला। एक लंबे समय अन्तराल के बाद पुलिस के सायरन की आवाजों के बीच फायर ब्रिगेड की घंटी की आवाज की टन-टनाहट उन्हें पागल कर देती है। यह सब उस सपा सरकार में हो रहा है, जिसके मुखिया मुलायम सिंह कहते हैं कि उन्हें मुसलमानों ने सौ फीसदी वोट देकर सत्ता में लाया है।
23 जुलाई को ही प्रतापगढ़ के अस्थान गांव में भी प्रवीण तोगडि़या जाते हैं और खुलेआम मुस्लिमों के खिलाफ जहर उगलते हैं। पिछले महीने अस्थान में हुए दंगे में दर्जनों मुस्लिमों के घरों को दंगाइयों ने खाक कर दिया था। इस दंगे में प्रदेश के कारागार मंत्री रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया के लोगों की भूमिका किसी से छिपी नहीं है।
सपा के राज में एक बार फिर से हिन्दुत्ववादी ताकतें प्रायोजित तरीके से दंगें भड़कानें का काम कर रही हैं। फैजाबाद जो पिछले तीन दशक से सांप्रदायिक राजनीति की राजधानी बन गया है वहां भी 23 जुलाई की शाम दंगा भड़काने की कोशिश हुई। अयोध्या शहर से सटे हुए शहादतगंज के पास के गांव मिर्जापुर में नवाज के ऐन वक्त पुलिस मस्जिद में ताला जड़ देती है। भारी तनाव के बाद ईशा की नवाज तो अदा हो गई पर शहर एक बार फिर सांप्रदायिक हिंसा के अंदेशे से सहम गया। स्थानीय लोगों के मुताबिक इस मस्जिद की उम्र सौ साल से ज्यादा है। 22 जुलाई को अयोध्या में गोरखपुर के सांसद और हिंदू युवा वाहिनी के संचालक योगी आदित्यनाथ शहर में आए थे। शहर में हुए इस तनाव के पीछे भी हिन्दुत्वादी ताकतों का हाथ सामने आ रहा है।
पा राज में हो रहे दंगों में प्रशासन की उदासीनता यह बताती है कि एक बार फिर से आम-आवाम के बीच सांप्रदायिकता का जहर घोल करके मूलभूत मुद्दों से भटकाने की राजनीति शुरु हो गई है।

-राजीव यादव

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