मोदी ने अपने मुंह से अपनी पीठ थपथपाते हुए एक क्रांतिकारी कदम बताते हुए 500 और 1000 रुपये के नोट का विमुद्रीकरण कर प्रचलन से वापस ले लिया और कहा कि काला धन हम वापस ला रहे हैं. वहीँ, दूसरी तरफ 22 अक्टूबर को मोदी ने वडोदरा में सभा संबोधित करते हुए उद्योगपतियों, काला धन के व्यापारियों को संकेत दे दिया था कि सरकार 500 और 1000 के नोट बंद करने जा रही है और 26 अक्टूबर 2016 को दैनिक जागरण अखबार ने इन नोटों के प्रचालन पर रोक लगाने की बात को प्रकाशित किया था. इसके अतिरिक्त काला धन के व्यापारियों को सरकार इस कदम उठाने की विधिवत सूचना थी और उन लोगों ने पहले से अपने धन को काले से सफ़ेद करने की व्यवस्था कर ली थी. दूसरा तर्क यह भी दिया गया कि फर्जी नोटों का चलन रोकने के लिए यह ज़रूरी था. मोदी जी को यह बात भली भांति मालूम है कि एटीएम ही फर्जी नोटों का प्रचार व प्रसार करते हैं और जब दो हज़ार रुपये के नोट आप जारी कर रहे हो तो आप काला धन इकठ्ठा करने वालों को विशेष सुविधा दे रहे हो. आप की नियत अगर साफ़ होती तो आप 2000 और 500 का नोट पुन: नहीं जारी करते. आपकी मंशा गलत है. आपको उद्योगपतियों और बड़े आदमियों को फायदा पहुंचाने की आपकी नीति है. क्या यह बात सही नहीं है कि बैंक अधिकारीयों ने नियोजित तरीके से सौ रुपये के नोट जनता में देने बंद कर दिए थे और एटीएम तक में जो सौ रुपये तक के नोट जारी होते थे वह बंद कर दिए थे और गरीब जनता – साधारण लोगों के पास 1000-500 के नोट पहुँच गए तब आपने उसका प्रचलन बंद कर दिया. एक 500 रुपये का नोट बदलने के लिए पूरा दिन आदमी बैंक के सामने लाइन में लगना पड़ रहा है. क्या यह बात आप नहीं जानते थे. हज़ारों लोग रुपया होने के बावजूद मर गए, लाखों लोग जेब में रुपया होने के बाद भी उनको भूखों रहना पड़ा. एक हज़ार रुपये की नोट 600 रुपये में लोगों को बेचनी पड़ रही है. 500 रुपये की नोट 250 से 300 में बिक रही है. आपके मंत्रिमंडल के कितने सदस्यों ने किसी बैंक के सामने खड़े होकर अपने रुपयों का विनिमय कराया है. आपकी नरभक्षी सोच ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली है. लोगों को ठगने के लिए आपकी घोषणा करने से पहले तक 1000 और 500 रुपये के नोट एटीएम जनता को देता रहा. यह आपकी ठगी है या नहीं.
यह उदारहण गुवाहाटी के कुमारपारा इलाके के एक निवासी दीनबंधु ने अपनी बेटी की शादी के लिए मंगलवार को जमीन बेचकर यह धनराशि घर में रख ली थी लेकिन रात को 500 और 1000 के नोटों के चलन पर रोक की खबर सुनकर बेहोश हो गया। उसने उसी रात कई एटीएम में पैसे जमा कराने की कोशिश की लेकिन विफल रहा। वहीँ, दीनबंधु के परिवार के सदस्यों के अनुसार वह बहुत परेशान था और रात को बिना कुछ खाये सो गया। जब सुबह वह शौचालय के लिए जाने लगा तभी दिल का दौरा पड़ गया तथा मौके पर ही उसकी मौत हो गयी.
इसी प्रकार बडे नोटों के बंद होने की घोषणा के बाद शिवसागर जिले के जीतू रहमान को दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। रहमान ने अपने भाई की शादी के लिए विभिन्न स्रोतों से तीन लाख रुपये घर में जमा कर रखे थे
केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के अस्पताल में 500 व 1000 के नोट न लेने के कारण मौत हो गई…वही विदेशियों ने कसमे खाई है कि अब इंडिया नही आएगे —उनके पास उचित नोट न होने के कारण भूखा तक रहना पड़ा है
आप सभी लोग डिजिटल इंडिया की बात करते हैं और बैंकों का कम्प्यूटरीकरण कर रखा है. यह सब फर्जी बातें है बैंकों के अधिकांश शाखाओं में सर्वर नहीं काम कर रहे थे. आप ने कोई व्यवस्था नहीं कि अधिकांश बैंकों में 2 बजे रुपया समाप्त करके बैंकों ने ताला लगा दिया. कुछ बैंकों ने रुपया गिनने के नाम पर शाखाओं ने अन्दर से ताले लगा लिए.वही डाकघरों में कोई व्यवस्था ही नही की गई थी हो सकता हो ,बड़े शहरों में कुछ शाखाओ में व्यवस्था की गई हो कुल मिलाकर गरीब तबके का खून सिरिंज से निकाल कर पीने का काम आप लोग कर रहे थे. कोई व्यवस्था आपकी सही नहीं रही. सिर्फ अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने के अलावा. आपके वित्त मंत्री अरुण जेटली कह रहे थे कि आपकी इस योजना से ईमानदार लोग खुश हैं जबकि यह भी जुमला था. ईमानदार लोग आपको कोस रहे थे और बेईमान लोग खुश थे.
इनकी जान कौन वापस करेगा. लोगों को धर्म के नाम पर भड़काकर आप लोगों की जान ले रहे हैं और ठग रहे हैं. आप इस देश के अन्दर एक ठग व नरभक्षी प्रधानमंत्री के रूप में हमेशा याद किये जाते रहेंगे.
वहीँ, जारी 2000 के नोट का कागज, डिजाईन, कलर चूरन वाले नोट की तरह है और लगता है की यह कमीशन खाकर नोट तैयार किये गए हैं. देश के अन्दर इस पूरी भागदौड़ के बाद एक पैसे का भी देश को फायदा नहीं होना है और बन्दर भाग से हज़ारों लोगों की जानें चली गयी हैं और कितनी जाएँगी वह समय बताएगा.
सुमन
लो क सं घ र्ष !
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मोदी – गरीब ठगी योजना प्रारंभ
Posted in loksangharsha, tagged मोदी, विमुद्रीकरण, सुमन लोकसंघर्ष on नवम्बर 10, 2016| Leave a Comment »
नागपुरी आतंकवाद का असली चेहरा सामने आया
Posted in loksangharsha, tagged संत रामपाल, सतलोक आश्रम, सुमन लोकसंघर्ष, हरियाणा on नवम्बर 18, 2014| Leave a Comment »
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क्या यह नये आतंकियों को तैयार करने की नर्सरी नहीं है |
देश के अन्दर नागपुरी आतंकवादियों ने पूरे समाज में एक विष घोल दिया है और हिन्दू समाज के धार्मिक पुरुषों के स्थान पर राजनीती करने वाले तथा अपराधी तथ्यों का एक बड़ा तबका हिन्दू धर्म के मतावलंबियों की आस्था का लाभ उठा कर नये नये मठ व आश्रम खोल कर आतंकी घटनाओ को करने में लग गया है . बम्बई एटीएस चीफ हेमंत करकरे ने बहुत सारे नागपुरी आतंकवादियों को पकड़ कर विभिन्न बम विस्फोटों का पर्दाफाश किया था किन्तु मुंबई आतंकी घटनाओ में उनकी टीम शहीद हो गयी थी किन्तु दुर्भाग्यवश देश की राजनीतिक परिस्थितियां ऐसी बदली की व्यापारी, अपराधी व चरित्र हीनता की पराकाष्ठा को पीछे छोड़ चुके कथित संतों की एक पूरी जमात तैयार हुई जो देश और प्रदेश की राजनीति की दिशा व दशा तय करने लगी. बड़े-बड़े राजनेता उनके भक्त हो गए . आज हरियाणा के सतलोक आश्रम में कथित संत रामपाल की गिरफ्तारी को लेकर हरियाणा सरकार बनाम रामपाल का युद्ध कई दिनों से चल रहा है . एक दिन का खर्चा लगभग 6 करोड़ रुपये आ रहा है डीजीपी ने मौत के दावे को झूठा करार दिया है। उन्होंने कहा कि संत के समर्थकों के हमले में 105 पुलिसवाले जख्मी हो गए हैं। उन्होंने बताया कि दो पुलिसवालों को गोलियां लगी हैं। पुलिस महानिदेशक का कहना है कि रामपाल अब भी आश्रम में ही हैं जिन्हें बचाने के लिए कई लोगों को ‘बंधक बनाकर’ आश्रम में रखा गया है। . काफी लोगों के हताहत होने के समाचार मिल रहे हैं .
लाठीचार्ज में एनडीटीवी के पत्रकार सिद्धार्थ पांडेय, पत्रकार मुकेश सेंगर, कैमरामैन सचिन गुप्ता, कैमरामैन फ़हद तलहा, कैमरामैन अश्विनी मेहरा और कैमरा सहयोगी अशोक मंडल घायल हुए हैं।पत्रकारों को घटनास्थल से करीब 2 किलोमीटर दूर खदेड़ दिया गया है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
अदम्य शौर्य व साहस के बहाने हत्याएं
Posted in loksangharsha, tagged फर्जी मुठभेड़, मछिल, सुमन लोकसंघर्ष on नवम्बर 14, 2014| Leave a Comment »
पहले गोडसे को नकारा – अब वैदिक को
Posted in loksangharsha, tagged गाँधी, नेहरु, राम माधव, वैदिक, संघ, सुमन लोकसंघर्ष, dawn on जुलाई 16, 2014| Leave a Comment »
महात्मा गाँधी की हत्या के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने नाथूराम गोडसे से अपने संबंधों से इनकार कर दिया था और तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को माफीनामा लिख कर अपने संगठन के ऊपर से प्रतिबन्ध हटवाया था कि वह सांस्कृतिक संगठन के रूप में काम करेगा राजनीति से उसका सम्बन्ध नहीं रहेगा . प्रतिबन्ध हटने के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने “गाँधी वध क्यों” किताब को अपने स्टालों से बेचना प्रारंभ कर दिया था और गाँधी वध को सही ठहराने का प्रयास आज भी जारी है . वध शब्द का अर्थ अच्छे कृत्य के रूप में लिखा जाता है जबकि गाँधी की हत्या की गयी थी .
आज जब डॉ वेद प्रताप वैदिक ने जाकर हाफिज सईद से मुलाकात की और फिर कश्मीर को स्वतन्त्र मुल्क घोषित करने की वकालत की और पाकिस्तान के न्यूज चैनल डॉन न्यूज को दिए वैदिक का इंटरव्यू भी सामने आ गया, जिसमें एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि अगर भारत और पाकिस्तान राजी हों तो कश्मीर की आजादी में कोई हर्ज नहीं है। अपने इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अगर दोनों तरफ के कश्मीरी तैयार हो और दोनों देश भी तैयार हो तो आजाद कश्मीर बनाने में कोई बुराई नहीं है। वैदिक ने आगे कहा कि गुलाम कश्मीर और आज़ाद कश्मीर से दोनों से सेना हटनी चाहिए, दोनों की एक विधानसभा हो, एक मुख्यमंत्री हो, एक गवर्नर हो, यही बात अमरीका व सी आई ए भी चाहता है ,तो आरएसएस से बीजेपी में गए राम माधव ने भी साफ किया है कि वैदिक संघ से नहीं जुड़े हैं। संघ के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने भी सफाई देते हुए कहा कि वैदिक हमारे साथ जुड़े नहीं हैं। इन बातों से संघ की गिरगिट जैसी चालों का पर्दाफाश होता है . जबकि वास्तविकता ये है कि डॉ वेद प्रताप वैदिक बीजेपी सरकार बनवाने के लिए कार्य कर रहे थे . डॉ. वेद प्रताप वैदिक ने कहा है कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में उनका भी योगदान है।
संघ कभी भी नेहरु या गाँधी के योगदान को नहीं मानता है और आजादी के बाद से ही नेहरु और गाँधी की चरित्र हत्या सम्बंधित समाचार, आलेख प्रकाशित करता रहता है और जब जरूरत होती है तो उसी गाँधी और नेहरु की कसम भी खाता है. संघ का प्रेरणा श्रोत्र हिटलर और मुसोलिनी है और वर्तमान में सबसे प्रिय राष्ट्र इजराइल व अमेरिका है . आज संघी ताकतें खामोश हैं अगर हाफिज सईद से किसी अन्य व्यक्ति ने मुलाकात कर ली होती तो देश द्रोही का प्रमाणपत्र यह लोग जारी कर रहे होते और कश्मीर पर आये हुए डॉ वैदिक के साक्षात्कार को लेकर पूरे देश में पुतला दहन कर रहे होते . आज उनकी असली सूरत दिखाई दे रही है . आजादी की लड़ाई में एक भी संघी जेल नहीं गया था . उसके बाद भी सबसे बड़े देश प्रेमी व देश भक्त का प्रमाणपत्र स्वयं के लिए जारी करते रहते हैं और दुसरे लोगों को देशद्रोही बात-बात में कहना इनकी आदत का एक हिस्सा है .
रंगा सियार शेर नहीं हो सकता है लेकिन शेर बनने की कोशिश जरूर करता है .
सुमन
लो क सं घ र्ष !
खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे
Posted in loksangharsha, tagged नवाज शरीफ, मोदी, सलवारी बाबा, सुमन लोकसंघर्ष on मई 28, 2014| Leave a Comment »

चिड़िया का नाम
Posted in loksangharsha, tagged चिड़िया, सुमन लोकसंघर्ष, Mourning Dove on मई 19, 2014| 2 Comments »
सादर
सुमन
लो क सं घ र्ष !
सच्चा मुसलमान -सच्चा हिन्दू सपा- भाजपा को वोट दे
Posted in loksangharsha, tagged अबू आजमी, गिरिराज सिंह, समाजवादी पार्टी, सुमन लोकसंघर्ष on मई 2, 2014| Leave a Comment »
लोकसभा चुनाव के जैसे-जैसे मतदान के चरण निपट रहे हैं वैसे-वैसे भारतीय जनता को हिन्दू व मुसलमान में बांटने की कोशिश जारी है। निष्पक्ष मतदाता को तरह-तरह की गालियाँ सपा और भाजपा के लोग देना प्रारंभ कर दिए हैं इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने कहा कि जो मुसलमान उनकी पार्टी को वोट नहीं देते हैं, वे ‘सच्चे मुसलमान’ नहीं है। अबू आजमी यहीं नहीं रुके और बोले कि अगर किसी मुसलमान ने एसपी को वोट नहीं दिया तो माना जाएगा कि उसने कौम से दगाबाजी की है। उन्होंने कहा कि ऐसे मुसलमानों का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा, जिससे पता चलेगा कि कहीं वो आरएसएस का आदमी तो नहीं है?
वहीँ, हिन्दू मतदाताओं को ललकारा जा रहा है कि अगर मोदी को वोट नहीं दिया तो आप पाकिस्तानी हो और आपको पाकिस्तान भेज दिया जायेगा। बिहार भाजपा के नेता गिरिराज सिंह ने कहा था कि नरेन्द्र मोदी का विरोध करने वाले पाकिस्तानी हैं।उन्हें इस देश में रहने का हक नहीं है।यानी अब इस देश में वही रह पायेंगे जिनकी नरेंद्र मोदी में गिरिराज की तरह भक्ति होगी। वहीँ, प्रवीण तोगड़िया मुसलमानों के घर लूट लेने और कब्ज़ा कर लेने की बात कर रहे हैं। चुनाव आयोग हाथी के दांत दिखाने की तर्ज पर काम कर रहा है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा, ‘लालू तो पाकिस्तान में पहले से ही लोकप्रिय हैं, ऐसे में उन्हें ही पाकिस्तान भेज दिया जाना चाहिए. आर.एस.एस.का नारा है सुन ले बेटा पकिस्तान बाप तेरा है हिन्दुस्तान.
इस तरह की बयानबाजी के ऊपर चुनाव आयोग का अंकुश नहीं रहा है। निष्पक्ष चुनाव करने का दावा करने वाला चुनाव आयोग ऐसे नेताओं से समझौते करते नजर आ रहा है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग की साड़ी गरिमा ही ख़तम कर डी है। ममता वाहिनी ने विभिन्न चुनाव छेत्रों में बूथ कैप्चर कर मतदान का प्रतिशत 85 कर दिया है। चुनाव आयोग के पर्वेक्षक बंगाल में भीगी बिल्ली की तरह नजर आ रहे हैं। लोकतंत्र में धर्म के नाम पर वोट का आधार बनाने वालों के खिलाफ ईमानदारी से कार्यवाई नहीं की जाती है तो इसी तरह के नारे और इसी तरह की बात करके नेतागण लोकतंत्र का पूरी तरह से सत्यानाश पीट देंगे।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
मोदी
Posted in loksangharsha, tagged गब्बर, नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री, सुमन लोकसंघर्ष on अप्रैल 25, 2014| 2 Comments »

धरातल पर जो चुनाव हो रहा है उसमें सत्तारूढ़ दल कांग्रेस व सांप्रदायिक संगठनो के विरोधी दल की स्तिथि ख़राब नजर नहीं आ रही है। जनता में मुद्दों की चर्चा बंद हो गयी है दो दल बन गए हैं। एक मोदी हराओ और दूसरा मोदी जिताओ। मोदी जिताओ दल में मीडिया के पत्रकार ज्यादातर शामिल हैं. जनता की ओर से उनको समर्थन नही मिल पा रहा है। मीडिया द्वारा तरह-तरह की अफवाहें उनके प्रधानमंत्री मोदी के समर्थन में हो रही है। कभी समाचार यह आता है कि अमेरिका मोदी के आने से घबरा रहा है तो कभी पाकिस्तान , चीन भी भयाकुल है। वस्तुस्तिथि यह है कि भाजपा के अधिकांश दिग्गज नेता अघोषित तरीके से मीडिया के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ हैं। जिलों-जिलों से जो खबरें आ रही हैं वह भी मीडिया की बातों को असत्य ही साबित कर रही हैं। भाजपा के नेतागण उम्मीदवार हराओ , उम्मीदवार जिताओ के खेमे में बँट गए है। जिससे बहुत सारे प्रत्याशी चुनाव प्रबंधन में कमजोर हो रहे हैं। आज नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया जिसमें पार्टी के बड़े नेता शामिल नही हुए और वाराणसी के अगल-बगल के जिलों के कार्यकर्ताओं को जुटाकर भीड़ प्रदर्शित की गयी थी। कुल मिलाकर स्तिथि यह होनी है कि माया मिली न राम।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
गोविल्स के प्रचार में फंसा मीडिया नायक
Posted in loksangharsha, tagged एम जे अकबर, भाजपा, राजीव गांधी, सुमन लोकसंघर्ष on मार्च 23, 2014| Leave a Comment »
गोविल्स के प्रचार में फंसा मीडिया नायक मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर। जब राजीव गांधी की तूती बोलती थी तो उनकी जय जयकार और जब मीडिया ने एक भ्रामक हिन्दुवत्व की लहर भारतीय समाज में पैदा की तो उस भ्रम को फैलाने का कार्य करने वाले उसी भ्रम में एम जे अकबर साहब दिग्भ्रमित होकर फंस गए। उनका सारा इतिहास का ज्ञान सामर्थ्य नमो नमो करने के लिए समर्पित हो गया है उदारवादी नीतियों के चलते अपनी सुख सुविधाओं को बरक़रार रखने के लिए पतन की कोई सीमा रेखा इस घटना के बाद नहीं रेह जाती है। यह ऐतिहासिक सत्य भी है कि अवसरवादी बुद्धिजीवी अपनी सुख सुविधाओं के लिए कुछ भी कर सकता है। जिसका प्रत्यक्ष उद्धरण यह है. एम जे अकबर कांग्रेस से सांसद रह चुके हैं. वे बिहार के किशनगंज से दो बार सांसद रहे हैं. साथ ही वे राजीव गांधी के प्रवक्ता भी रहे हैं. वे इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटोरियल डॉयरेक्टर भी रहे हैं. अकबर ने कहा, ‘‘यह हमारा कर्तव्य है कि हम देश की आवाज के साथ आवाज मिलाएं और देश को फिर से पटरी पर लाने के मिशन में जुट जाएं. मैं भाजपा के साथ काम करने को तत्पर हूं.’’ इसी तरह की बातें जब वह राजीव गांधी के प्रवक्ता थे तब कहा करते थे। असल में तथाकथित बड़े पत्रकार सत्ता के प्रतिस्ठानों में और कॉर्पोरेट सेक्टर के बीच में मीडिएटर का काम करते हैं और मीडिएट होने के बाद वह स्वयं भी देश की सेवा में सीधे सीधे उतर पड़ते हैं। यह कोई भी आश्चर्य की बात नही है।
भाजपा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का अनुषांगिक संगठन है जो नागपुर मुख्यालय से संचालित होता है। जर्मन नाजीवादी विचारधारा से ओत प्रोत संगठन है। विश्व का कॉर्पोरेट सेक्टर अपनी पूरी ताकत के साथ भारत के ऊपर फासिस्ट वादी ताकतों का कब्ज़ा कराना चाहता है। जिससे यहाँ के प्राकृतिक संसाधनो का उपयोग कर अकूत मुनाफा कमाया जा सके। भाजपा में बाराबंकी से लेकर बाड़मेर तक और नागपुर मुख्यालय से लेकर झंडे वालान तक कुर्सी के लिए मारपीट हो रही है , मान मनौव्वल हो रही है। चुनाव हुए नहीं हैं , प्रधानमंत्री , उप प्रधानमंत्री, गृह मंत्री के पद बाटें जा रहे हैं . जगदम्बिका पाल से लेकर सत्यपाल महाराज, रिटायर्ड जनरल-कर्नल से लेकर वरिष्ठ नौकरशाह पुलिस अधिकारी पत्रकार गिरोह बनाकर देश सेवा अर्थात लुटाई में हिस्सेदारी के लिए अपनी नीति, विचार त्याग सबको तिलांजलि देकर रातों रात अपनी निष्ठाएं और आस्थाएं बदल रहे हैं। उसके बाद भी सरकार फासिस्टों की नहीं बनेगी।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
मोदी साहब आप किस स्कूल से पढ़े हैं और कितना पढ़े हैं ?
Posted in loksangharsha, tagged प्रधानमंत्री, बाराबंकी, मोदी, सुमन लोकसंघर्ष on मार्च 4, 2014| Leave a Comment »
आज बाराबंकी कचेहरी में एक साहब आये और उन्होंने कहा कि मोदी जब सामान्य ज्ञान या इतिहास के ऊपर बोलते हैं तो वह गलत हो जाता है तो आप बताओ कि नरेंद्र मोदी कितना पढ़ा लिखा है ? मुझे कोई उत्तर नही सूझा साथ में दो पत्रकार भी बैठे हुए थे उनको भी यह जानकारी नहीं थी कि नरेंद्र मोदी ने स्कूल का मुंह देखा है या नही। फिर क्या था वह साहब कहने लगे कि भाई कुछ लोग देश का प्रधानमंत्री बनाने जा रहे हैं और आप लोगों को यह भी जानकारी नही हो पायी हैं कि मोदी पढ़ा लिखा है या साक्षर है। फिर उन्होंने हम लोगों के ऊपर धौंस ज़माने के लिए कहा कि मोदी जब कभी-कभी इंग्लिश के वाक्यांश का
प्रयोग करता है तो वह भी गलत-शलत होते हैं। उससे बढ़िया अंग्रेजी तो मैं बोल लेता हूँ।
उस शख्स के जाने के बाद मैं सोचने लगा। अगर भगत सिंह के अंडमान जेल में बंद होने की बात हमारे प्राइमरी स्कूल के उस समय के हेड मास्टर पंडित श्याम लाल के सामने कही गयी होती तो बेहया का डंडा पूरे शरीर के ऊपर कितने टूट जाते यह उस छात्र को भी नही मालूम होता। जूनियर हाई स्कूल के अध्यापक राजा राम यादव के सामने पटना में सिकंदर की बात किसी छात्र ने कही होती तो मास्टर साहब चटकना से लेकर उस छात्र के ऊपर पूरी तरह से घूसेबाजी कर दिए होते। यह सब साड़ी ग़लतफहमी मंचासीन कुछ पढ़े लिखे नेताओं और हजारो लोगों कि भीड़ के समक्ष होती रही और किसी भी नेता के मुंह से आह भी नही निकली जैसे कि वह लोग मोदी के व्यक्तिगत नौकर कि भूमिका में हो और बोलने पर नौकरी चले जाने का डर हो। स्मृतियों में खोकर बहुत सारी चीजें याद आने लगी और फिर हंसी।
वास्तव में कुर्सी का प्रेम सब कुछ छीन लेता है। बुद्धि और विवेक भी, मोदी तिरंगा-तिरंगा चिल्लाते हैं , राष्ट्रीय स्वाभिमान की बात करते हैं। उनके साथ बैठे हुए लोगों ने मंच पर जब मोदी गलत उवाच कर रहे होते हैं, तो पढ़े लिखे और संघ के सिद्धांतकार गुरु गोलवलकर , हेड़गवारकर की लिखी हुई किताबों और बातों को भूल जाते हैं। जिस संगठन का इस देश कि जंगे आजादी की लड़ाई से, संविधान से कोई वास्ता नहीं रहा है वह राष्ट्र और तिरंगे की बात प्रधानमंत्री पद का स्वघोषित उम्मीदवार नरेंद्र मोदी करता है तो उनको कैसा लगता है।
आज सबसे पहले मोदी को अपनी पढाई लिखाई की जानकारी संपूर्ण राष्ट्र को देनी चाहिए साथ में यह भी बताना चाहिए कि उनकी रैलियों का खर्च कौन उठा रहा है अन्यथा यह समझा जायेगा कि कोई कार्पोरेट सेक्टर या विदेशी शक्ति लाखों करोडो रुपये खर्च कर मोदी को मुखौटा बना कर इस देश को कब्ज़ा करना चाहता है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !