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Posts Tagged ‘loksangharsha’

साहिर लुधियानवी -आओ कोई ख्वाब बुनें

साहिर लुधियानवी -आओ कोई ख्वाब बुनें

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कांति मोहन सोज़ -लाल है परचम,नीचे हंसिया

कांति मोहन सोज़ -लाल है परचम,नीचे हंसिया

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अज़ीमुल्ला खान ------1857का राष्ट्र गीत

अज़ीमुल्ला खान ——1857का राष्ट्र गीत

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सूर्य कान्त त्रिपाठी 'निराला' -अमीरों की हवेली

सूर्य कान्त त्रिपाठी ‘निराला’ -अमीरों की हवेली

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शंकर शैलेन्द्र -----------लोकसंघर्ष पत्रिका

शंकर शैलेन्द्र

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हाथ में कूँड़ी बगल में सोटा, चारो दिसा जागीरी में.
आखिर ये तन खाक मिलेगा, कहां फिरत मगरूरी में ॥
बीएसई सेंसेक्स 854.86 (-3.07%) पॉइंट की गिरावट के साथ 26,987.46 पर बंद हुआ । निफ्टी में भी 251.05 (-3.00%) पॉइंट की गिरावट रही। निफ्टी 8,127.35 पर बंद हुआ। बाजार की इस बड़ी गिरावट ने छोटे, बड़े सभी निवेशकों में हड़कंप मचा दिया है।
इस बीच 5 सालों में पहली बार तेल का मूल्य 50 डॉलर से नीचे पहुंच गया है । करीब 6 महीनों से तेल की कीमत में गिरावट का सिलसिला जारी है इससे आर्थिक मंदी के संकट का डर सताने लगा है। तेल की कीमतों में गिरावट के कारण न सिर्फ एनर्जी स्टॉकों बल्कि समूचे स्टॉक मार्केट में भारी बिकवाली देखने को मिल रही है।दुनिया भर के बाजारों में अफरातफरी मची है-सार्वजनिक क्षेत्र को बेच कर उद्योगपतियों के हाथों को मजबूत करने के लिए वर्तमान केंद्र सरकार पूरी तरीके से प्रयासरत है . बीमा, बैंक रेल, डाक , स्टील के कारखानों सहित जहाँ भी सरकार के पास अपना कुछ है उसको हर संभव तरीके से किसी न किसी उद्योगपति को देने की तैयारियों  पर युद्ध स्तर पर काम चल रहा है . कुछ वर्षों पूर्व यूरोप से लेकर अमेरिका तक आर्थिक मंदी का शिकार हुए थे उस समय भारत में सार्वजानिक क्षेत्र की वजह से आर्थिक मंदी का असर मामूली ही आया था लेकिन इस बार कॉर्पोरेट सेक्टर की प्रिय सरकार इन क्षेत्रों के अतिरिक्त किसानो की या जनता के पास जामीन नाम की जो चीज है उसको छीनने के लिए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाया जा चूका है और उद्योगपतियों के काले धन से देश के निवासियों के पास जो जमीनें मकान, दुकान है उसको छीनने के एक कानूनी तरीका भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के माध्यम से किया जाना शुरू हो गया है. जनता से यह कहा जायेगा कि आपकी जमीन और मकान के ऊपर अदानी साहब रेशमी रुमाल का कारखाना लगाने वाले हैं इसलिए यह रुपया लो . मकान व जमीन छोड़ दो अन्यथा पुलिस और पी एस सी की बन्दूखें कानून व्यवस्था के नाम पर तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का वध कर देंगी .
                नागपुर मुख्यालय एक धार्मिक राष्ट्र बनाने का नारा देकर सम्पूर्ण नागरिकों को यह सिखाना चाहता है कि  “आखिर ये तन खाक मिलेगा, कहां फिरत मगरूरी में ” यही  उसका हिन्दुवत्व है . उद्योगपतियों के गुलाम बनाने के लिए नागपुर मुख्यालय प्रयत्नशील रहा है और इसके लिए वह घ्रणा – द्वेष का व्यापार कर रहा है .

सुमन
लो क सं घ र्ष !

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बलिदानी वीर सपूतों के सपनो का हिंदुस्तान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
आधिसदी से ज्यादा बीती, कब तक फुटपाथों पर सोयें।
सरके ऊपर छत होगी, हम कब तक सपने और संजोयें।।
हमको झूठा आश्वासन, न सरकारी फरमान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
भूख, कुपोषण, बीमारी से घुट-घुट मरे हमारे बच्चे।
(ये) हम तरसें सूखी रोटी को, छप्पन भोग तुम्हारे बच्चे।।
तरह-तरह के तुम्हे सैकड़ों व्यंजन व पकवान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
सर्दी की रातों में कितने ठिठुर-ठिठुर इस साल मर गए।
नंग धडंगे, भूखे बच्चे माँ की सूनी गोद कर गए।।
वे सर कहाँ छिपाते उनको भी कोई स्थान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
तर-तर चुए पसीना तन से चुन-चुन कर हम महल बनाये।
हम मेहनतकश आसमान के नीचे सो कर रात बिताएं।।
हमें तुम्हारा शाही बंगला, महल न आलीशान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
बेगारी, बेकारी की हम मार झेलते मर-मर जीते।
जल भी शुद्ध नसीब न हमको, दूध तुम्हारे कुत्ते पीते।।
तुम्हे महीने में लाखों की व्हिस्की, जलपान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
अरबों-खरबों के घोटाले कर देश लुटेरे लूट रहे।
कईसे चूल्हा आज जली, बुधई के पसीने छूट रहे।।
इन भ्रष्टों देश लुटेरों के फांसी का दंड विधान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
सत्ता के सिंहासन पर हम, अरे धूर्तों तुम्हे बिठाएं।
तुम मुर्गा बिरयानी चाँपों , हम सूखी रोटी खाएं।।
बेरोजगार मुरझाये चेहरों पर हमको मुस्कान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
तम्बू ताने या झोपड़ियों में हम जीवन बसर करें।
लुटे-पिटे और ठुसे-ठुसे हम बस ट्रेनों में सफ़र करें।।
तुमको एसी कार मुफ्त उड़ने को वायुयान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
अभिसप्त जहाँ दूषित जल पीने को अब भी आधी आबादी।
शिक्षा और चिकित्सा जैसी ना ही सुविधाएं बुनियादी।।
हमको भी अधिकार हमारा, भिक्षा न अनुदान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
गुंडे-डकैत निर्भय होकर, अब लूट रहे बस रेलों में।
अपराधी घूमैं स्वतन्त्र, निर्दोष सड़ रहे जेलों में।।
हमको शीघ्र पारदर्शी समता का न्याय विधान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
दूर गरीबी होगी झूठे सपने हमें दिखने वालों।
बच्चा-बच्चा शिक्षित होगा, हमको मूर्ख बनाने वालों।।
कल की बातें छोडो, हमको भविष्य नहीं वर्तमान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
दीन -हीन सदियों से जो, शोषित और सताएं हैं।
भूखे रहकर भी आजीवन, सेवा का धर्म निभाएं..
उन वंचित, पीड़ित, पतितों व पद दलितों का उठान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
वरसा, सर्दी, गर्मी सहकर जो धरती से अन्न उगायें।
भूखे मरै उन्ही के बच्चे, वे ही करे आत्म हत्याएं।।
उन मजदूर किसानो को भी, सुख, सुविधा, सम्मान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
सांसद और विधायक बनकर खद्दर धारी देश लूटते।
घोटालों पर घोटाले कर, ये जनता का रक्त चूसते।।
विधान सभा व संसद में भेडिये नहीं इंसान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
नेताओं नौकरशाहों के दौलत का कोई हिसाब नहीं।
औ न्यायलय से न्याय कब मिले इसका कोई जवाब नहीं।।
भ्रष्टाचार, डकैती, चोरी का अब शीघ्र निदान चाहिए
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
भारी भरकम फ़ोर्स रात दिन लगी है इनकी रक्षा में।
मानवता के हत्यारों पर अरबों खर्च सुरक्षा में।।
दंगाई देश लुटेरों को फिर राजकीय सम्मान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
ध्वस्त हुई कानून व्यवस्था निर्भय अत्याचारी घूमै।
खुले आम अब रेल बसों में, दरिन्दे व्यभिचारी घूमै।।
हैवानियत की हदें टूटती, इसका सख्त निदान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।
महंगाई सुरसा डाइन सौ मुंह फैलाए खड़ी हुई है।
सारा देश निगल जाने को, वरसो से यह अड़ी हुई है।।
भूखों को रोटी दाल मिले, फिर बम या रॉकेट यान चाहिए।
सत्ताधीशों हमको रोटी, कपडा और मकान चाहिए।।

-मोहम्मद जमील शास्त्री
मो- 08081337028

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