Feeds:
पोस्ट
टिप्पणियाँ

Archive for अप्रैल, 2010

<embed src=”http://embedit.in/5m3NoXbTVM.swf&#8221; height=”721″ width=”579″ type=”application/x-shockwave-flash” allowFullScreen=”true”>

Read Full Post »

बाराबंकी में सफदरगंज पुलिस अफीम के लाईसेंस धारक माता प्रसाद मौर्या को उनके गाँव से पकड़ कर लायी और रुपया वसूलने के लिए उनकी जबरदस्त पिटाई की कि उनकी मौत हो गयी। उनके लड़कों को पुलिस थाने लाकर फर्जी मुक़दमे में चालान की तैयारियां शुरू कर दी। कल बाराबंकी कोतवाली में अपर पुलिस अधीक्षक व कोतवाल के बीच में सरेआम काफी कहासुनी हुई कोतवाल ने अपर पुलिस अधीक्षक के मुखबिर का चालान एन.डी.पि.एस एक्ट में कर दिया अपर पुलिस अधीक्षक ने कोतवाल के मुखबिरों का चालान करा दिया। राजस्व विभाग के अधिकारी लोगों की जमीनों को विवादित कर गुंडों और मवालियों को कब्ज़ा कराने का कार्य कर रहे हैं। आम नागरिक करे तो क्या करे वस्तुगत स्तिथियों को देखने के बाद अब संदेह होने लगता है कि हम आजाद भारत के नागरिक हैं या ब्रिटिश कालीन भारत के नागरिक हैं। ब्रिटिश कालीन भारत में भी राज्य द्वारा नागरिकों का उत्पीडन होता था। लोकतान्त्रिक आजाद भारत में भी नागरिकों का उत्पीडन हो रहा है।

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

Read Full Post »

ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,

सादर प्रणाम,

आज दिनांक २८.०४.२०१० को परिकल्पना ब्लोगोत्सव-२०१० के अंतर्गत प्रकाशित पोस्ट –
ब्लोगोत्सव-२०१० : ऑनलाइन विश्व की आजाद अभिव्यक्ति है ब्लोगिंग http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_27.html हिंदी ब्लोगिंग के संवंध में क्या कहते है बालेन्दु शर्मा दाधीच ब्लोगोत्सव-२०१० :दर्पण का कार्य तो वस्तु का बिम्ब प्रदर्शित करना है http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_9207.html के० के० यादव का आलेख बदलते दौर में साहित्य रहस्य: हम किसी चीज़ को किसी जगह पर देखते हैं तो वह वास्तव में ‘उस जगह’ पर नहीं होती http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_28.html क्या हम अपना भविष्य देख सकते हैं? ब्लोगोत्सव-२०१० : आज हम लेकर आये हैं श्यामल सुमन की ग़ज़ल http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_1222.html श्यामल सुमन की ग़ज़ल : अच्छा लगा ब्लोगोत्सव में आज हम लेकर आये हैं संजीव वर्मा सलिल, ललित शर्मा और रवि कान्त पांडे के गीत http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_9611.html संजीव वर्मा ‘सलिल’ के तीन गीत दो गीत ललित शर्मा के रविकांत पांडे के गीत : मुझको याद तुम्हारी आती ! ब्लोगोत्सव में आज श्रेष्ठ पोस्ट के अंतर्गत माँ की डिग्रियां और शारदा अरोरा की कविता http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_4328.html शारदा अरोरा की कविता :इश्क वफ़ा की सीढियाँ चढ़ कर ब्लोगोत्सव-२०१० : बहुत कठिन है डगर पनघट की http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_2721.html

युनिकोड एक ऐसी कोडिंग प्रणाली, जिसमें विश्व की सभी जीवंत भाषाएँ समाहित हैं

http://shabd.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_28.html भगत सिंह की याद में, उनकी शहादत के 75 वर्ष पूरे होने पर http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/75.html

utsav.parikalpnaa.com

अंतरजाल पर परिकल्पना के श्री रविन्द्र प्रभात द्वारा आयोजित ब्लॉग उत्सव 2010 लिंक आप लोगों की सेवा में प्रेषित हैं।

-सुमन
loksangharsha.blogspot.com

Read Full Post »

हमारे देश के राजे महाराजे सामंत जमींदार ब्रिटिश साम्राज्यवाद के एजेंट के रूप में कार्य करते थे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश साम्राज्यवाद का दुनिया में सूरज अस्त होना शुरू हो गया था और उसकी जगह अमेरिकन साम्राज्यवाद ने ले ली थी ब्रिटिश साम्राज्यवाद के चाकर तभी से अमेरिकन साम्राज्यवाद के लिए कार्य करना शुरू कर दिया था। उनके लिए देश और सामाज का कोई अर्थ नहीं है उनको अपनी शानो-शौकत बनाये रखने के लिए हर कार्य करने के लिए यह शक्तियां तैयार रही हैं आजाद भारत में पहला पाकिस्तानी जासूस मोहन लाल कपूर था जो कुछ पैसे और शराब के लिए देश के ख़ुफ़िया राज पकिस्तान के जासूसों को बेच देता था। उसी कड़ी में भारतीय महिला राजनयिक माधुरी गुप्ता जो इस्लामाबाद में भारतीय उच्च आयोग में अधिकारी थी आई.एस.आई के लिए काम कर रही थी पकड़ी गयी । आई.एस.आई अमेरिकन साम्राज्यवाद की प्रतिनिधि संस्था है। आज हमारे देश में अमेरिकन साम्राज्यवादियों की सबसे मजबूत पकड़ है देश के उच्च नौकरशाह अगर अमेरिकन दूतावास की शराब व दावतें उड़ा रहे हैं तो उनके लिए कार्य भी करते हैं । पूँजीवाद का उच्च स्वरूप साम्राज्यवाद है जिसके हितों के पोषण के लिए हमारी सरकारें कारगर तरीके से कार्य करती हैं देश की बहुसंख्यक आबादी से उनका कोई सरोकार नहीं है आज मुख्य चुनौती साम्राज्यवादी शक्तियों से लड़ने के लिए है। भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों से किसी भी देश की खुफिया एजेंसी जब चाहे तब अपने मनमाफिक तरीके से कार्य कराती रहती है। इतिहास के पृष्ठों पर अगर नजर डाली जाए तो मोहन लाल कपूर माधुरी गुप्ता जैसे लोगों की बहुतायत है जिसे देखकर लगता है क्या गद्दारी हमारी परंपरा का हिस्सा है ?

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

Read Full Post »

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती जी हैं, जो अपने को दलित की बेटी कहते हुए नहीं थकतीं, हैं भी वह दलित की बेटी; लेकिन खुद वह दलित नहीं हैं बल्कि अब उनकी गिनती अतिविशिष्ट गणों में होती है। अगड़ा, पिछड़ा दलित, यह है सामाजिक बंटवारा और इसी सामाजिक बंटवारा को समाप्त करने के लिए संविधान में पिछड़ों और दलितों के आरक्षण की व्यवस्था की गई हैं, वह अलग है कि पिछड़ों में या दलितों में किसको दिया, किसको नहीं दिया। इसको लेकर देश कई बार जलते-जलते बचा है और आज भी देश का एक हिस्सा राजस्थान आग की लपेट में है।

मायावती जी ने राजनीति में रहकर कितना धन कमाया या अन्य किसी नेता ने राजनीति से कितना लाभ उठाया इसकी जानकारी देश के अधिकांश नागरिकों को है, चाहे वह हार के द्वारा हो या उपहार के द्वारा या फिर स्थानान्तरण और नियुक्ति के उद्योग के द्वारा। लाभ तो हर राजनेता उठाता है अगर मायावती जी ने उठाया तो बुरा क्या?

ज्ञात सूत्रों से अतिरिक्त धन रखने के मामले में सी0बी0आई0 विवेचना कर रही है, मायावती जी के खिलाफ, जिसे न्यायालय में चुनौती दी गई है। चुनौती देते हुए मायावती जी द्वारा कहा गया है कि उनके साथ दोहरा मापदण्ड अपनाया जा रहा है। दोहरा मापदण्ड अपनाया जाना गलत है और हर कोई उसे गलत कहेगा; लेकिन दोहरा मापदण्ड अपनाये जाने के आधार पर किसी भी राजनेता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही समाप्त करना कानूनी गलती होगी। मायावती जी के खिलाफ अगर विवेचना चल रही है तो उसका रोका जाना विधि सम्मत नहीं होगा बल्कि उचित तो यह होगा कि किस राजनेता के मुकाबले मायावती जी के साथ दोहरा मापदण्ड अपनाया जा रहा है, यह तथ्य मायावती जी स्वयं स्पष्ट करें और उनके इस स्पष्टीकरण के बाद उनके द्वारा बताये गये राजनेता के खिलाफ भी ज्ञात स्रोतों से अधिक सम्पत्ति रखने का मामला दर्ज करके विवेचना शुरू करना चाहिए और विवेचना में न्यायालय को दखल नहीं देना चाहिए, चाहे वह कोई भी न्यायालय हो।

एक राजनेता को फंसते देखकर दूसरा राजनेता जो उसी हमाम में नहाया हुआ होता है उसे बचाने की कोशिश करता है। नेता शासक दल का हो या विपक्ष दल का नेता होता है, वह जनोपयोगी चीजों का दाम बढ़ाने में भी एक साथ होता है और अपनी सुविधाएं बढ़ाने के पक्ष में भी। वह हम जन साधारण हैं जो नेताओं के लिए इंसान नहीं वोट की अहमियत रखते हैं, इसलिए आवश्यक है कि वोट की अहमियत रखने वाले ही यह बात कहें कि ज्ञात स्रोतों से अधिक धन रखने वाला अपराधी तो है ही जन साधारण से अधिक सुविधा प्राप्त करने वाला और केवल पांच साल में करोड़पति बन जाने वाला और अरब-खबरपतियों को मदद पहुंचाने वाला नेता जनता का दोषी है और उसे जनता की अदालत में इसके लिए जवाबदेह होना आवश्यक है और यह भी जरूरी है कि न्यायिक प्रक्रिया अपना काम करे और उसमें कोई व्यवधान न पैदा हो तथा हर नेता के साथ एक जैसी कार्यवाही हो और दोहरा मापदण्ड न अपनाया जाए।

मोहम्मद शुऐब एडवोकेट
loksangharsha.blogspot.com

Read Full Post »

ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,

सादर प्रणाम,
आज दिनांक २६ .०४.२०१० को ब्लोगोत्सव-२०१० के अंतर्गत प्रकाशित पोस्ट का लिंक

ब्लोगोत्सव-२०१० : हम व्यस्क कब होंगे ?

http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_25.html

चिट्ठाकारिता ने हमें एक नया सामाजिक आस्वादन दिया है

http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_1872.html

हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग की ताकत को कम करके आंकना बिल्‍कुल ठीक नहीं है:अविनाश वाचस्पति http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_26.html आईये हिंदी ग़ज़ल की विकास यात्रा पर एक नजर डालते हैं.. http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_26.html

मानवीय सर्जना का नवोन्मेष है यह…..गिरीश पंकज

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_9083.html

हम लेकर आये हैं आज निर्मला जी की कुछ और गज़लें

http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_2935.html

अपनी बात : हिन्दी ग़ज़ल की विकास यात्रा पर http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_6880.html

ब्लोगोत्सव-२०१० : नीरज गोस्वामी,गौतम राजरिशी और अर्श की गज़लें

http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_3288.html

निर्मला कपिला की तीन गज़लें

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_3358.html

गौतम राजरिशी की दो गज़लें

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_3356.html नीरज गोस्वामी की दो ग़ज़लें http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_3804.html अर्श की तीन गज़लें

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_3917.html

ब्लोगोत्सव-२०१०: श्रेष्ठ पोस्ट और बच्चों का कोना

http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_2106.html बच्चों का कोना : शुभम सचदेव की तीन बाल-कहानियां http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_5185.html ब्लोगोत्सव-२०१० : आज का कार्यक्रम उत्सवी स्वर के साथ संपन्न http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_6699.html रश्मि प्रभा के उत्सवी स्वर http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_2397.html

बुद्धिजीवी होना भी एक चस्का : डा० अरविन्द मिश्र

http://shabd.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_26.html

utsav.parikalpnaa.com

अंतरजाल पर परिकल्पना के श्री रविन्द्र प्रभात द्वारा आयोजित ब्लॉग उत्सव 2010 लिंक आप लोगों की सेवा में प्रेषित हैं।

-सुमन
loksangharsha.blogspot.com

Read Full Post »

अम्बेडकर जयन्ती समारोह के दौरान गोण्डा में बसपा के मंच पर पार्टी के पदाधिकारी हनुमान शरण शुक्ला की सरेआम हत्याकर दी गई।
इसी के बाद पार्टी की ओर से बढ़ चढ़ कर सफाई अभियान शुरू हुआ। मज़े की बात यह है कि इसके लिये प्रमुख सचिव ग्रह कुवंर फतेह बहादुर तथा डी0 जी0 पी0 करम वीर सिंह मैदान में उतर गये और प्रेस-कान्फ्रे़न्स में इस प्रकार बोले जैसे पार्टी-प्रवक्ता बयान दें। उन्हों ने मृतक के संबंध में कहा कि वह न तो बसपा का सदस्य था और न ही वह पार्टी की किसी समिति से जुड़ा था, वह हिस्ट्रीशीटर था, उसकी हत्या रंजिश में की गई। जब यह सवाल हुआ कि बसपा से नहीं जुड़ा था और तो मंच पर कैसे बैठा था ? और हथियार बंद लोग मंच तक कैसे पहुँचे ? इन के उत्तरों के लिये अधिकारी-गण बग़लें झांकने लगे।
अब दुसरा बयान मृतक की पत्नी पंचायत सदस्य मंजु देवी तथा पु़त्री प्रियंका शुक्ला का देखिये-पत्नी ने बताया कि वे बसपा ब्राह्मण भाई चारा समिति के तरब गंज विद्यान सभा क्षेत्र के अघ्यक्ष थे, उनको यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वे ब्राह्मण समाज को बसपा के पक्ष में एकजुट करें। यह भी बताया की वह जयन्ती के मौके़ पर तीन सौ से अधिक गाड़ियों द्वारा हजारों लोगों को लेकर गये थे। पत्रकारों से बातचीत में रूँधे गले और बह रहे आसुंओ के बीच कहा कि दुःख की घड़ी में शासन उन्हें बसपा कार्यकर्ता न होने की बात कहकर उनके ज़ख्मों को कुरेद रहा है। पुत्री ने कहा कि बसपा के प्रत्येक र्कायक्रम में उनकी बढ़ चढ़ कर हिस्सेदारी थी।
दोनों बयानों की तौल-नाप आप खुद करें। मैं तो बस मृतक की पत्नी और पुत्री को यह कहूँगा कि वे बहन कु0 मायावती और शासन प्रशासन के गुरगों को मुखातिब करके यह शेर पढ़ दें-

बात तुम्हारी आज तक कोई हुई है कब गलत?
तुम जो कहो वह सब सही, हम जो कहें वह सब गलत।

डॉक्टर एस.एम हैदर

Read Full Post »

परमाणु अस्त्रों के सम्बन्ध में अनेक मंचों पर जब चिंता जताई जाती है तब हमकों एक कहानी याद आ जाती है-कुछ लोग एक मुर्दा उठायें हुए शमशान की ओर जा रहे थे, मोटा ताजा होने के कारण जब उसके भारीपन का एहसास हुआ तो उपाय सोचने हेतु उसे उतारा गया, फिर मुंह की ओर से कफ़न खोला, बड़ी बड़ी मूँछे देखकर एक सज्जन ने राय यह दी कि इसकी मूँछें उखाड़ लो।
अस्त्रों के अप्रसार, निरस्त्रीकरण आदि के अनेक समझौते हुए, एन0 पी0 टी0, सी0 टी0 बी0 टी0 की संधियाँ काफी पहले की हैं, परन्तु समस्या जहाँ थी वही अब भी हैं। बात यह है कि हुल्लड़ वही देश मचाते है जिनके पास विश्व भर के परमाणु हथियारों का 95 ज़खीरा मौजूदा है। यह हुल्लड़ भी इसलिये होता है कि वे दुसरो पर निशाना साधते रहें और किसी को उनकी ओर उंगली उठाने का मोका ने मिले।
आप ग़ौर करें कि चीन के पास 200, इस्राईल के पास 200, भारत, पाकिस्तान के पास 100-100 परन्तु अमेरिका व रूस के मिला कर 22 हजार से अधिक परमाणु हथियार हैं।
अप्रेल 10 के दुसरे सप्ताह में इस मामलें पर दो स्थानों पर र्वातायें हुईं।
सप्ताह के आरम्भ में चेकोस्लोवाकिया की राजधानी प्राग में अमेरिका राष्ट्रपति ओबामा तथा रूसी राष्ट्रपति मेदवेदेन ने परमाणु हथियारों में 30 कटौती के समझौते पर हस्ताक्षर किये। यह संधि 1991 की स्र्टाट संधि (स्ट्राटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी ) की जगह लेगी।
सप्ताह के अंत में नाभिकीय सुरक्षा सम्मेलन अमेरिका ने आयोजित किया, जिसमें भारत समेत 47 देशों नें परमाणु प्रौद्योगिकी था सूचना के गलत हाथों में न पड़ने देने का संकल्प लिया। ताकि सामग्री सूचना एवं तकनीक आतंकियों तक न पहुंचे। इस सम्मेलन से कुछ दिन पूर्व अमेरिकी विदेशी मंत्री हिलेरी किलंटन ने एक अमेरिकी यूनिवर्सिटी में भाषण देते हुए भारत पाकिस्तान को धमकाया यह कहते हुए कि इन्हीं देशों ने परमाणु संतुलन बिगाड़ा है। इसके लिये यह मुहावरा है उल्टे चोर कोतवाल को डांटे। इस भाषण में उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात यह जरूर कही कि परमाणु अप्रसार संधि के तीन छोर हैं, पहला निरस्त्रीकरण, दूसरा अप्रसार, तीसरा परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण इस्तेमाल।
हथियारों को घटाना, उनका अप्रसार, गलत हाथों में न पड़ना, इन सब बातों से बेहतर तो यही था कि मूल मुद्दे निरस्त्रीकरण पर दो टूक बाते की जाती। 1945 में इसकी भयावह तस्वीर सामने आई थी, जब अमेरिका ने नागासाकी शहर पर बम छोड़ा जिससे 90 हजार लोग मरे, फिर हिरोशियमा पर बम ब्लास्ट में एक लाख चालीस हजार जाने गई तथा 69 फीसदी इमारते नष्ट हो गई।
यह सच मानिये कि परमाणु प्रसार के मामले में अमेरिका की सब से बड़ा अपराधी है, 1945 के बाद से आज तक 65 वर्ष हो चुके हैं परन्तु मुख्य मुद्दे से ध्यान हटाने की बाते होती रहती हैक्ं। यदि पूर्ण निरस्त्रीकरण लागू हो जाये तो सभी समस्यायें सुलझ जायें। अब उत्तर कोरिया और ईरान यदि अपराधी हैं तो उन्हें सजा जरूर दीजिये लेकिन इस्राईल का दोष क्यों नजर नहीं आता?

इस दहर में सब कुछ है पा इन्साफ नहीं है।
इन्साफ हो किस तरह कि दिल साफ नही है।

डॉक्टर एस.एम हैदर

Read Full Post »

एक समय था जब रेल यात्रा सुरक्षित हुआ करती थी। धीरे-धीरे एक समय ऐसा आया जब रेलवे की टिकट खिड़कियों से लेकर टेªन के अन्दर गिरहकटी हुआ करती थी। टिकट खिड़कियों पर लिखा रहता था गिरहकटों से सावधान। गिरहकटों से सावधान पर निगाह पड़ते ही लोग अपनी-अपनी जेब देखने लगते थे और इसी में गिरहकट भांप जाते थे कि उन्हें किस जेब पर हाथ साफ करना है। टिकट हाथ में आने के जब बचा हुआ पैसा टिकट खरीदने वाला अपनी जेब में डालता था तब वह अवाक रह जाता था क्योंकि उस वक्त तक उसकी जेब साफ हो चुकी थी। लम्बी दूरी के मुसाफिर के पीछे ट्रेन में भी गिरहकट लगे रहते थे और जेब न साफ कर पाने की स्थिति में एक गिरहकट दूसरे गिरहकट के हाथ मुसाफिर को बेच दिया करता था और पूरे रास्ते में कहीं न कहीं उसकी जेब साफ हो जाती या सामान गायब हो जाता था। ट्रेनों में टपके बाजी भी जोरों पर होती थी। प्लेटफार्म से ट्रेन के चलने के समय खिड़कियों से हाथ की घड़ियां, कान के झुमके वगैरह भी खींचने का चलन एक जमाने में जोरों पर था।

चोरी, गिरहकटी और टपकेबाजी के बाद टेªन डकैतियों का युग आया। अक्सर टेªन डकैतियां समाचार-पत्रों की खबरें बनी रहतीं और आज भी कभी-कभी टेªन डकैती हो जाती है। टेªन डकैती एक बड़ी घटना हुआ करती थी जिस पर सरकार तथा रेल विभाग का ध्यान गया और टेªनों में मुसाफिरों की हिफाज़त के लिए गार्ड भी तैनात किये गये और इस तरह डकैतियों का सिलसिला काफी हद तक थमा, अगर वह किसी पुलिस वाले के द्वारा न डाली गयी हो क्योंकि ऐसी खबरें भी अक्सर आती रहती हैं।

राजनीति में भी आने वाले लोग ट्रेनों का दुरूपयोग करने से नहीं चूकते और नारा लगाते हुए चलते हैं – ‘‘एक पैर रेल में एक पैर जेल में’’ और इन रेल पर बिना टिकट चलने वालों के पैर जेल तो कभी नहीं गये लेकिन रेल में चढ़ने के बाद टिकट रखने वाले मुसाफिरों को तकलीफ जरूर पहुंचाया। स्लीपर क्लास वालों को बैठने का मौका न देकर उनकी सीटें छीन लेते रहे, ये हैं राजनीतिक लोग; लेकिन वो लोग भी इन राजनीतिक लोगों से कम नहीं जिनकी जिम्मे देश की सुरक्षा सौपी गयी है। अक्सर फौजी लोग ट्रेन से आम मुसाफिरों को बाहर फेंक दिया करते हैं क्योंकि वह अपना अधिकार समझते हैं कि देश की सुरक्षा के बदले वे किसी भी आम नागरिक को चोट पहुंचायें।

इतना सब कुछ मैंने सिर्फ इसलिए कहा क्योंकि भाजपा की एक महारैली दिल्ली में थी, जिसमें पूरे देश के भाजपाई, देशभक्त उमड़ पड़े, एक बहुत बड़ा जत्था मुगलसराय से भी गया था। 20 अप्रैल, 2010 को 7ः30 बजे ट्रेन- 2397 महाबोधी एक्सप्रेस मुगलसराय पहुंची, जिसके कोच नम्बर एस 5 में बर्थ नम्बर 1, 9, 10, 11, 12, 13 और 14 और एस 13 व एस 14 में क्रमशः बर्थ नम्बर 13 और 23। अल्लाह की गाय के नाम से जाने जाने वाले तबलीग़ी जमात के लोग जाने को थे जो टेªन पर सवार हुए जहां देखा कि उनकी सीटों पर दूसरे लोग बैठे हुए थे। उन लोगों ने अपनी सीट पर बैठे लोगों से सीट खाली करने को कहा, तो उन लोगों ने सीट नहीं खाली की जिसकी शिकायत सिक्योरिटी गार्ड से की गई। शिकायत करने पर भाजपाइयों ने नारेबाजी शुरू कर दी और कहा कि वे उस ट्रेन में कठमुल्लाओं को नहीं जाने देंगे और यह भी कहा कि अगर उनसे बल प्रयोग करके सीट खाली करा ली गई तो वे आगे जाकर कठमुल्लाओं को ट्रेन से बाहर फेंक देंगे। इसी के साथ ट्रेन के दूसरे डिब्बों में बैठे अपने दूसरे साथियों को बुलाने के उद्देश्य से नारेबाजी तेज कर दी, जिनकी मंशा भांप कर तबलीग़ी जमात के लोग ट्रेन से उतर गये और जाकर टिकट वापस कर दिया। ऐसी स्थिति में कौन हिम्मत करेगा, टेªन से सफर करने की। जब वैध टिकट रखकर सफर करने वालों की सुरक्षा की कोई गारन्टी नहीं है और बिना टिकट चलने वालों के खिलाफ या बिना टिकट चलने वालों को सफर से रोकने के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई उचित कार्यवाही न की जाए। है न यह असुरक्षित रेल यात्रा, क्या आप इसके लिए तैयार हैं।

मोहम्मद शुऐब एडवोकेट

Read Full Post »

ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,

सादर प्रणाम,

ब्लोगोत्सव-२०१० : यह सच है कि बार-बार हार-हार मैं गया !

हिन्दी ब्लोगिंग का भविष्य उज्ज्वल दिखाई दे रहा है :जी० के० अवधिया

ब्लोगोत्सव-२०१०: ब्लॉगिंग को परिवर्तन के हथियार के रूप में ढालने की ज़रूरत है

ब्लॉगिंग को परिवर्तन के हथियार के रूप में ढालने की ज़रूरत है….प्रमोद ताम्बट

स्मृतियों की किताब के पन्ने पलटते हुए

मशहूर शायरा अमृता प्रीतम जी के विचारों से आपको रूबरू करा रही हैं रश्मि प्रभा

समकालीन हिंदी काव्य की दिशा-दशा पर……अपनी बात

अपनी बात : समकालीन हिंदी काव्य की दिशा-दशा पर

ब्लोगोत्सव-२०१० : आज उपस्थित है अपनी कविताओं के साथ संगीता सेठी, संगीता स्वरुप और कुलवंत हैप्पी

संगीता सेठी की कविता

संगीता स्वरुप की एक कविता

कुलवंत हैप्पी की दो कविताएँ ब्लोगोत्सव-२०१० : आज सुनिए अदा जी के स्वर में उनकी एक प्यारी सी कविता मैं हिंदी हूँ ! ब्लोगोत्सव-२०१०: आज इरफ़ान का कार्टून और श्रेष्ठ पोस्ट

utsav.parikalpnaa.com

अंतरजाल पर परिकल्पना के श्री रविन्द्र प्रभात द्वारा आयोजित ब्लॉग उत्सव 2010 लिंक आप लोगों की सेवा में प्रेषित हैं।

-सुमन
loksangharsha.blogspot.com

Read Full Post »

Older Posts »