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Archive for फ़रवरी 8th, 2013

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कभी नहीं, जो लोग सांप्रदायिक आधार पर प्रधानमंत्री पद पर नरेन्द्र मोदी को पदासीन देखना चाहते हैं। उनको इस देश की सीमाओं की जानकारी नही है। गुजरात में जो नरसंहार हुआ है, उसके बाद भी अगर कोई इस धर्म निरपेक्ष भारत में यह सोचता है कि उग्र हिन्दुवत्व का प्रतीक नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री हो जायेगा तो यह उनका दिवा स्वप्न है। मोदी को विकास पुरुष का प्रमाणपत्र टाटा और अम्बानी सहित बड़े-बड़े उद्योगपति दे रहे हैं। उनके द्वारा स्थापित मीडिया नरेन्द्र मोदी को विकास पुरुष की छवि बनाने में लगा हुआ है। गुजरात में खेत मजदूरों, किसानो, फैक्ट्री मजदूरों की हालत बाद से बदतर होती जा रही है। मल्टी नेशनल भारतीय कंपनियों को जो रियायतें दी जा रही हैं। श्रम कानूनों का गला घोटा जा रहा है। उससे आम जनता वाकिफ है और अगर गुजरात का यह तबका मोदी के समर्थन में होता तो गुजरात में अधिकांश सीटें मोदी को मिली होती। भारतीय जनता पार्टी कुछ प्रदेशों की ही पार्टी है। सम्पूर्ण भारत में उसकी कोई पकड़ नहीं है। इनके नेतागण आपस में नित्य लड़ते झगड़ते रहते हैं। भ्रष्टाचार में इनके नेतागण उसी तरीके से लिप्त हैं जिस तरह से कांग्रेस के नेतागण। बंगारू लक्ष्मण से लेकर नितिन गडकरी तक यह लोग बड़े बेइज्जत होकर राजनीति के गलियारे से वापस गए हैं। जर्मन नाजीवादी विचारधारा से लैस इस पार्टी को कभी भी बहुमत नहीं मिलना है। दुनिया की साम्राज्यवादी ताकतों के प्रतिनिधि यूरोपियन यूनियन या अमरीका चाहे जितनी कोशिश करे कि नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बन जाएँ लेकिन बन नहीं पाएंगे। विदेशी ताकतें मोदी के लिए लोबिंग शुरू कर दी है। इस सम्बन्ध में इंडियन एक्सप्रेस लिखता है कि 7 जनवरी को दिल्ली में जर्मन राजदूत एम. स्टेनर के घर पर यूरोपियन यूनियन के देशों के राजदूत नरेंद्र मोदी से लंच पर मिले थे। इसके 15 दिन पहले ही मोदी लगातार चौथी बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। लंच के दौरान राजदूतों ने 2002 के दंगों के बारे में सरकार की कथित निष्क्रियता को लेकर मोदी से सवाल भी किए। बकौल स्टेनर मोदी ने उन लोगों को भरोसा दिलाया कि गुजरात में अब कभी दंगे नहीं होंगे। जर्मन राजदूत ने यह भी कहा कि मोदी भारतीय राजनीति में बड़ी हस्ती हैं। इस मीटिंग के दौरान मोदी ने राजदूतों को धैर्य के साथ सुना और गवर्नेंस के अपने मॉडल के बारे में बताया।
आर्थिक विकास का मोदी माडल मात्र इतना है कि उद्योगपतियों को हर संभव मदद करके उनके मुनाफे को लाखो गुना बढ़ने में मदद करना है। दंगे, फसाद कराकर आप भारतीय जनमानस का दिल नही जीत सकते हैं जब तक मजदूरों किसानो के सम्बन्ध में आपके पास सोच होगी तो देश का विकास होना संभव नही है। किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं। खेत मजदूर, बुनकर, शिल्पकार भुखमरी के रास्ते पर हैं। कारखानों में काम के घंटे 8 से ज्यादा बढ़ा दिए गए हैं। भारतीय जनता पार्टी के पास इन तबको के बारे में कोई सोच नहीं है।

सुमन
लो क सं घ र्ष !

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